महाराष्ट्र (Maharashtra) में लगभग 25 वर्षों के बाद, राज्य की छह राज्यसभा सीटों के लिए आज मुकाबला हो रहा है. इसमें दोस्त से प्रतिद्वंदी बने सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के बीच एक कड़ी लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है. 1998 के बाद से, राज्य में सभी राज्यसभा चुनाव निर्विरोध हुए थे. इस चुनाव में अखाड़े में एक और मसाला है, एनसीपी के अनिल देशमुख और नवाब मलिक की वोट देने के इजाजत वाली याचिका. दोनों मनी लॉन्ड्रिंग मामलो में सलाखों के पीछे हैं.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले और एनसीपी मंत्री छगन भुजबल ने फडणवीस को ”अनावश्यक” मुकाबले के लिए जिम्मेदार ठहराया. भुजमल ने कहा कि “फडणवीस उच्च परंपरा से भटक रहे हैं. अब तक, राज्यसभा और विधान परिषद के लिए कोई चुनाव नहीं हुआ था, अब ऐसा लगता है कि भाजपा ने राज्य पर मुकाबला किया है. हमने फडणवीस को निर्विरोध चुनावों के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माने. इससे एक बुरी मिसाल कायम हुई है.
छोटे दल निभाएंगे महत्वपूर्ण भूमिका
बता दें कि ऐसे में निर्दलीय और छोटे दलों के सदस्य अहम भूमिका निभाएंगे. अजीत पवार के हस्तक्षेप के बाद, समाजवादी पार्टी, जिसमें दो सदस्य हैं, और बहुजन विकास अघाड़ी, जिसमें तीन सदस्य हैं, एमवीए उम्मीदवारों के लिए मतदान कर सकते हैं. पिछले दो दिनों में ठाकरे ने निर्दलीय विधायकों के एक वर्ग से व्यक्तिगत रूप से बात की है. फडणवीस भी निर्दलीय के संपर्क में हैं. चुनावों के महत्व का अंदाजा बड़े नेताओं की तैनाती से लगाया जा सकता है, जहां शरद पवार और कांग्रेस के महासचिव मल्लिकार्जुन खड़गे एमवीए के समन्वय की देखरेख करेंगे, और भाजपा ने केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव को तैनात किया है.
छह सीटों के लिए सात उम्मीदवार मैदान में हैं. शिवसेना ने संजय राउत और संजय पवार, राकांपा प्रफुल्ल पटेल और कांग्रेस इमरान प्रतापगढ़ी को उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अनिल बोंडे और धनंजय महादिक को मैदान में उतारा है.
यह भी पढ़ें- भिलाई इस्पात संयंत्र में हादसे के बाद प्रबंधन ने लिया बड़ा एक्शन, दो जीएम सस्पेंड
0 Comments