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कही-सुनी (10 JULY-22) : छत्तीसगढ़ में फोटो की राजनीति

(रवि भोई की कलम से)


कांग्रेस-भाजपा नेताओं के साथ एक व्यक्ति की तस्वीर को लेकर छत्तीसगढ़ की राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस के कुछ लोगों ने एक व्यक्ति की भाजपा नेताओं से मेल-मुलाकात और खानपान वाली तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल किया तो भाजपा के कुछ लोगों ने उस व्यक्ति का कांग्रेस नेताओं के साथ वाला फोटो सोशल मीडिया पर डाल दिया। छत्तीसगढ़ के मुद्दे और यहां की समस्याओं को छोड़कर कांग्रेस-भाजपा के नेता फोटो वार में लग गए हैं। कहते हैं नेताओं के साथ जिस व्यक्ति की तस्वीर को लेकर घमासान मचा है, उस व्यक्ति का नेता प्रेम कोई नया नहीं है। कांग्रेस के गुजर चुके दो नेताओं से उसकी निकटता पहले भी चर्चा में रही। अब राजनीति तो राजनीति है , जिधर मोड़ो उधर जाती है। राजनीति कोई नदी नहीं हैं, जिसकी धार को बदल पाना आसान नहीं है।

कांग्रेस जनप्रतिनिधियों का सर्वे

कहते हैं कांग्रेस भी अपने सांसद और विधायकों के कामकाज और आचरण के साथ -साथ जीत सकने की संभावना को लेकर सर्वे करा रही है। इससे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों में खलबली मच गई है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान की सर्वे टीम गोपनीय तौर से जनप्रतिनिधियों की सभा-कार्यक्रमों को आव्जर्व कर रही है। माना जा रहा है कि सर्वे के आधार पर पार्टी के जनप्रतिनिधियों का भविष्य तय होगा। सर्वे रिपोर्ट आने से पहले ही पार्टी के भीतर ही चर्चा चल पड़ी है कि 71 में से आधे विधायकों को टिकट मिलने की संभावना नहीं है। कहते हैं कांग्रेस के बड़े नेता पहली बार निर्वाचित कुछ विधायकों के दोबारा जीत को लेकर सशंकित हैं। लोग कहने लगे हैं कि कांग्रेस भी क्या भाजपा की राह पर चलने की सोच रही है ?

गुस्से में बीएसपी अफसर

कहते हैं भिलाई स्टील प्लांट के एक अफसर अपना प्रमोशन न होने से इतने खफा हो गए कि आगे कोई प्रमोशन नहीं लेने की ठान ली। चर्चा है कि साहब का महाप्रबंधक पद से मुख्य महाप्रबंधक के पद पर प्रमोशन होना था। बीएसपी प्रबंधन ने उन्हें तरक्की नहीं दी। कहा जा रहा है कि अब जीएम साहब ने प्रबंधन को लिखकर दे दिया है कि वे अब कोई पदोन्नति नहीं चाहते। खबर है कि साहब के पास दो महत्वपूर्ण विभागों का दायित्व है, लेकिन काम से ज्यादा क्वीज कार्यक्रमों में रूचि साहब की तरक्की का रोड़ा बन गया। देखते हैं साहब का गुस्सा शांत होता है या जिद में रहते हैं ?

संघ और भाजपा से जुड़े वकील खफा

कहते हैं कि केंद्रीय संस्थानों में सरकार की पैरवी करने के लिए दो वकीलों की नियुक्ति को लेकर भाजपा में बवाल मचा है। कहा जा रहा है कि हाल ही में केंद्र सरकार ने तीन सरकारी एजेंसियों के लिए छत्तीसगढ़ के दो वकीलों को नामित किया है। खबर है कि दोनों वकीलों को तीनों एजेंसियों के लिए ही नामित कर दिया गया है, जबकि आरएसएस और भाजपा से जुड़े कई वरिष्ठ वकील देखते रह गए। आरएसएस और भाजपा से जुड़े कई वरिष्ठ वकील भी सरकारी एजेंसियों के लिए नामित होने की दौड़ में थे। चर्चा है कि केंद्रीय एजेंसियों के लिए नामित एक वकील का गैर छत्तीसगढ़िया होना आग में घी डालने जैसा हो गया। एक वकील को कांग्रेसी परिवार का बताया जा रहा है। दोनों नियुक्तियों से स्थानीय स्तर पर आरएसएस और भाजपा से जुड़े वकील भारी खफा बताए जाते हैं। मेहनत कोई करे और मलाई कोई खाए, तो दिल जलना स्वाभाविक है।

विधायकों में द्वंद्व

चर्चा है कि जिला वनोपज संघ के चुनाव को लेकर महासमुंद जिले के विधायकों में इन दिनों नूरा-कुश्ती का खेल चल रहा है। कहते है गैर दलीय आधार पर होने वाले जिला वनोपज संघ के चुनाव में जिला अध्यक्ष पद के लिए एक विधायक ने अपने रिश्तेदार को खड़ा कर दिया है, यह दूसरे विधायकों को नहीं भा रहा है। नाराज विधायक अलग राह पर चल पड़े है , ऐसे में स्वाभाविक है टकराव पैदा होना। अब लोगों को नतीजे का इंतजार है। अब देखते हैं विधायक का रिश्तेदार चुनाव जीतता है या दूसरे विधायक भारी पड़ते हैं ?

