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नक्सल प्रभावित क्षेत्र ओड़ आमामोरा में हेलीकॉप्टर से नहीं सड़क मार्ग से पहुंचे मतदान दल, लोकतंत्र के महापर्व में ग्रामीणों ने दिखाया भारी उत्साह

 

0 प्राकृतिक सुंदरता में छत्तीसगढ़ के कश्मीर के नाम से मशहूर ग्राम ओढ़ आमामोरा सड़क , स्वास्थ्य, पेयजल, शिक्षा जैसे बुनियादी सुविधाओ की कमी

० 26 वर्ष पहले अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ओंढ़ आमामोरा मे कमार जनजातियों के बीच बिताई थी रात गांव में चौपाल लगाकर सुना था समस्या

० गरियाबंद के युवा कलेक्टर आकाश छिकारा एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित तुकाराम कांबले चार माह पहले ओड़ आमामोरा मोटरसाइकिल से पहुंचे थे

० जिला प्रशासन के विशेष प्रयास से सड़क निर्माण कार्य प्रारंभ सड़क निर्माण से गांव में पहुंचेगी विकास की किरण

जीवन एस साहू

गरियाबंद।उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के अंतर्गत गरियाबंद जिले के अंतिम छोर और जमीन सतह से लगभग 2000 मीटर की उंचाई पहाड़ों के ऊपर बसे विशेष पिछड़ी जनजाति कमार आदिवासी बाहूल्य ग्राम पंचायत ओंढ एंव आमामोरा आज आजादी के 75 वर्षो बाद भी मूलभूत बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहा है, ग्राम पंचायत ओढ एंव आमामोरा दो अलग अलग ग्राम पंचायत है और ये वही ग्राम पंचायत है, जहां नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मतदान दलों को हेलीकाप्टर के सहारे पहुंचाया जाता था, लेकिन अब इस क्षेत्र में पुलिसबल तैनात होने और पुलिस चौकी खुलने से नक्सली दहशत कम हो गई है साथ ही इस बार विधानसभा चुनाव में यहां हेलीकाप्टर के बजाए मतदान दल को सड़क मार्ग से पहुंचाया गया था और मतदान करवाकर दल सकुशल लौटा , सबसे बडी महत्वपूर्ण बात इस बीहड़ वनांचल पहाड़ी क्षेत्र में लोकतंत्र के महापर्व में ग्रामीणों ने जबरदस्त उत्साह दिखाया है, और आमामोरा, ओढ़ में 80 प्रतिशत मतदान इसका उदाहरण है यहां मतदाता अपने मतों की कीमत को समझते है और जागरूक मतदाता का परिचय देते हुए मतदान किये है।

 

खुबसूरत पहाड़ी के ऊपर बसा गांव में ठंड के दिनो में कश्मीर जैसा रहता है नज़ारा

इस खुबसूरत पहाड़ी क्षेत्र को छत्तीसगढ का कश्मीर भी कहा जाता है, इस पहाड़ी क्षेत्र में ठंड इतना ज्यादा पड़ता है कि सुबह घरों के उपर खपरैल और पेड़ पौधों के पत्तो में बर्फ जम जाती है। मैनपुर गरियाबंद नेशनल हाईवे मार्ग 130 सी मैनपुर से 09 किलोमीटर दुर छिन्दौला से आमामोरा 28 किलोमीटर दुर है इस मार्ग में बड़े बड़े नदी नाले और उबड़ खाबड़ रास्ते है हालांकि अब सडक निर्माण कार्य शुरू किया गया है, जिला प्रशासन गरियाबंद के विशेष पहल से इस जनजाति पहाड़ी ग्रामों के लोगो को सुविधा उपलब्ध कराने सडक निर्माण कार्य किया जा रहा है, कही कही सी.सी सडक का निर्माण किया जा रहा है तो कुछ दुर तक डामरीकरण सडक का निर्माण किया जायेगा, आने वाले कुछ वर्षो में बेहतर सड़क निर्माण होने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता लेकिन आज भी यहां तक पहुंचने के लिए पक्की सडक का निर्माण नही किया गया है, जिसके कारण यहां दुर्गम इलाका में पहुंचना किसी चुनौती से कम नही है।

ग्राम पंचायत ओंढ के तीन आश्रित ग्राम हथौडाडीह, अमलोर,नगरार में मूलभूत समस्या

ग्राम पंचायत ओंढ़ की जनसंख्या लगभग 770 के आसपास है और इस पंचायत क्षेत्र में कमार, भुंजिया जनजाति के लोग निवास करते है, साथ ही अन्य समाज के लोग भी निवास करते है, ग्राम पंचायत ओंढ के तीन आश्रित ग्राम है अमलोर, हथौडाडीह, और नगरार इन आश्रित ग्रामों तक पहुंचना बहुत बडी चुनौती है क्योंकि सडक की स्थिति बेहद ही खराब है पंगडडी मार्ग से होकर यहा पहुचा जाता है, ग्राम ओंढ में वन विभाग द्वारा एक रेस्ट हाऊस का निर्माण किया गया है, ग्राम ओढ से लगभग 08 किलोमीटर दुर ग्राम पंचायत आमामोरा है जिसकी जनसंख्या 1000 के आसपास है यहां भी कमार भुजिया जनजाति के अलावा, रावत एंव अन्य जनजाति के लोग निवास करते है, ग्राम पंचायत आमामोरा के दो आश्रित ग्राम है जो ओडिसा सीमा से लगा हुआ है जोकपारा और कुकरार।

ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल की है दरकार, आयरन युक्त पानी पीने मजबूर

