Close

खाने पीने की चीजों की महंगाई में उछाल, सरकार ने काबू पाने के लिए मसूर दाल पर घटाया इंपोर्ट ड्यूटी तो पाम ऑयल पर घटा कृषि सेस

खुदरा महंगाई दर ( Retail Inflation Rate) 6 फीसदी के पार जा पहुंचा है. खाने पीने की महंगाई से आम लोगों की जेब ढीली हो रही है तो इसने सरकार की भी परेशानी बढ़ा रखी है. खाद्य महंगाई (Food Inflation) पर काबू पाने के लिए सरकार ने ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से आने वाले मसूर के दाल पर इंपोर्ट ड्यूटी ( Import Duty) को घटाकर शून्य कर दिया है तो अमेरिका से आने वाले मसूर दाल पर इंपोर्ट ड्यूटी को 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दिया गया है.

खाने के तेल के दामों में फिर से तेजी देखी जा रही है. थोक बाजार में फिर से सरसों तेल के दाम 175 रुपये प्रति किलो के पार जा पहुंचा है. वैश्विक कारणों ( Global Reasons) और इंडोनेशिया के पाम ऑयल एक्सपोर्ट पॉलिसी में बदलाव किए जाने और दक्षिण अमेरिका में सोयाबीन के फसल की चिंता को लेकर दाम फिर से बढ़ने लगे हैं.

सरकार ने कच्चे पाम तेल पर कृषि-सेस घटाने का फैसला लिया गया है जिससे घरेलू खाद्य तेल मिलों को मदद मिलेगी और खाना पकाने में इस्तेमाल होने वाले तेलों की कीमतें भी काबू में रहेंगी. वित्त मंत्रालय ने कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस 7.5 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने की घोषणा की है इससे कच्चे पाम तेल के आयात पर प्रभावी शुल्क 8.25 प्रतिशत से घटकर 5.5 प्रतिशत रह गया है. खाद्य आपूर्ति मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कच्चे पाम तेल पर कृषि उपकर घटाए जाने से उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी और घरेलू स्तर पर खाद्य तेलों की कीमतों को काबू में रखने में मदद मिलेगी.

खाद्य मंत्रालय ने कहा, ‘कृषि उपकर में कटौती होने के बाद कच्चे पाम तेल और रिफाइंड पाम तेल के बीच आयात शुल्क का फासला बढ़कर 8.25 फीसदी हो गया है. यह अंतर बढ़ने से घरेलू रिफाइंड तेल उद्योग कच्चे पाम तेल के आयात से लाभान्वित होगा. इसके साथ ही सरकार ने कच्चे पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूर्यमुखी तेल पर मूल आयात शुल्क को शून्य फीसदी रखने का निर्णय सितंबर 2022 तक बढ़ाने की भी घोषणा की है.
One Comment
scroll to top