बिलासपुर। कोरोनाकाल के दौरान बस संचालक परमानेंट परमिट के लिए खासे परेशान रहे। अब जाकर कोर्ट के आदेश पर तीन साल बाद बस संचालकों को बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार को आदेश जारी करते हुए अहम फैसला सुनाया है।
मामले के अनुसार छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बस्तर के बस संचालकों के दायर केस की सुनवाई करते हुए उनके पक्ष में अहम फैसला दिया है। हाई कोर्ट ने परिवहन विभाग की रिट याचिकाओं को खारिज करते हुए 7 दिनों के भीतर बस संचालकों को परमिट जारी करने का आदेश दिया है। कार्रवाई नहीं होने पर संबंधित अधिकारियों की सेवा पुस्तिका में प्रकरण दर्ज करने कहा है।
सुनवाई में कोर्ट के जारी आदेश में जानकारी अनुसार जगदलपुर निवासी मीनू मिश्रा, आनंद मिश्रा, संदीप मिश्रा, अनूप तिवारी के साथ करीबन 50 से अधिक बस संचालकों को 19 दिसंबर 2019 को तत्कालीन क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार ने जगदलपुर से अनेक स्थानों के लिए स्थायी अनुज्ञा पत्र जारी किया था।
दिसंबर 2019 को परिवहन विभाग ने अपने एक अधिसूचना के माध्यम से रायपुर में क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार का गठन करते हुए पूरे छत्तीसगढ़ के लिए एकमात्र प्राधिकार सौंप दिया। प्राधिकार की ओर से जगदलपुर के छह बस संचालकों को छोड़कर अन्य सभी को स्थाई अनुज्ञा पत्र जारी कर दिया गया।
उसके बाद मामले में पक्षपात की स्थिति को देखते हुए इस संबंध में प्रभावित बस संचालकों ने 13 सितंबर 2021 को अलग-अलग आवेदन पत्र प्रस्तुत कर स्थायी अनुज्ञा पत्र जारी करने का निवेदन किया, लेकिन संयुक्त सचिव, क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार गोपीचंद मेश्राम ने स्थायी अनुज्ञा पत्र जारी किये जाने से इंकार कर दिया। इस पर राज्य परिवहन अपीलीय अधिकरण में मामला प्रस्तुत किया गया।
मामले में सुनवाई के दौरान क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार टोपेश्वर वर्मा व संयुक्त सचिव गोपीचंद मेश्राम ने स्वीकार किया कि स्थायी अनुज्ञा पत्र जारी किये जाने में कोई रोक, स्थगन या वैधानिक बाधा नहीं है। इस पर 29 जनवरी 22 को न्यायालय ने अपील स्वीकार करते हुए 7 दिनों के अंदर स्वीकृत अनुज्ञा पत्र जारी करने के लिए आदेशित किया था।
प्राधिकार ने आदेश के विरुद्ध प्राधिकार की ओर से 8 पृथक-पृथक रिट अपील हाई कोर्ट में दायर की गई। प्रकरण में उच्च न्यायालय के युगल पीठ में जस्टिस न्यायमूर्ति गौतम भादुडी व न्यायमूर्ति दीपक कुमार तिवारी ने सुनवाई करते हुए परिवहन विभाग की कार्य प्रणाली पर भारी नाराजगी जाहिर की। वहीं राज्य सरकार की सभी 8 रिट अपील को खारिज कर 7 दिवस के भीतर बस्तर के बस संचालकों को परमिट जारी करने आदेशित किया। इसके साथ ही ऐसा नहीं करने पर संबंधित अधिकारियों की सेवा पुस्तिका में प्रकरण को दर्ज करने बाबत् आदेशित किया गया है।
हाईकोर्ट के इस फैसले से बस्तर के छह बस ऑपरेटरों में बस परमिट हासिल करने की उम्मीद जगी है। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता राघवेन्द्र प्रधान व बस्तर के बस संचालकों की ओर से अधिवक्ता शिवेश सिंह, अजय श्रीवास्तव व भरतलाल डेम्ब्रा द्वारा पैरवी की।