वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि एबीजी शिपयार्ड फ्रॉर्ड मामले में कारवाई की जा रही है. निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्र की एनडीए सरकार ने बेहद कम समय में एबीजी शिपयार्ड धोखाधड़ी मामले का पता लगाकर उसपर कार्रवाई की है. उन्होंने कहा कि एबीजी शिपयार्ड का अकाउंट नवंबर, 2013 में ही नॉन परफार्मिंग अकाउंट (NPA) घोषित हुआ था. वित्त मंत्री ने कहा कि एबीजी शिपयार्ड फ्रॉर्ड मामले में कारवाई की जा रही है.
एबीजी शिपयार्ड मामले पर विपक्ष लगातार सरकार को घेरने में जुटा है जिसके बाद वित्त मंत्री की ये पहली प्रतिक्रिया आई है. वित्त मंत्री ने कहा कि 2014 में हमारी सरकार बनने के पहले एबीजी शिपयार्ड को लोन अकाउंट एनपीए बन चुका था. वित्त मंत्री ने कहा कि विपक्ष ये मामला उठाकर अपने पैड़ पर कुल्हाड़ी मार रहा है.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर एबीजी शिपयार्ड फ्रॉड पर मोदी सरकार पर हमला बोल चुके हैं. उन्होंने ट्वीट किया था कि ‘मोदी काल में अब तक ₹5,35,000 करोड़ के बैंक फ़्रॉड हो चुके हैं- 75 सालों में भारत की जनता के पैसे से ऐसी धांधली कभी नहीं हुई. लूट और धोखे के ये दिन सिर्फ़ मोदी मित्रों के लिए अच्छे दिन हैं.’
कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी कहा था कि एबीजी शिपयार्ड के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्राथमिकी दर्ज करने में पांच साल क्यों लग गए.
22,842 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी का मामला
सीबीआई ने देश के सबसे बड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और उसके तत्कालीन अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल सहित अन्य के मुकदमा दर्ज किया है. अधिकारियों ने शनिवार को कहा था कि यह मुकदमा भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई वाले बैंकों के एक संघ से कथित रूप से 22,842 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के संबंध में दर्ज किया गया है.
इन आरोपों पर दर्ज है मुकदमा
एजेंसी ने अग्रवाल के अलावा तत्कालीन कार्यकारी निदेशक संथानम मुथास्वामी, निदेशकों – अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवेतिया और एक अन्य कंपनी एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ भी कथित रूप से आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आधिकारिक दुरुपयोग जैसे अपराधों के लिए मुकदमा दर्ज किया. इन लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा किया गया है.
एसबीआई की सफाई
देश के सबसे बड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में शिकायत दर्ज करने में देरी के आरोपों के बीच भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने कहा कि वह फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के बाद सीबीआई के साथ मिलकर एबीजी शिपयार्ड धोखाधड़ी मामले में कार्रवाई के लिए पूरी गंभीरता से काम कर रही है .एसबीआई के एमडी स्वामीनाथन जे ने कहा है कि एबीजी शिपयार्ड 2001 से करीब 28 बैंकों से कर्ज की सुविधाओं का फायदा ले रहा था. इसी के चलते कंपनी लंबे समय तक सस्टेन नहीं कर सकी. अव्यावहारिक ऑपरेशन के चलते कंपनी के खाते को नवंबर 2013 में एनपीए घोषित किया गया था. इसके बाद कॉर्पोरेट डेब्ट रीस्ट्रक्चरिंग मकैनिज्म (Corporate Debt Restructuring Mechanism,) के तहत बैंकों ने 2014 में कर्ज को रीस्ट्रक्चर किया और कंपनी को उसे चुकाने के लिए और समय दिया.
स्वामीनाथन ने कहा कि पुनर्गठन पैकेज दो साल से अधिक समय से प्रभावी था. उस समय शिपिंग उद्योग को मंदी का सामना करना पड़ा, इसलिए कंपनी द्वारा पुनर्गठन के लिए दिए गए अनुमानों को हासिल नहीं किया जा सका. 2016 में खाते को 2013 से प्रभावी एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया गया था.
स्वामीनाथन ने ये भी कहा कि लीड बैंक ICICI द्वारा एक ऑडिट का आदेश दिया गया था और रिपोर्ट 2019 में आई थी. जिसमें संबंधित पार्टियों को धन के हस्तांतरण और अन्य उद्देश्यों के लिए धन के उपयोग का संकेत दिया गया था. चर्चा के बाद 2019 में सभी बैंकों ने अकाउंट को फ्रॉड घोषित कर दिया.
स्वामीनाथन के मुताबिक सबसे बड़ा पीएसबी होने के नाते एसबीआई को अन्य बैंकों द्वारा सीबीआई शिकायत दर्ज करने के लिए अधिकृत किया गया था. पहली शिकायत नवंबर 2019 में दर्ज की गई थी. दिसंबर 2021 में एक कम्प्रीहेन्सिव कंप्लेन दर्ज की गई थी. यह आम तौर पर बड़े स्तर के कॉर्पोरेट कर्ज के संबंध में होता है. मुझे कोई देरी नहीं दिख रही है, यह 2013 से एनपीए है
स्वामीनाथन के मुताबिक हम जितना संभव हो उतना हासिल करने का लक्ष्य रखेंगे. ऐसे मामलों के लिए पूरी तरह से प्रावधान किया गया है. इसलिए किसी भी बैंक या लाभ/हानि खातों के बैलेंसशीट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. करीब 22,842 करोड़ रुपये के एबीजी शिपयार्ड घोटाला मामले में सीबीआई अब तक 8 लोगों पर FIR दर्ज कर चुकी है. 28 बैंकों के समूह को इस कंपनी ने चूना लगाया है.
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