 

तबादलों पर बैन खुलने का इंतजार

चुनावी वर्ष के पहले सरकारी कर्मचारियों के तबादलों पर प्रतिबंध हटने का इंतजार मंत्री-विधायकों सभी को है। वैसे मुख्यमंत्री को सालभर सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादले का अधिकार है। राज्य में तबादले हो भी रहे हैं। मंत्रियों को अभी अपने विभाग में तबादले के लिए मुख़्यमंत्री को प्रस्ताव भेजना पड़ता है। तबादलों पर प्रतिबंध हटेगा, तो मुख़्यमंत्री को प्रस्ताव नहीं भेजना पड़ेगा। तबादलों पर बैन हटाने या न हटाने का अधिकार मुख्यमंत्री के पास है , इस कारण मंत्री- विधायक मुख्यमंत्री की तरफ निगाह लगाए हुए हैं। भूपेश बघेल सरकार में एकाध साल को छोड़कर तबादलों पर प्रतिबंध ही है। दो साल तो कोरोना में ही गुजर गया। कहा जा रहा है 14 जुलाई को कैबिनेट की बैठक है, शायद उसमें तबादला पर रोक हटाने के मुद्दे पर चर्चा हो जाय।

कोरबा में नई हवा की उम्मीद

कलेक्टर के बाद अब कोरबा के एसपी को भी सरकार ने बदल दिया। अब तक कोरबा में मंत्री जयसिंह अग्रवाल और कलेक्टर-एसपी का तालमेल नहीं बैठ पा रहा था। अब देखते हैं नए कलेक्टर संजीव कुमार झा, मंत्री जी से किस तरह समन्वय बैठाते हैं। नए कलेक्टर साहब पिछले दिनों मंत्री जी से सौजन्य मुलाक़ात कर आए। इस कारण उम्मीद की जा रही है अब कोरबा में माहौल बदलेगा। कोरबा कलेक्टर संजीव झा इसके पहले सरगुजा कलेक्टर थे , जो कि मंत्री टीएस सिंहदेव का क्षेत्र है। मुख्यमंत्री और श्री सिंहदेव में शीतयुद्ध के बाद भी संजीव झा ने वातावरण अनुकूल बनाए रखा। जयसिंह अग्रवाल के इलाके में वातावरण कैसा रहता है , यह समय बताएगा ? वैसे सरकार ने अब अनुभवी अधिकारी संतोष सिंह को कोरबा का एसपी बनाया है। संतोष सिंह कोरिया,महासमुंद,रायगढ़ और राजनांदगांव के एसपी रह चुके हैं।

नीलेश क्षीरसागर और भोजराम पटेल फिर साथ में

2011 बैच के आईएएस अधिकारी नीलेश क्षीरसागर और 2013 बैच के आईपीएस अधिकारी भोजराम पटेल फिर एक ही जिले के कलेक्टर-एसपी हो गए हैं। इसके पहले दोनों गरियाबंद जिले के कलेक्टर-एसपी थे। भोजराम पटेल गरियाबंद से छलांग मारकर कोरबा पहुंच गए थे। नीलेश क्षीरसागर गरियाबंद से महासमुंद के कलेक्टर बने। अब देखते हैं यह जोड़ी महासमुंद जिले में कितने दिन चलती है। महासमुंद ओडिशा सीमा से लगे जिले होने के कारण गांजे की तस्करी के लिए विख्यात है। कहा जाता है कि पिछले कुछ महीनों से जिले की कानून व्यवस्था भी गड़बड़ाई है। इन दिनों इस जिले को राजनीतिक दृष्टि से भी काफी संवेदनशील कहा जा रहा है।

प्रफुल्ल ठाकुर का कद बढ़ा

सरकार ने प्रफुल्ल ठाकुर को कोरिया की जगह राजनांदगांव का एसपी बनाकर उनका कद बढ़ा दिया है। प्रफुल्ल ठाकुर को सरकार ने महासमुंद और धमतरी के बाद कोरिया जैसे छोटे जिले का एसपी बना दिया था। प्रफुल्ल ठाकुर रायपुर समेत कई जिलों में एएसपी रह चुके हैं।

 

 

 


(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

(डिस्क्लेमर – कुछ न्यूज पोर्टल इस कालम का इस्तेमाल कर रहे हैं। सभी से आग्रह है कि तथ्यों से छेड़छाड़ न करें। कोई न्यूज पोर्टल कोई बदलाव करता है, तो लेखक उसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। )


 

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