विशेषज्ञों ने कहा है कि गर्भवती महिलाओं को फाइजर की कोविड-19 वैक्सीन नहीं दी जाएगी. उन्होंने बताया कि ऑक्सफोर्ड या मॉडर्ना की वैक्सीन को मंजूरी मिलने पर भी पहले टीकाकरण के समूह में गर्भवती महिलाओं को शामिल नहीं किया जाएगा. उन्होंने इसकी वजह वैक्सीन के मानव परीक्षण में गर्भवती महिलाओं को शामिल नहीं करना बताया है.
ब्रिटेन की सरकार ने गाइडलाइन्स जारी कर स्पष्ट कर दिया है कि बच्चे के जन्म तक गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण नहीं किया जाना चाहिए. उन महिलाओं को भी टीकाकरण स्थगित करने की सलाह दी गई है जिनके प्रेग्नेंट होने की संभावना हो सकती है. हालांकि, ये सुरक्षात्मक उपाय है और नई वैक्सीन से कुछ ग्रुप को बाहर करना सामान्य बात है.
ब्रिटेन की स्वास्थ्य नियामक संस्था से मंजूरी मिलने के बाद फाइजर की वैक्सीन का टीकाकरण शुरू हो गया है. उससे पहले उसके सुरक्षित और असरदार होने की रिपोर्ट सामने आई थी और गर्भवती महिलाओं के लिए खतरे के सबूत नहीं मिलने की बात कही गई थी. लेकिन वैक्सीन को तैयार करनेवाले वैज्ञानिकों ने गर्भवती या स्तनपान करानेवाली महिलाओं पर परीक्षण नहीं किया था.
इसलिए इस बात के ठोस सबूत नहीं मिले हैं जिससे पता चले कि वैक्सीन गर्भवती या स्तनपान करानेवाली महिलाओं पर सुरक्षित और असरदार होगी. वैज्ञानिकों को गर्भवती महिलाओं पर वैक्सीन के परीक्षण से पहले लैब में ज्यादा परीक्षण करना होता है क्योंकि इसके होनेवाले संभावित गलत नतीजे ज्यादा खराब होते हैं.
वैज्ञानिकों का कहना है कि संक्षिप्त समय में लैब में सख्त परीक्षण पूरा नहीं किया जा सका जितना जल्दी वैक्सीन को विकसित किया गया. फिर भी, पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने पुष्टि की है कि अब तक मुहैया सबूत से गर्भावस्था को नुकसान या सुरक्षा चिंता का पता नहीं चला है. कई रिसर्च रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मां भ्रूण में कोविड-19 फैला सकती है मगर, इसके सबूत नहीं हैं कि गर्भवती महिलाएं अन्य ग्रुप के मुकाबले गंभीर रूप से बीमार हो सकती हैं. माना जा रहा है कि कोरोना वायरस के खिलाफ सुरक्षा के लिए मां बननेवाली महिलाओं को वैक्सीन अगले साल के मध्य तक मिल सकती है.