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हनुमान जयंती विशेष :रामनगरी में राजा के रूप में विराजमान हैं हनुमान, संभालते हैं अयोध्या का कार्यभार

 

अयोध्या। पूरे देश में धूमधाम के साथ अंजनी पुत्र हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. तो वहीं मंदिर और मूर्ति की नगरी अयोध्या में भी राम भक्त हनुमान जी राजा के रूप में विराजमान हैं. ऐसी मान्यता है कि भगवान राम के आदेश पर आज भी वीर हनुमान अयोध्या का कार्यभार संभालते हैं. राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर है, जिसे पवन पुत्र हनुमान का घर माना जाता है. यहां पर पवन पुत्र हनुमान माता अंजनी की गोद में विराजमान हैं. हनुमानगढ़ी मंदिर में प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए आते हैं. लगभग 76 सीढ़ी चढ़ने के बाद पवन पुत्र हनुमान के बाल रूप का दर्शन पाते हैं.

मान्यता यह भी है कि प्रभु राम के दर्शन से पहले पवन पुत्र हनुमान का दर्शन करना चाहिए. इस प्राचीन मंदिर का निर्माण भी अवध के नवाब ने कराया था. आज हनुमान जन्मोत्सव है और आज के दिन हनुमानगढ़ी में भोर से ही लाखों की संख्या में कतार में भक्त दर्शन पूजन कर रहे हैं.

हनुमान हैं अयोध्या के राजा
आस्था है कि जब प्रभु राम लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे थे. तो उसके बाद अपने परमधाम को जाने लगे तो हनुमान को अयोध्या का राजा बना दिया और राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर उनको निवास मिला. 17वीं सदी में हनुमानगढ़ी मंदिर टीले पर पेड़ के नीचे विराजमान था और उस समय यह क्षेत्र अवध के नवाबों के क्षेत्र में आता था. आज से लगभग 300 साल पूर्व नवाब सिराजुद्दौला ने इस मंदिर को भव्य रूप में स्थापित कराया था. हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत राजू दास बताते हैं कि उस समय नवाब सिराजुद्दौला के पुत्र को कोई बीमारी हो गई थी, जिसके बाद हनुमानगढ़ी में उस समय पूजा आराधना करने वाले अभय रामदास के पास आए और तब अभय रामदास ने उनको हनुमान जी का दर्शन करने को कहा. इसके बाद नवाब के पुत्र स्वस्थ हो गए. अभय रामदास के आग्रह पर नवाब ने इस मंदिर का निर्माण कराया.

धार्मिक मान्यता के मुताबिक जब प्रभु राम अपने परमधाम को जाने लगे, तो हनुमान को अयोध्या का राजा बना दिया और आज भी पवन पुत्र हनुमान अयोध्या में राजा के रूप में विराजमान हैं. बिना उनकी आज्ञा के प्रभु राम का दर्शन करना नहीं चाहिए. इसका प्रत्यक्ष उदाहरण गोस्वामी तुलसीदास ने हनुमान चालीसा में भी लिखा है. ‘राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे’…अर्थात हनुमान की आज्ञा के बिना ही आप प्रभु राम के दर्शन कर सकते हैं.

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