सात अप्रैल, 1989 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने एक आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि यदि सामान्य संपत्ति बंजर, भीटा, ऊसर आदि भूमि का इस्तेमाल वक्फ के रूप में किया जा रहा हो तो उसे वक्फ संपत्ति के रूप में ही दर्ज कर दिया जाए। इसके बाद उसका सीमांकन किया जाए। इस आदेश के चलते प्रदेश में लाखों हेक्टेयर बंजर, भीटा, ऊसर भूमि वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज कर ली गईं।
मौजूदा प्रदेश सरकार का कहना है
मौजूदा प्रदेश सरकार का कहना है कि संपत्तियों के स्वरूप अथवा प्रबंधन में किया गया परिवर्तन राजस्व कानूनों के विपरीत है। बीते दिनों राजस्व परिषद के प्रमुख सचिव सुधीर गर्ग ने 33 साल पुराने आदेश को समाप्त कर दस्तावेजों को दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे। अब अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ अनुभाग के उप सचिव शकील अहमद सिद्दीकी ने सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर इस तरह के सभी भूखंडों की सूचना एक माह में मांगी है। साथ ही अभिलेखों को भी दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं।
उप सचिव का कहना है कि शासन द्वारा एक बार फिर से उत्तर प्रदेश मुस्लिम वक्फ अधिनियम 1960 को लागू करते हुए वक्फ बोर्ड की सभी संपत्तियों का रिकॉर्ड मेंटेन किया जाएगा। ऐसी संपत्तियों के रिकॉर्ड में कब्रिस्तान, मस्जिद, ईदगाह जैसी स्थिति में सही दर्ज है या नहीं, इन सबका अवलोकन किया जाएगा।
इस सर्वे पर विपक्ष का क्या कहना है?
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार सिर्फ हिन्दू-मुस्लिम कर रही है। वक्फ की जांच करवाकर मुद्दों से भटकाने का काम हो रहा है। हम सर्वे के खिलाफ हैं। सर्वे नहीं होना चाहिए। AIMIM नेता सैयद असीम वकार ने वक्फ की जांच को एकतरफा कार्रवाई बताया। उन्होंने कहा कि आप सिर्फ मुसलमानों को परेशान कर रहे हैं। केवल उनकी ही जांच कर रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि बहुत से बड़े-बड़े धर्मशालाओं और मंदिरों के भी ट्रस्ट हैं, उनकी जांच क्यों नहीं हो रही है? वकार ने कहा कि आप की नजर अगर घपले और घोटालों पर है तो सभी की जांच कराइये।
वक्फ कोई भी चल या अचल संपत्ति हो सकती है, जिसे इस्लाम को मानने वाला कोई भी व्यक्ति धार्मिक कार्यों के लिए जो दान करके जाता है। इस दान की हुई संपत्ति की कोई भी मालिक नहीं होता है। दान की हुई इस संपत्ति का मालिक अल्लाह को माना जाता है। लेकिन, उसे संचालित करने के लिए कुछ संस्थान बनाए गए है।
वक्फ करने के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं
वक्फ करने के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं। जैसे- अगर किसी व्यक्ति के पास एक से अधिक मकान है और वह उनमें से एक को वक्फ करना चाहता है तो वह अपनी वसीयत में एक मकान को वक्फ के लिए दान करने के बारे में लिख सकता है। ऐसे में उस मकान को संबंधित व्यक्ति की मौत के बाद उसका परिवार इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। उसे वक्फ की संपत्ति का संचालन करने वाली संस्था आगे सामाजिक कार्य में इस्तेमाल करेगी। इसी तरह शेयर से लेकर घर, मकान, किताब से लेकर कैश तक वक्फ किया जा सकता है।
One Comment
Comments are closed.