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कर्मचारियों की नौकरी बचाने के लिए पीटर भाटिया ने अपने पद से इस्तीफा देने का किया फैसला

पीटर भाटिया

दुनियाभर की कंपनियों में छंटनी का दौर चल रहा है और इस समय कई बड़ी कंपनियों के एंप्लाइज अपनी नौकरी को लेकर डर में जी रहे हैं। ग्लोबल आर्थिक मंदी की आहट के चलते काफी अस्थिरता आर्थिक जगत में बनी हुई है। ऐसे में अगर आपको एक ऐसे शख्स के बारे में पता चले जिसने अपनी नौकरी से ज्यादा अपने सहकर्मियों और जूनियर्स की नौकरी को ज्यादा अहमियत दी हो तो आप अवश्य जानकर हैरानी में पड़ जाएंगे। एक बहुत पॉपुलर एडिटर पीटर भाटिया से जुड़ा हुआ ये मामला है और खास बात ये है कि उन्हें अपने कार्य के लिए प्रतिष्ठित पुलित्जर प्राइज भी मिल चुका है।

पुलित्जर प्राइज विजेता इंडियन-अमेरिकी पीटर भाटिया डेट्रॉयट फ्री प्रेस के एडिटर हैं और इस कंपनी की स्वामित्व गैनेट के पास है। दरअसल जैनेट अपने कारोबार में लगातार चल रहे घाटे की भरपाई करने के लिए संस्थान में छंटनी कर रहा है और इसी के कारण डेट्रॉयट फ्री प्रेस के कई एंप्लाइज की नौकरी जाने का खतरा बन गया है।

पीटर भाटिया ने कर्मचारी बैठक में अपने निर्णय की घोषणा की

गैनेट के स्वामित्व वाली डेट्रायट फ्री प्रेस के संपादक और उपाध्यक्ष 69 वर्षीय पीटर भाटिया ने पिछले सप्ताह आयोजित एक कर्मचारी बैठक में अपने निर्णय की घोषणा की, जब कंपनी ने लगातार तीसरे तिमाही घाटे की सूचना दी। हम आर्थिक रूप से एक कठिन दौर में हैं। भाटिया को अपने अखबार में यह कहते हुए उद्धृत किया गया था, इसमें कुल 110 लोग कार्यरत हैं। उन्होंने कहा, कंपनी छंटनी की प्रक्रिया से गुजर रही है और मैंने अनिवार्य रूप से अन्य नौकरियों को बचाने के हित में खुद नौकरी छोड़ने का फैसला किया है, मेरे पास अन्य अवसर हैं।

अखबार में पीटर भाटिया का संबोधन छपा

डेट्रॉयट फ्री प्रेस अखबार में पीटर भाटिया का संबोधन छपा है जिसमें उन्होंने कहा है कि “हम आर्थिक रूप से एक अलग समय में चल रहे हैं। कंपनी छंटनी की प्रक्रिया कर रही है और मैंने खुद की नौकरी छोड़ने का फैसला लिया है जिससे अन्य लोगों की नौकरी बच सके।” पीटर भाटिया के नेतृत्व में फ्रेस वेबसाइट के पेड सब्सक्राइबर्स से आने वाली कमाई में उम्मीद से ज्यादा इजाफा हुआ था। एक पॉपुलर एडिटर के रूप में पीटर भाटिया अपने अखबार को बेहद प्यार करते हैं और उनके लिए नौकरी छोड़ने का ये फैसला लेना कठिन रहा। उन्होंने कहा भी कि ” मुझे अपना जॉब बहुत पसंद है और मैं फ्री प्रेस को प्यार करता हूं, लेकिन बाकी सबके हित के लिए यही अच्छा है कि मैं चला जाऊं।”

लखनऊ से है पीटर भाटिया

लखनऊ के रहने वाले भाटिया सितंबर 2017 में द सिनसिनाटी इंक्वायरर और सिनसिनाटी.काम के संपादक और उपाध्यक्ष के रूप में दो साल की सेवा के बाद फ्री प्रेस में शामिल हुए थे। डेट्रायट फ्री प्रेस ने बताया कि भाटिया के संस्थान छोड़ने की अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं है, लेकिन अखबार के कर्मचारियों को खुद ही नौकरी छोड़ने की समय सीमा अगले सप्ताह है। इस बीच वर्षों तक भाटिया के साथ काम करने वाले पत्रकारों ने ट्विटर पर कहा कि वह गुणवत्तापूर्ण पत्रकारिता के लिए खड़े थे, उनका पद छोड़ना डेट्रायट फ्री प्रेस के लिए एक बड़ा नुकसान और दुखद दिन है। रिपोर्टर एम्बर हंट ने लिखा, यह पता चला है कि आप एक अद्भुत पत्रकार हो सकते हैं, पुलित्जर जीत सकते हैं और आखिरकार अपने सिद्धांतों को बनाए रख सकते हैं। पीटर सबसे अच्छे लोगों में से एक हैं। रिपोर्टर दाना अफाना ने ट्वीट किया, डेट्रायट फ्री प्रेस के लिए दुखद खबर। पीटर यहां काम करने के मेरे फैसले का एक बड़ा कारण था। किसी ने भी न्यूज रूम की विविधता का समर्थन नहीं किया और उस पर उतना काम नहीं किया, जितना उन्होंने किया।

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