जेडीयू के इस अधिवेशन के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है कि क्या नीतीश कुमार का मन फिर से डोल रहा है। सीएम नीतीश ने अधिवेशन में कुछ ऐसी बातें कही जिसके बाद से इस तरह के सवाल उठ रहे हैं। इतना हीं नहीं सीएम के भाषण के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की ओर से नीतीश कुमार को लेकर की गई भविष्यवाणी सच होने जा रही है।
सीएम नीतीश ने आरोप लगाया
नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार सरकार में वरिष्ठ मंत्री बिजेंद्र यादव और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की सलाह पर उन्होंने एनडीए से अलग होने का फैसला लिया। उन्होंने यह भी कहा कि इन्हीं दोनों नेताओं ने सलाह दी थी कि एनडीए से अलग होकर महागठबंधन में शामिल होकर 7 दलों की सरकार बनाएं। इस दौरान सीएम नीतीश ने आरोप लगाया कि 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ होने के बावजूद उन्होंने जेडीयू को डैमेज करने का काम किया। आरोप लगाया कि बीजेपी बिहार में जेडीयू को पूरी तरह से कमजोर करने के एजेंडे पर काम कर रही थी।
सीएम नीतीश को लेकर लगातार बयान
चुनावी रणनीतिकार इन दिनों बिहार में स्वराज यात्रा कर रहे हैं। इस दौरान वह सीएम नीतीश को लेकर लगातार बयान दे रहे हैं। इसी दौरान प्रशांत किशोर ने कुढ़नी उपचुनाव में जेडीयू प्रत्याशी की हार के बाद आरोप लगाया है कि नीतीश कुमार एक बार फिर से पाला बदल सकते हैं। इससे पहले प्रशांत ने तर्क दिया था कि जेडीयू के एनडीए से अलग होने के बाद भी नीतीश कुमार के करीबी हरिवंश राज्यसभा के उपसभापति बने हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि हरिवंश के जरिए नीतीश कुमार एक बार फिर से एनडीए में जाने का ऑप्शन रखे हुए हैं।
पीएम की ओर से बुलाई गई बैठक में पहुंचे थे, नीतीश कुमार
भारत को मिली G20 की अध्यक्षता को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। पहली बैठक 5-12-2022 को बुलाई गई तब नीतीश कुमार उसमें शामिल नहीं हुए। इस मुद्दे पर पीएम ने दूसरी बैठक 11-12-2022 को बुलाई तब सीएम नीतीश कुमार इसमें शामिल हुए। यहां गौर करने वाली बात यह है कि पहली बैठक जब हुई तब कुढ़नी उपचुनाव के रिजल्ट नहीं आए थे। वहीं दूसरी बैठक जब हुई तब कुढ़नी उपचुनाव में जेडीयू की हार हो चुकी थी। नीतीश कुमार के पुराने सहयोगी और बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी भी इस बात पर ध्यान दिला चुके हैं। वह पीएम की ओर से बुलाई गई बैठक में पहुंचे थे। क्योंकि सुशील मोदी ने आरोप लगाया था कि कुढ़नी के रिजल्ट से नीतीश कुमार को समझ में आ गया कि उनका वोटबैंक उनसे दूर जा चुका है।
दूसरों को जिम्मेदार बता देते हैं नीतीश कुमार
हर बड़े राजनीतिक फैसला लेने के बाद नीतीश कुमार इसके लिए दूसरों को जिम्मेदार बता देते हैं। जब वह महागठबंधन से एनडीए में आए तो सुशील कुमार मोदी और अशोक चौधरी की सलाह, जब एनडीए से अलग होकर महागठबंधन में गए तो बिजेंद्र यादव और ललन सिंह की सलाह। जब आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री बने तो बतौर अध्यक्ष उन्होंने खुद ले लिया फैसला। अमित शाह के कहने पर प्रशांत किशोर को जेडीयू में लेने का फैसला। इससे पहले 2014 की हार शर्मनाक हार के बाद शरद यादव की सलाह पर 2015 में महागठबंधन में जाने का फैसला। नीतीश कुमार के ऐसे कई बयान हैं जिसमें वह बड़े राजनीतिक फैसलों के लिए दूसरों को जिम्मेदार बताते रहे हैं। नीतीश कुमार इतना लंबा राजनीतिक अनुभव होने के बाद भी खुद राजनीतिक फैसले नहीं लेते हैं।
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