रायपुर। जीवन का श्रेष्ठ मार्ग बताने चातुर्मास के लिए राष्ट्रसंत महोपाध्याय श्री ललितप्रभ सागरजी महाराज और डॉ. मुनि श्री शांतिप्रिय सागरजी महाराज का मंगल नगर प्रवेश हुआ। इस दौरान जिन शासन के जयकारे से मार्ग गूंज उठा।
रविवार को ऐतिहासिक नगर प्रवेश के पावन अवसर पर प्रात: 8 बजे जैन दादाबाड़ी एमजी रोड से आउटडोर स्टेडियम बूढ़ापारा तक राष्ट्रसंत के पांव पखारने अनुयायियों की श्रद्धा देखते बन रही थी। भव्य चातुर्मासिक मंगल प्रवेश पर शोभायात्रा में बड़ी संख्या में अनुयायी शामिल हुए।
शोभायात्रा दादाबाड़ी से शारदा चौक, जयस्तंभ चौक, मालवीय रोड होते हुए कोतवाली चौक, सदरबाजार सद्दानी चौक से स्टेडियम परिसर पहुंची। जहां संतजनों के सम्मान में मंगल कलशयात्रा, 108 फिट का पंचरंगी ध्वज, जीवन निर्माण की प्रेरणा देने वाली झंडियां, धार्मिक झांकियां, रंग-बिरंगी वेशभूषा में विधि महिला मंडल, पायलट बाइक्स, सुसज्जित घोड़ों व ऊंट, खैरागढ़ फोक डांस, लाभार्थी परिवार का रथ, हर्षोल्लास व जय-जयकारे के साथ चल रहे थे।
वहीं शोत्रायात्रा में श्रावक-श्राविकाएं, पंथी नृत्य, छतरी नृत्य, गरबा, आदिवासी नृत्य, कलश, अष्ट मंगल, मोटिवेशनल कोटेशन के साथ कॉलेज और विद्यालय की बालक-बालिकाएं प्रमुख आकर्षण का केंद्र रहे। विशेष रूप से बालिकाओं द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे मयूरी नृत्य ने दर्शकों को मुग्ध कर दिया।
वहीं शोभायात्रा के पीछे-पीछे पूरे मार्ग की सफाई के लिए सेवादारियों सहित चल रही आटो की सेवा ने अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। शोभायात्रा में नगर के गणमान्यों में प्रमुख रूप से महापौर एजाज ढेबर, विधायक बृजमोहन अग्रवाल, छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष कुलदीप जुनेजा, संसदीय सचिव विकास उपाध्याय, नगर निगम के सभापति एवं पूर्व महापौर प्रमोद दुबे, पूर्व नेता प्रतिपक्ष सुभाष तिवारी व अन्य जनप्रतिनिधि पूरे समय साथ रहे।
जिस घर में हो प्रेम वहां यश व धन मुफ्त में आ जाते हैं: राष्ट्रसंत श्रीललितप्रभ
साधु-साध्वी और श्रावक-श्राविकाओं के चतुर्विध संघ के साथ जैसे ही शोभायात्रा स्टेडियम में निर्मित भव्य संबोधि प्रवचन पंडाल पहुंची, श्रद्धालुओं ने संतों का भव्य आत्मीय अभिनंदन किया। इस प्रसंग पर हुई धर्मसभा में राष्ट्रसंत श्रीललितप्रभ सागर महाराज ने रायपुर के नाम अपने पहले संदेश में कहा- लगभग 33 लाख कदम चलकर हम ठेठ जोधपुर से मारवाड़ की धरती से छत्तीसगढ़ आए हैं।
संतश्री ने कहा मेरी 45 साल की उम्र में जिंदगी में पहली बार ऐसा हुआ, अब तक तो ऐसा होता रहा कि लोग आकर विनती करते रहे और हम चातुर्मास में जाते रहे, लेकिन पहली बार ऐसा हुआ कि हमारा मन इसी ओर लगा रहा कि हम खुद छत्तीसगढ़ जाएंगे और वहां जाकर छत्तीसगढ़वासियों की सेवा करेंगे।
