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बिहार में अश्वमेध का घोड़ा रोका गया?

लव कुमार मिश्र
पटना। दक्षिण में कर्नाटक, पश्चिम में गोवा और महाराष्ट्र, सुदूर उत्तर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में अश्वमेध का घोड़ा रौंदता हुआ गंगा किनारे पटना पहुंचा, लेकिन यहां गंगा, सोन और पुनपुन के दलदल में फंस गया।

पटना तो अशोक की राजधानी रही है और जहां इतिहास में चाणक्य जैसे राजनीति के कुशल नेतृत्व की पैदाइश है, वहां देश के समसामयिक घटनाचक्र में चाणक्य के रूप मे ख्याति प्राप्त नेता को जरासंध की धरती में पैदा एक विद्युत अभियंता के बाद नेता बने नीतीश कुमार ने अपने आपको सत्तू और लिट्टी चोखा वाले चाणक्य के रूप में बड़ी लकीर खींच दी है।

नीतीश कुमार जो कभी विश्वनाथ प्रताप सिंह, देवी लाल, अटल बिहारी वाजपेयी के सहयोगी रह चुके हैं। उन्होंने नरेंद्र मोदी और उनके सहयोगियों के समक्ष 2013 में रखी खाने की थाली खींच ली थी, और 2022 में इनके 16 सहयोगियों को बिना नोटिस दिए कुर्सी से बेदखल कर दिया, 26 जून 2013 को भी ऐसा ही किया था।

उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन को दुख है एक दिन पहले मुख्यमंत्री ने उनके साथ तीन बैठकों में मुख्य अतिथि थे। जिस दिन सत्ता से बेदखल हुए, दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर मंत्री थे और जब 1.20 घंटा बाद पटना के जयप्रकाश नारायण अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर उतरे तो, भूतपूर्व हो चुके थे।

नीतीश कुमार 2013 में साम्प्रदायिकता के बहाने बीजेपी से अलग हुए और जुलाई 2017 में भ्रष्टाचार के नाम पर आरजेडी को अलग किया था। इस बार उनकी अंतरात्मा फिर जागी। उनके पूर्व सचिव जिला के निवासी और स्वजाती रामचंद्र प्रसाद सिंह पर आरोप लगा कि उनके साथ मिलकर बीजेपी इनकी पार्टी को तोड़ने की योजना बना रही है। नीतीश सरकार को अपदस्थ करने की कोशिश हो रही है।

इस बार कोई सिद्धांत की बात नहीं थी। बीजेपी द्वारा महाराष्ट्र स्टाइल में षड्यंत्र के तहत इनके पूर्व सचिव को बिहार का एकनाथ शिंदे बनाया जा रहा था।

नीतीश कुमार शपथ लेते ही घोषणा कर दी कि वे 2024 के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी को टक्कर देंगे। देश के सारे विपक्ष को इकट्ठा करेंगे, लेकिन खुद प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे, लेकिन नीतीश कुमार को निराशा ही हुई क्योंकि तीन दिनों के बाद भी उत्तर, दक्षिण, पश्चिम एवं पूर्व के किसी भी गैर बीजेपी नेता ने इनके निर्णय का न ही समर्थन किया और न ही मुख्यमंत्री बनने पर बधाई दी।

कांग्रेस के प्रवक्ता संदीप दीक्षित ने तो विपक्ष के नेता के रूप में राहुल गांधी को ही प्रोजेक्ट किया। ऐसा लगता है नीतीश जी को अब बिहार की ही राजनीति करनी होगी। उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में लालू जी कितना सरंक्षण और स्वायतता देते हैं यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

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