दूध प्रोटीन का बहुत अच्छा स्रोत है और दूध पोषक तत्वों के अनूठे संतुलन के साथ लगभग संपूर्ण भोजन है. दूध को बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास में सहायक बताया गया है. दूध में कैल्शियम, राइबोफ्लेविन, फॉस्फोरस, विटामिन डी, पैंटोथेनिक एसिड, पोटेशियम, विटामिन ए और नियासिन सहित कई आवश्यक तत्व पाये जाते हैं.
कुछ लोगों को दूध में पाए जाने वाले लैक्टोज को पचाने में कठिनाई हो सकती है. सामान्य तौर पर मनुष्यों ने वर्षों से शरीर में लैक्टोज को पचाने की क्षमता विकसित की है, जिससे की दूध का सेवन जीवन भर किया जा सकता है. लैक्टोज मस्तिष्क के विकास में मदद करता है. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि नियमित रूप से दूध पीने के कारण डायबिटीज की बिमारी हो सकती है. फिलहाल वैज्ञानिक प्रमाण इसके विपरीत हैं. वैज्ञानिकों का तर्क है कि वास्तव में दूध मधुमेह के लिए फायदेमंद होता है.
एक पुराना सिद्धांत है जिसे केवल कुछ स्कैंडिनेवियाई देशों में रिपोर्ट किया गया है. जिसमें कहा गया है कि गाय का दूध टाइप 1 मधुमेह से जुड़ा हुआ है. हालांकि बाद में हुए कई अध्ययनों ने इस सिद्धांत को खारिज कर दिया. बताया जाता है कि पश्चिमी देशों में नवजात शिशु को जन्म के समय से लेकर 6 महीने तक मां का स्तनपान नहीं कराया जाता. जिससे उनकी इम्यूनिटी ज्यादा विकसित नहीं हो पाती और भविष्य में रोगों से लड़ने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
चेन्नई शहरी ग्रामीण महामारी विज्ञान अध्ययन (CURES) ने डेयरी और दूध को सुरक्षात्मक बताते हुए एक रिपोर्ट पेश की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दूध का मधुमेह के खिलाफ सुरक्षात्मक प्रभाव है. यह अध्ययन पांच महाद्वीपों के 21 देशों में 150,000 व्यक्तियों पर किए गए. जिसमें भारत के पांच हिस्से भी शामिल थे. इस रिपोरेट में बताया गया है कि दूध से डायबिटीज और हाई ब्लडप्रेशन जैसी बिमारी के कोई सबूत नहीं मिले हैं.
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