संतश्री ने कहा हम यहां अपने मन से आए हैं, जैसे कोई महिला अपने पीहर की ओर कितने मन से जाया करती है। जितना आनंद भगवान श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास पूरा करने के बाद अयोध्या आने पर हुआ था वैसा ही आनंद आज हमें छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक नगरी रायपुर में आकर हो रहा है। यहां आकर हम गौरवान्वित हुए हैं।
राष्ट्रसंत ने प्रथम उद्बोधन की शुरुआत हिम्मत न हारिए, प्रभु न बिसारिए, हंसते-मुस्कुराते हुए जिंदगी गुजारिए… का सस्वर गायन करते और श्रद्धालुओं से इसे गवाते हुए की। जब श्रद्धालुओं से उन्होंने श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट एवं दिव्य चातुर्मास समिति का अभिनंदन 36 सेकंड तक तालियों से करने का आह्वान किया तो संपूर्ण सभा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
सुबह-सुबह द्वार खोलते ही एक महिला को धनदेव, यशदेव और प्रेमदेव के आगमन की एक प्रेरक कथा का दृष्टांत देते हुए संतप्रवर ने कहा कि जिस घर में प्रेम रहता है, वहां यश और धन मुफ्त में चले आते हैं। यह चातुर्मास प्रेम, माधुर्य, मीठी जुबान का, नेक विचारों का सभी के लिए जीवन निर्माण का चातुर्मास है। 50 दिनों की प्रवचनमाला में हमारा यही प्रयास रहेगा कि आपके घरों में प्रेम की गंगा बहे। घर-घर को मंदिर बनाने का हमारा प्रयास सफल-सार्थक हो जाए। ‘जिंदगी ना बन जाए बला, आओ उससे पहले सीख लें जीवन जीने की कला।’ किसने कहा कि स्वर्ग पाने के लिए मरना पड़ता है, तू जीवन में प्रेम और मिठास भर ले, यहीं जिंदगी स्वर्ग बन जाएगी। धर्म की शुरुआत आप केवल मंदिर, ठाणा से ही नहीं अपने घर से कीजिए, जहां आप चौबीस घंटे रहते हैं।
छत्तीसगढ़िया-सबले बढ़िया की कहावत पर चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा- छत्तीसगढ़िया तभी तक बढ़िया जब तक नहीं करेंगे गड़बड़ियां। अपने चंचल मन को साध लेना साधुता है, यदि गुरुदेव का मंत्र मिल जाए तो हमारे मन की दिशा पानी की तरह ढलान में न जाकर ऊपर उठ जाएगी। धर्मसभा को पूज्या साध्वी मंडल से साध्वीवर्या स्नेहयशाश्रीजी महाराज साहब ने भी संबोधित करते हुए सबके जीवन उत्थान में यह चातुर्मास सफलतम बने, ऐसी मंगलकामना व्यक्त की।
धर्मसभा का ओजस्वी संचालन महावीर तालेड़ा ने किया। धर्मसभा का समापन चातुर्मास समिति के महासचिव पारस पारख के आभार प्रदर्शन से हुआ।
सर्वधर्म सद्भाव की जागेगी अलख
प्रचार-प्रसार समिति मीडिया प्रभारी खेमराज बैद ने जानकारी दी कि श्री ऋषभदेव जैन मंदिर ट्रस्ट के कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली और ट्रस्टी राजेंद्र गोलेछा एवं उज्जवल झाबक ने बताया कि पहली बार रायपुर में चातुर्मास करके पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में प्रेम, शांति, अहिंसा और भाईचारे के बीज बोने की राष्ट्रसंतों की सद्भावना है। जहां छत्तीस कौमों की जनता को आमंत्रण दिया गया है।