बीहड़ पहाडी के उपर बसे ग्राम पंचायत ओंढ आमामोरा व उनके आश्रित ग्रामो में शासन के द्वारा हेडपम्प लगाया गया है, और दो जगह वन विभाग द्वारा सोलर पम्प लगाया गया है, लेकिन अधिकांश हेडम्पपो में आयरन युक्त लाल पानी निकलने के कारण ग्रामीण नदी नाले झरिया और कुंआ का पानी पीना पंसद करते है क्योंकि हैडपम्पों से निकलने वाला पानी कुछ समय बाद लाल हो जाता है, और लाल पानी से खाना नही बन पाता, अभी जल जीवन मिशन के तहत यहां पेयजल उपलब्ध कराने के लिए पीएचई विभाग द्वारा प्रयास किया जा रहा है।

नही है स्वास्थ्य सुविधा भगवान भरोसे जीवन यापन करते है ग्रामीण

पहाड़ी के उपर बसे आमामोरा और ओढ ग्राम पंचायत में स्वास्थ्य सुविधा की स्थिति बेहद खराब है यहां घटना दुर्घटना या गंभीर स्थिति के साथ गर्भवती माताओं को विषम परिस्थितियों मे कांवर और खाट में लिटाकर मिलो पैदल दुरी तय कर अस्पताल तक लाना पड़ता है हालांकि स्वास्थ्य विभाग द्वारा चार छः माह में स्वास्थ्य शिविर का आयोजन कर दवा कर वितरण किया जाता है यहां के लोगो ने नियमित और स्थाई रूप से उपस्वास्थ्य केन्द्र खोलने की मांग की है, यहां वर्तमान में स्वास्थ्य कार्यकर्ता पदस्थ है ग्रामीणों ने उपस्वास्थ्य केन्द्र सहित पुरूष व महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता तैनात करने की मांग की है।

नाम का है सौर उर्जा प्लेट सारे उपकरण खराब पड़े है

ग्राम पंचायत ओंढ़ आमामोरा के ग्रामीणों ने बताया आज तक बिजली नही लगाया गया है लेकिन सौर उर्जा प्लेट लगाया गया है, आश्रित ग्रामों में सौर प्लेट की हालत बेहद खराब है, जिसमें आए दिनों बैटरी, सौर प्लेट में खराबी के चलते इसका जो लाभ मिलना चाहिए नही मिल पाता, महज कुछ घंटे ही चलने के बाद पुरा रात यहां के ग्रामीणों को लकड़ी के अलाव जलाकर रात के अंधेरें से संघर्ष करना पड़ता है।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह 28 वर्ष पहले अचानक पहुचे थे ओंढ़ आमामोरा

अविभाजित मध्यप्रदेश के दौरान मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जनवरी सन् 1994 में कड़ाके के ठंड के बीच ग्राम ओंढ और आमामोरा पहुंचे थे, और बकायदा मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ग्राम ओंढ आमामोरा में पुरा रात बिताया था, यहां के विशेष पिछडी कमार , भुंजिया जनजातियों के जीवन शैली को बहुत नजदीक से देखा था रात में अलाव जलाकर ग्रामीणों की समस्या को सुना था, और ग्राम ओढ से आमामोरा लगभग 08 किलोमीटर पैदल दिग्विजय सिंह चलकर पहुंचे थे। वही दूसरी ओर आमामोरा ओंढ में वर्ष 2008- 09 में जब आंध्रप्रदेश उल्टी दस्त से एक दर्जन ग्रामीणों की मौत हो गई थी उस दौरान छत्तीसगढ के प्रथम मुख्यमंत्री स्वः अजीत जोगी नदी नालों को पार कर बारिश के दिनो में आमामोरा पहुंचे थे, और उन्होने ओढ और आमामोरा के ग्रामीणा की समस्याओं को सुना था,

11-12 साल पूर्व आमामोरा, ओंढ क्षेत्र में एडिशनल एसपी सहित 9 जवान हुए थे शहीद

ज्ञात हो कि ओंढ़ आमामोरा क्षेत्र ओड़िसा सीमा से लगा हुआ है और धूर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के नाम से जाना जाता है लगभग 11-12 वर्ष पहले गरियाबंद के तत्कालीन एडिशनल एसपी राजेश पवार सहित 09 जवान नक्सली हमला में शहीद हो गये थे, ओडिसा छत्तीसगढ़ी आमामोरा सोनाबेड़ा क्षेत्र में यह घटना घटी थी, इसके बाद से यह क्षेत्र धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्रो में जाने जाना लगा।

गरियाबंद कलेक्टर आकाश छिकारा एंव पुलिस अधीक्षक अमित तुकाराम कांबले 4 माह पहले मोटर सायकल से पहुंचे थे ओंढ आमामोरा

गरियाबंद जिला के युवा कलेक्टर आकाश छिकारा एंव वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित तुकाराम कांबले मोटर सायकल के सहारे पहाड़ी के उपर बसे ओंढ आमामोरा तक लगभग 04 माह पहले पहुंचे थे इस दौरान गरियाबंद जिला के कलेक्टर आकाश छिकारा और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अंतिम तुकाराम कांबले ने गांव में चौपाल लगाकर ग्रामीणों की समस्याओं को सुना था। कलेक्टर और एसपी के आमामोरा ओढ पहुंचने के बाद यहां प्रशासन के कई विभाग ने अपने कार्यों को गति देने का प्रयास शुरू में किया लेकिन अब फिर जो विकास कार्य थे वह धीमा हो गया है, यहां के समस्याओं को कलेक्टर और एसपी ने बहुत नजदीक से देखा है साथ ही जिला प्रशासन के विशेष प्रयास से ही सड़क व अन्य सुविधाए उपलब्ध कराने लगातार प्रयास किया जा रहा है।

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