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श्रीलंका क्राइसिस: रानिल विक्रमसिंघे बने श्रीलंका के नए राष्ट्रपति, विरोध प्रदर्शन कर जताई नाराजगी

कोलंबो। देश में अनिश्चितता के बीच नए राष्ट्रपति का चुनाव हो गया। विक्रमसिंघे नवंबर 2024 तक पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे के शेष कार्यकाल के लिए पद पर रहेंगे। राष्ट्रपति पद के लिए जिन तीन नामों का प्रस्ताव किया गया था उनमें रानिल विक्रमसिंघे (73), दुल्लास अल्हाप्पेरुमा(63) और अनुरा कुमारा दिसानायके (53) शामिल थे।

श्रीलंका में आज हुए राष्ट्रपति चुनाव में कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे नए राष्ट्रपति चुन लिए गए। उन्होंने त्रिकोणीय मुकाबले में जीत हासिल की। सांसदों ने मंगलवार को उम्मीदवारों के रूप में कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे समेत तीन नामों का प्रस्ताव किया था।

नए राष्ट्रपति चुने गए विक्रमसिंघे नवंबर 2024 तक पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे के शेष कार्यकाल के लिए पद पर रहेंगे। राष्ट्रपति पद के लिए जिन तीन नामों का प्रस्ताव किया गया था उनमें रानिल विक्रमसिंघे (73), दुल्लास अल्हाप्पेरुमा(63) और अनुरा कुमारा दिसानायके (53) शामिल थे। अल्हाप्पेरुमा कट्टर सिंहली बौद्ध राष्ट्रवादी और सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी के सदस्य हैं। उन्हें मुख्य विपक्षी नेता एस. प्रेमदासा ने समर्थन देकर अपना नाम वापस लिया है। वहीं, दिसानायके वामपंथी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के प्रमुख सदस्य हैं।

विश्वसनीय और पारदर्शी सरकार के समर्थन की बात
इससे पूर्व विक्रम सिंघे व विपक्ष के नेता साजिथ प्रेमदासा समेत अनेक नेताओं ने संसद पहुंचकर मतदान किया। प्रेमदासा ने ट्वीट कर कहा था कि हम भ्रष्टाचार विरोधी, सभी के लिए समृद्धि, विश्वसनीय और पारदर्शी सरकार का समर्थन करेंगे।’ प्रेमदासा ने कल राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी।

राष्ट्रपति सचिवालय के बाहर फिर प्रदर्शनकारी उमड़े
विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद राष्ट्रपति सचिवालय के बाहर एक बार फिर प्रदर्शनकारी उमड़ पड़े हैं। उनका विरोध किया जा रहा है।

मैं राजपक्षे प्रशासन का हिस्सा नहीं था : विक्रमसिंघे
राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने विभिन्न मुद्दों को लेकर बदनाम हुई राजपक्षे सरकार से दूरी बनाते हुए कहा था कि वह ‘उस प्रशासन’ में नहीं थे और उन्हें दिवालिया देश की ‘अर्थव्यवस्था को संभालने’ के लिए नियुक्त किया गया था।

इसलिए संसद चुनती है नया राष्ट्रपति
श्रीलंका के संविधान के मुताबिक बीच कार्यकाल में निर्वाचित राष्ट्रपति के हट जाने पर संसद नए राष्ट्रपति का चुनाव करती है। देश में चल रहे जोरदार सरकार विरोधी आंदोलन के कारण 2019 के चुनाव में विजयी हुए गोतबाया राजपक्षे 13 जुलाई को देश छोड़ कर भाग गए थे। बाद में उन्होंने अपना इस्तीफा भेज दिया था। श्रीलंका की संसद में 225 सदस्य हैं। इनमें से कितनों ने वोट डाले और विक्रमसिंघे को कितने का समर्थन मिला, यह अभी पता नहीं चला है।

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