रायपुर। मिनीमाता की 50वीं पुण्यतिथि पर रायपुर के शहीद स्मारक भवन में मिनीमाता स्मृति दिवस और प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने डाक विभाग के विशेष आवरण का विमोचन किया।
इस अवसर पर सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि मिनीमाता का व्यक्तित्व अतुलनीय था। सरल और सहज व्यक्तित्व की धनी मिनीमाता ने अपना पूरा जीवन मानव सेवा के लिए समर्पित कर दिया। दलितों के नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए अस्पृश्यता निवारण अधिनियम को संसद में पारित कराने में उन्होंने महती भूमिका निभाई।
सीएम ने आगे कहा कि बाल विवाह और दहेज प्रथा के विरोध में मिनीमाता ने समाज से लेकर संसद तक अपनी आवाज बुलंद की। शहीद स्मारक भवन में उन्होंने प्रथम महिला सांसद मिनीमाता की 50वीं पुण्यतिथि पर डाक विभाग से जारी विशेष आवरण का विमोचन किया।
गुरु घासीदास साहित्य और संस्कृति अकादमी, प्रगतिशील छत्तीसगढ़ सतनामी समाज की ओर से आयोजित कार्यक्रम में सीेम ने आगे कहा कि मिनीमाता ने महिला अस्मिता को एक नई ऊंचाई दी है। अपने प्रखर नेतृत्व क्षमता की बदौलत राष्ट्रीय नेताओं के बीच उनकी अलग पहचान थी। दलित शोषित समाज ही नहीं सभी वर्गाें ने उनके नेतृत्व को मान्य किया था।
आगे सीएम ने कहा कि मिनीमाता ने समाज सुधार सहित सभी वर्गों की उन्नति और बेहतरी के कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उन्हें असमिया, अंग्रेजी, बांग्ला, हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भाषा का अच्छा ज्ञान था। वह सत्य, अहिंसा एवं प्रेम की साक्षात् प्रतिमूर्ति थीं।
स्वतंत्रता के बाद लोकसभा का प्रथम चुनाव 1951-52 में हुआ। मिनीमाता 1951 से 1971 तक सांसद के रूप में लोकसभा की सदस्य रहीं। अविभाजित मध्य प्रदेश में बिलासपुर-दुर्ग-रायपुर आरक्षित सीट से लोकसभा की प्रथम महिला सांसद चुनी गईं। इसके बाद परिसीमन में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित जांजगीर लोकसभा क्षेत्र से चार बार चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचीं।
इस दौरान नगरीय प्रशासन और श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने कहा सतनामी समाज की तरफ से गिरौदपुरी का नामकरण गुरु घासीदास गिरौदपुरी धाम किए जाने पर मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताया।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने सतनामी समाज के उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रतिभाशाली विद्यार्थियों और लोगों को सम्मानित भी किया। इस अवसर पर रायपुर ग्रामीण विधायक सत्यनारायण शर्मा, रायपुर महापौर एजाज ढेबर, चरौदा के महापौर निर्मल कोसले सहित बड़ी संख्या में सतनाम पंथ के अनुयायी उपस्थित थे।