एक रिसर्च में खुलासा किया गया है कि पुरुषों की तुलना में पहले हार्ट अटैक के बाद महिलाओं को हार्ट फेल्योर से मौत का जोखिम ज्यादा है. ताजा रिसर्च के मुताबिक, महिलाओं को पहली बार गंभीर हार्ट अटैक आने के बाद 5 साल में हार्ट फेल्योर या उससे मौत का 20 फीसद खतरा बढ़ गया. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की पत्रिका सर्कुलेशन में रिपोर्ट को प्रकाशित किया गया है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि दिल की सेहत पर पूर्व के किए गए रिसर्च में लैंगिक अंतर को देखा गया था और अक्सर जोर बार-बार होने वाले हार्ट अटैक या मौत पर होता था. फिर भी, पुरुषों और महिलाओं के बीच हार्ट अटैक के बाद हार्ट फेल्योर के जोखिम का अंतर स्पष्ट नहीं है. इस कमी को पूरा करने के लिए शोधकर्ताओं ने 45 हजार (30.8 फीसद महिलाएं) से ज्यादा मरीजों के डेटा का परीक्षण किया. कनाडा के अस्पताल में 2002-2016 में उन्हें पहली बार हार्ट अटैक के बाद भर्ती किया गया था. शोधकर्ताओं ने हार्ट अटैक के दो प्रकार ज्यादा गंभीर और कम गंभीर पर फोकस किया. कम गंभीर हार्ट अटैक ज्यादा आम होता है.
औसत 6. 2 साल चले अध्ययन के बाद पाया गया कि महिलाओं को कई तरह की पेचीदगी और ज्यादा खतरों का सामना करना पड़ा. जिससे उन्हें आगे चलकर हार्ट अटैक के बाद हार्ट फेल्योर का काफी जोखिम बढ़ गया. इसके अलावा, महिलाओं में हार्ट फेल्योर के जोखिम के साथ, शोधकर्ताओं ने पाया कि कुल 24 हजार 737 मरीजों को हार्ट अटैक के कम गंभीर शक्ल का सामना करना पड़ा. उस ग्रुप में 34. 3 फीसद महिलाएं और 65. 7 फीसद पुरुष थे. इसके अलावा, गंभीर हार्ट अटैक का सामना करनेवाले मरीजों की संख्या 20 हजार 327 मरीजों थी. उस ग्रुप में 26.5 फीसद महिलाएं और 73.5 फीसद पुरुष थे.
शोधकर्ताओं का कहना है कि दोनों हार्ट अटैक की सूरत में महिलाओं को अस्पताल में या डिस्चार्ज होने के बाद हार्ट फेल्योर बढ़ने का खतरा पुरुषों से ज्यादा रहा. महिलाओं को हार्ट अटैक के वक्त ज्यादा पेचीदा बीमारी समेत हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज थीं और बाद में उससे हार्ट फेल्योर में वृद्धि होने की आशंका जताई गई. आपको बता दें कि हार्ट फेल्योर मतलब शरीर में ऑक्सीजन की कमी और रक्त स्राव का अधिक होना होता है. हार्ट फेल्योर होने पर सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. ऐसा फेफड़ों में पानी जमा होने के कारण हो सकता है.