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राकेश टिकैत की दोहरे नीति के खिलाफ ग्रामीण हुए लामबंद

० नई खदान को खोलने समर्थन में ग्रामीण .. कहा टिकैत SECL के भू विस्थापितों के साथ और हमारी नौकरी छुटाने में तुले

उदयपुर।किसान नेता राकेश टिकैत को हसदेव दौरे के दौरान स्थानीय ग्रामीणों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। ग्राम हरिहरपुर में एक सभा को सम्बोधित करने आये किसान नेता का खदान से प्रभावित ग्राम हरिहरपुर सहित ग्राम साल्ही, तारा और फतेहपुर के ग्रामीणों ने राकेश टिकैत वापस जाओ के नारे लगाए। ग्रामीणों ने अपनी बात बताते हुए कहा कि यह भीड़ दूसरे जिले से पैसे देकर जुटाई गयी है। यहां के स्थानीय सिर्फ 10 से 20 ही हैं। हर दो से चार महीने के अंतराल में इन बाहरी लोगों द्वारा इस तरह की गाड़िया भर – भरकर भीड़ जुटाकर यहां चल रहे परियोजना का विरोध करने से अब हम सभी स्थानीय निवासी परेशान हो गए हैं। बाहरी एनजीओ और ऐसे कुछ लोगों द्वारा आए दिन सिर्फ अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए विरोध किया जा रहा है। परसा कॉल ब्लॉक के सैकड़ों ग्रामीणों द्वारा खदान के विरोध में होने वाले आंदोलन के खिलाफ लामबंद हो कर आंदोलन के विरोध में ग्राम फत्तेपुर, साल्हि, जनार्दनपुर, घाटबर्रा के सैकड़ों ग्रामीणों ने रामानुजनगर के अनुविभागीय अधिकारी को ज्ञापन सौंप कर आंदोलन को किसी भी स्थिति में न होने देने का आग्रह भी किया था।

ग्रामीणों ने यह भी कहा कि हमें अपने क्षेत्र के विकास के साथ-साथ रोजगार चाहिए ताकि हमारा आर्थिक व सामाजिक विकास हो सके। और अब किसान नेता राकेश टिकैत को लाकर एक बार फिर इन्हीं लोगो द्वारा क्षेत्र के शांति को भंग करने की पहल की गयी। जो राकेश टिकैत कोरबा में SECL के भू विस्थापित को युवाओं को नौकरी दिलाने के लिए आवाज़ बुलंद करने आये हैं वही आज हम लोगों को यहां की एक मात्र परियोजना को बंद करवाकर नौकरी से विस्थापित करने का प्रयास करने आये हैं। वे हसदेव में तथाकथित एनजीओ द्वारा बतायी गयी विकास विरोधी जानकारी से आदिवासियों को भड़काने की कोशिश करेंगे। इन्हे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता क्यूंकि इनका मुद्दा सिर्फ स्थानियों की रोजी रोटी छीनकर बदले में गरीबी और अन्धकारमय जीवन जीने के लिए भड़काना और इसे मीडिया में छपवाकर विदेशी फंडिंग लेना है।

ग्रामीणों ने कहा ना कभी रोजगार की,ना ही स्वास्थ्य और शिक्षा पर चिंता, बाहरी एनजीओ सिर्फ करते हैं विरोध

हसदेव आंदोलन में अब तक कई राष्ट्रीय कार्यकर्ताओं और सैकड़ो बाहरी भीड़ को लाकर आंदोलनकारियों के द्वारा सिर्फ एकतरफा विरोध किया गया परंतु स्थानीय लोगों को क्या सुविधाएं मिलनी चाहिए और विगत 10 वर्षों में क्षेत्र में किस प्रकार के विकास कार्य हुए उस पर कभी कुछ नहीं बोला गया। ग्रामीणों ने बताया कि विरोध में ना कभी रोजगार की बात की गई है और ना ही स्वास्थ्य शिक्षा आदि पर बात किया जाता है। वहीं कोल ब्लॉक के समर्थन में आए अधिकतर ग्रामीणों ने कि जो लोग हसदेव का विरोध करते हैं वे लोग अपने फायदे के लिए दो या चार महीने में 10 – 20 लोगों को इकट्ठा कर आंदोलन कर रहे हैं। और क्षेत्र की शांति को भंग करने का प्रयास नियमित रूप से कर रहे हैं। इसके विरोध में लोकल ग्रामीणों ने कलेक्टर एसडीएम आदि को कई बार ज्ञापन भी दिया चूका है। वहीं एक बार फिर किसान नेता को क्षेत्र में लाकर अपने विकास विरोधी गतिविधियों से यहां के भोले भाले कुछ स्थानीय ग्रामीणों को गुमराह करने का प्रयास किया गया।

इन सभी ग्रामीणों ने गत महीनों पहले रोजगार देने हेतु आरआरवीयूएनएल के साथ साथ जिला प्रशासन और प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन के माध्यम से इस बात की और ध्यानाकृष्ट किया की वे साल 2019 से अपनी जमीन परसा कोल परियोजना को दे चुके है और अब अपनी नौकरी का इंतजार कर रहे है। इन तीन सालों में उनके सामने अब गुजर बसर करने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। यहां तक की अब उन्हें प्राप्त मुआवजा राशी का उपयोग गुजर बसर के लिए करना पड़ रहा है। वे सभी चाहते है कि परसा खदान जल्दी ही शुरू कराकर उन्हें जल्द से जल्द नौकरी दी जाये। वहीं परियोजना का विरोध करने कुछ मुट्ठी भर ग्रामीणों को भड़काने के लिए बाहरी एनजीओ के विरोध में जम के नारे लगाए।

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