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कही-सुनी (26 JUNE-22): गणित में फिट नहीं बैठ पायी अनुसुईया उइके

(रवि भोई की कलम से)


कहते हैं एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उड़के का नाम चला था, लेकिन वोट की गणित में फिट नहीं हो पाई और साथ ही आरएसएस के लोगों का पूरा साथ भी नहीं मिल पाया। कहा जा रहा है कि एनडीए को अपना राष्ट्रपति बनवाने में तकरीबन एकलाख वोट कम पड़ रहे थे। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनाए जाने से उनके पक्ष में बीजू जनता दल और झारखंड मुक्ति मोर्चा जैसे दल आ गए हैं। इससे मामला फिट बैठ गया है। झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार है और कांग्रेस सहयोगी दल है, फिर भी झामुमो ने संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की जगह भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट करने का फैसला कर लिया है, तो इसके पीछे कई कारण हैं। एक तो द्रौपदी मुर्मू संथाल आदिवासी हैं और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी संथाल हैं। झारखंड में आदिवासियों की कुल आबादी का 31फीसदी संथाल हैं। देशभर में 15 करोड़ संथाल आदिवासी बताए जाते हैं। दूसरा बड़ा कारण बताया जा रहा है द्रौपदी मुर्मू और हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का ओडिशा के मयूरभंज जिले का निवासी होना। कल्पना सोरेन का परिवार अभी भी मयूरभंज जिले में निवासरत है। चर्चा है कि जब द्रौपदी मुर्मूझारखंड की राज्यपाल थीं, तब हेमंत सोरेन विपक्ष के नेता थे। दोनों के संबंध काफी मधुर थे। राज्यपाल की हैसियत से द्रौपदी मुर्मू ने हेमंत सोरेन के दबाव के बाद एक विवादस्पद बिल को वापस लेने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को कहा था। खबर है कि द्रौपदी मुर्मू को राज्यपाल बनवाने में संघ के एक नेता की बड़ी भूमिका थी, अब उन्हें राष्ट्रपति उम्मीदवार बनवाने की पहल भी संघ के उसी नेता ने की। संघ के ये नेता मूलतः ओडिशा के रहने वाले हैं और छत्तीसगढ़ में संभागीय संगठन महामंत्री रह चुके हैं। छत्तीसगढ़ के बाद उन्हें झारखंड भेजा गया था। द्रौपदी मुर्मू के ओडिशा के होने के कारण बीजू जनता दल के सुप्रीमो और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के दोनों हाथ में लड्डू आ गया और उन्होंने फटाफट एनडीए प्रत्याशी का समर्थन कर दिया। राष्ट्रपति पद पर पहुंचने वाली ओडिशा में जन्मी द्रौपदी मुर्मू दूसरी होंगी। देश के चौथे राष्ट्रपति वी. वी. गिरी ओडिशा के गंजाम जिले के ब्रम्हपुर में जन्मे थे।

थाना परिसर में ही लडे कांग्रेसी

चर्चा है कि महासमुंद जिले के एक थाना परिसर में ही जिले के दो ताकतवर कांग्रेसी नेताओं के समर्थक आपस में लड़ पड़े। कहने वाले कह रहे हैं हथियार भी निकल आए थे। दो ताकतवर लोगों और सत्ता से जुड़े होने के कारण पुलिस भी हाथ बांधली है और मुंह बंद कर लिया है। कहते हैं ताकतवर लोगों के समर्थक जिले में कुछ-कुछ घंधे चलाते हैं, जिसके चलते ही विवाद बढ़ा और मामला थाने तक जा पहुंचा। कहते हैं न सत्ता आती है तो कुछ बुराइयां भी ले आती है, ऐसा ही कुछ इन नेताओं के साथ हुआ। कांग्रेस की सरकार आने से पहले ये दोनों नेता कहां थे, कोई नहीं जानता था। सरकार आने के बाद दोनों को ताज मिल गया। पावर प्रदर्शन के लिए कुलांचे मारने लगा। खबर है कि पार्टी के लोग भी इस मामले में मौन है, लेकिन लोग चटखारे ले रहे हैं।

