लॉकडाउन के दौरान आर्थिक गतिविधियों को झटका लगने का असर लोगों की कमाई पर असर साफ दिख रहा है. लिहाजा उनके खर्च करने की आदत में बदलाव दिख रहा है. बड़े पैमाने पर रोजगार छिनने और कमाई घटने से उपभोक्ता अब महंगे एफएमसीजी ब्रांड को तरजीह नहीं दे रहे हैं. इसके बजाय वे सस्ते एफएमसीजी प्रोडक्ट्स को अपना रहे हैं.
लॉकडाउन के दौरान लोग अपने घरों में सामान इकट्ठा रख रहे थे लेकिन अब बाहर निकल कर खरीदने का सिलसिला दोबारा शुरू हो गया है. लेकिन शहरों में बड़े पैमाने पर नौकरियां खत्म होने और सैलरी में कटौती का असर दिख रहा है.कंज्यूमर अब बहुत सोच-समझ कर खर्च कर रहे हैं. ऐसे में ये उपभोक्ता कम कीमत वाली चीजों को तरजीह दे रहे हैं. अमूमन यह ट्रेंड ग्रामीण उपभोक्ताओं में दिखता है लेकिन अब पहली बार यह शहरी उपभोक्ताओं में दिख रहा है. इसे इकनॉमिक स्लोडाउन का असर माना जा रहा है.
पैकेज्ड सामान बेचने वाली दिग्गज कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर का कहना है कि खाने-पीने की प्रमुख चीजों की बिक्री में कमी आ रही है. इससे साफ है कि शहरी इलाकों में गरीब अब ज्यादा दिक्कत का सामना कर रहे हैं. मार्केटिंग और रिसर्च एजेंसी नीलसन का कहना है कि अगस्त में प्री-कोविड की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले शहरी इलाकों में बिक्री में 7 से 14 फीसदी की गिरावट आई है. एजेंसी का कहना है कि शहरी इलाकों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में बिक्री की स्थिति अच्छी है. विश्लेषकों का मानना है कि सरकार को शहरी इलाकों के गरीबों के लिए रोजगार कार्यक्रम चलाना चाहिए. ग्रामीण इलाकों में मनरेगा की वजह से स्थिति थोड़ी सुधरती दिख रही है लेकिन शहरी इलाकों में रोजगार के मोर्चे पर कोई ज्यादा उत्साहजनक संकेत नहीं दिखते.