गाड़ियों की बिक्री में रफ्तार पकड़ने की उम्मीद को झटका लगा है. नवरात्र और त्योहारी सीजन में गाड़ियों की बिक्री में जिस इजाफे की उम्मीद थी वह पूरी नहीं हुई है. पिछले कुछ दिनों में ग्रामीण सेक्टर में मांग बढ़ने और लॉकडाउन में छूट से बिजनेस गतिविधियों के बढ़ने के बाद गाड़ियों की बिक्री में इजाफा होने की उम्मीद की जा रही थी. पिछले कुछ समय से चले आ रहे बेहतर ट्रेंड की वजह से यह उम्मीद बढ़ गई थी, लेकिन पैसेंजर गाड़ियों की बिक्री के मोर्चे पर निराशा हाथ लगी है.
ऑटोमोबाइल डीलर्स संगठन फाडा के मुताबिक अक्टूबर में पैसेंजर गाड़ियों की रिटेल बिक्री में 8.8 फीसदी की गिरावट आई और यह घट कर 2,49,860 यूनिट रह गई, जबकि पिछले साल इस अवधि में 2,73,980 यूनिटों की बिक्री हुई थी. FADA के प्रेसिडेंट विंकेश गुलाटी के मुताबिक अक्टूबर में संकेत अच्छे दिखे थे. बिक्री की रफ्तार भी बढ़ती दिख रही थी. नवरात्र में रजिस्ट्रेशन में तेजी देखी गई, लेकिन पिछले साल की नवरात्रि और दिवाली के मुकाबले कम ही रही, क्योंकि दोनों ही त्योहार अक्टूबर में पड़े थे.
उन्होंने कहा कि पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट में नए लॉन्च की डिमांड जारी रही, जबकि टू- व्हीलर सेगमेंट में खरीदारी कमजोर रही. FADA के आंकड़ों के मुताबिक छोटे कॉमर्शियल व्हेकिल की डिमांड में बढ़ोतरी हुई है, अब ये कोरोना संकट के पहले वाली स्थिति की ओर लौटने लगे हैं. लेकिन मीडियम और हैवी कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट की डिमांड में कमजोरी जारी रही.
ऑटो सेक्टर में डिमांड बढ़ाने के लिए FADA ने सरकार से इनसेंटिव आधारित स्क्रैपेज पॉलिसी जल्द से जल्द लागू करने की अपील की है. FADA का कहना है कि ‘सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए जल्द से जल्द फंड रिलीज करना चाहिए, ताकि डिमांड में तेजी आए और गाड़ियों का प्रोडक्शन भी बढ़े. FADA का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर से भी कस्टमर्स सचेत हैं.