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प्रेगनेन्सी में बरतें विशेष सावधानी, इन खाद्य पदार्थों का न करें सेवन

प्रेगनेन्सी में स्वाद प्रेमियों को खानपान पर लगाम लगाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. आम दिनों के मुकाबले प्रेगनेन्सी का समय बेहद महत्वपूर्ण होता है. सही डाइट का इस्तेमाल जितना आपकी सेहत के लिए जरूरी है उतना ही अजन्मे बच्चे के लिए भी. महिलाएं अक्सर प्रेगनेन्सी के दौरान क्या खाएं और क्या नहीं खाएं की दुविधा में फंसी रहती हैं. प्रेगनेन्सी में बात जब खानपान की हो, तो उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है. मां के भोजन का सीधा प्रभाव बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ता है. विशेषज्ञों का कहना है कि पैकेज और मिलावटी खाद्य पदार्थ के इस्तेमाल से प्रेगनेन्सी में परहेज करना चाहिए. आयरन से भरपूर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल सेहत के लिए अच्छा है. मौसमी और गहरे रंग के फल जैसे जामुन मां और बच्चे दोनों के लिए स्वस्थ साबित होते हैं.

प्रेगनेन्सी में इन खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए

मछली और समुद्री फूड- बड़ी मछली जिसमें पारा का उच्च लेवल होता है, उसका इस्तेमाल नवजात या छोटे बच्चे के लिए नुकसानदेह होता है. उसका इस्तेमाल नर्वस सिस्टम और दिमाग को नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए, टूना शार्क, स्वोर्डफ़िश, वॉली, मार्लिन जैसी मछलियों के इस्तेमाल से परहेज करें. उसके अलावा, अधपकी मछली को भी न खाएं.

पपीता- प्रेगनेन्सी में पपीता खाना रिस्की और खतरनाक हो सकता है. कच्चा या अधपका पपीता में लाटेकस नामक एंजाइम होता है, जो यूटराइन कॉन्ट्रैक्शन्स को बढ़ावा देता है.

चाइनीज फूड- नूडल्स और चाइनीज फूड से तो प्रेगनेन्सी में बिल्कुल बचा जाना चाहिए. चाइनीज भोजन में अजीनोमोटो का इस्तेमाल होता है. अजीनोमोटो एक तरह का कैमिकल है. अजीनोमोटो को मोनोसोडियम ग्लूटामेट भी कहते हैं. उसके इस्तेमाल से भ्रूण का दिमागी विकास प्रभावित हो सकता है.

मेथी के बीज- भारतीय घरों में मेथी का इस्तेमाल सब्जी की तैयारी में अक्सर होता है. बीज प्रेगनेन्ट महिलाओं के लिए नुकसानदेह माने जाते हैं क्योंकि उससे मिसकैरेज होने का खतरा रहता है. मेथी में ऐसे गुण होते हैं जो जो मजबूत कॉन्ट्रैक्शन्स को उत्तेजित कर सकता है. कुछ दवाइयां मेथी के प्रति रिएक्टिव जानी जाती हैं. इसलिए, उसके इस्तेमाल से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

कैफीन युक्त ड्रिंक्स- कैफीन सेवन के उच्च लेवल का संबंध मिसकैरेज से जुड़ा हुआ है. रिसर्च से पता चला है कि रोजाना 200 मिलीग्राम कैफीन का इस्तेमाल प्रेगनेन्सी में सुरक्षित लेवल है. उससे अधिक, विशेषकर पहली तिमाही के दौरान जोखिम भरा हो सकता है. उसके अलावा, कैफीन युक्त ड्रिंक्स जैसे कॉफी ड्यूरेटिक हैं जो शरीर से तरल पदार्थों को बाहर निकालने के जिम्मेदार होते हैं, जो आपको डिहाइड्रेटेड छोड़ देता है. पानी की कमी के साथ, कुछ महत्वपूर्ण पोषक तत्व जैसे कैल्शियम भी शरीर से निकल सकता है.

 

 

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