केंद्रीय अफसर और डॉक्टर जमीन के खेल में

कहते हैं बिलासपुर के एक शिशुरोग विशेषज्ञ और टैक्स से जुड़े केंद्र सरकार के एक विभाग के रायपुर कार्यालय में पदस्थ एक अधिकारी का जमीन मोह चर्चा का विषय है। कहा जा रहा है कि दोनों मिलकर बिलासपुर शहर और आसपास के इलाके में करोड़ों की जमीन खरीद ली है। खबर है कि बिलासपुर में शिशुरोग विशेषज्ञ की प्रैक्टिस अच्छी खासी है और केंद्रीय अफसर भीरुतबेदार हैं। अब किसकी कमाई से जमीन खरीद रहे, यह तो वही जाने, लेकिन बिलासपुर में दोनों का काम खासे सुर्खियों में है।

कांग्रेस की तिकड़ी

कांग्रेस में आजकल रामगोपाल अग्रवाल, गिरीश देवांगन और सनी अग्रवाल की जोड़ी की बड़ी चर्चा में है। शहर में जगह जगह तीनों की तस्वीरों के साथ होर्डिंग्स लगे दिखाई भी पड़ते हैं। तीनों ही अलग-अलग निगम-मंडल के अध्यक्ष हैं। रामगोपाल अग्रवाल प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष और गिरीश देवांगन प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी हैं। सनी अग्रवाल को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कुछ महीने पहले अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निलंबित कर दिया था। प्रभारी महासचिव पीएल पनिया के हस्तक्षेप के बाद उन्हें बहाल किया गया। तीनों को मुख्यमंत्री का करीबी माना जाता है। होर्डिंग्स में तीनों की तस्वीर के बाद कांग्रेसियों ने ही कांग्रेस की तिकड़ी नाम दे दिया है।

आईपीएस नेहा चंपावत डेपुटेशन पर जाएंगी

2004 बैच की आईपीएस अधिकारी नेहा चंपावत भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जाएंगी। नेहा चंपावत अभी मंत्रालय में गृह विभाग में सचिव हैं, लेकिन वे लंबी छुट्टी पर चली गई हैं। खबर है कि राज्य सरकारने प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए नेहा चंपावत को अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) दे दिया है। नेहा चंपावत के पति आईएएस अविनाश चंपावत केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं। वे कुछ महीने पहले ही छत्तीसगढ़ छोड़कर डेपुटेशन पर नीति आयोग गए हैं। चर्चा है कि 2008 बैच के आईएएस नीरज बंसोड़ ने भी प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए आवेदन किया है। नीरज बंसोड़ करीब तीन साल से स्वास्थ्य संचालक के पद पर पदस्थ हैं।

आईएएस और आईपीएस अफसरों के ट्रांसफर जल्द

इस महीने के अंत तक या जुलाई के पहले हफ्ते में जिलों में पदस्थ आईएएस और आईपीएस अफसरों के ट्रांसफर की खबर है। कहा जा रहा है कि जिलों में पोस्टिंग 2023 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया जाएगा। इस हेरफेर में मंत्रालय स्तर पर भी कुछ बदलाव हो सकता है। अब देखते हैं कब तक लिस्ट निकलती है।

पीएससी का अवमूल्यन

छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग संवैधानिक संस्था है और आमतौर परराज्यसेवा के अफसरों की भर्ती और प्रमोशन के मामले उसके अधीन होते हैं। पहली दफे राज्य में चपरासियों की नियुक्ति भी पीएससी करेगा। इसे लोग पीएससी जैसी संवैधानिक संस्था का अवमूल्यन मान रहे हैं। यह अलग बात है चपरासी बनने के लिए आवेदनों की बाढ़ आ गई है और मास्टर व तकनीकी डिग्री वाले युवा भी चतुर्थ श्रेणी के पद चपरासी के दावेदार बताए जारहे हैं।


(लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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