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वेदांता की इंडियन यूनिट पर नियंत्रण के लिए अनिल अग्रवाल ने ओपन ऑफर की कीमत बढ़ाई

वेदांता ग्रुप के फाउंडर अनिल अग्रवाल ने अपनी कंपनी वेदांता रिसोर्सेज की भारतीय यूनिट के अधिग्रहण के लिए इसके शेयरों को गिरवी रखा है. इससे टेकओवर की उनकी यह कोशिश आसान हो जाएगी. कैश-रिच भारतीय इकाई का टेकओवर ग्रुप पर बढ़ते कर्ज के बोझ को कम करने के उनके प्लान का एक हिस्सा है. लंदन स्थित वेदांता रिसोर्सेज बीएसई में लिस्टेड वेदांता की 17.51 हिस्सेदारी खरीदेगी. इसके लिए वह 235 प्रति शेयर के हिसाब से खरीदारी करेगी. यह पिछली बार ऑफर की गई कीमत से अधिक है.

वेदांता रिसोर्सेज की वेदांता में मौजूद 55 फीसदी होल्डिंग डॉलर बॉन्ड सेल की शर्तों के तहत कोलेटरल पर रखी गई है. यह सेल इस महीने के आखिर में होगी और इससे ओपन ऑफर की आंशिक फंडिंग होगी. अनिल अग्रवाल के इस नए ऑफर के बाद मंगलवार को वेदांता के शेयर बढ़ कर 226.50 रुपये पर पहुंच गए. अगर नया सौदा सफल रहता है तो अग्रवाल का वेदांता पर पूरा कंट्रोल हो जाएगा. इससे पहले कंपनी के शेयरहोल्डर अग्रवाल की एक अधिग्रहण की कोशिश को नाकाम कर चुके हैं. उनकी पर्सनल होल्डिंग कंपनी पर 7 अरब डॉलर का कर्ज है. अगर वेदांता पर उनका नियंत्रण हो जाता है तो वह कैश-रिच कंपनी से इस कर्ज को कम कर सकते हैं.

अगर वेदांता ने पूरे 65 करोड़ से ज्यादा शेयरों के लिए बिड मंजूर कर ली तो यह डील 153 अरब रुपये की होगी. पहले यह डील 59.48 अरब डॉलर की थी . यह ओपन ऑफर जनवरी में आएगा. ऑफर 23 मार्च से 7 अप्रैल तक चलेगा. सिटीकॉर्प इंटरनेशनल डॉलर बॉन्ड होल्डर्स के लिए ट्रस्टी के तौर पर काम कर रहा है . इसने वेदांता रिसोर्सेज की वेदांता की इंडियन यूनियन में शेयर होल्डिंग को सीमित कर दिया था.

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