लखनऊ। राज्य सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट और लखनऊ खंडपीठ के 800 से अधिक सरकारी वकीलों को बर्खास्त कर दिया है। इसी के साथ इलाहाबाद हाई कोर्ट में 366 और लखनऊ खंडपीठ में 220 नए सरकारी वकील नियुक्त किए गए हैं।
दरअसल, हर पांच साल पर सरकारी वकीलों को लेकर आदेश जारी होते हैं जिसमें कुछ हटाए जाते हैं। इसके बाद नए को मौका मिलता है। आपको बता दें कि सरकारी वकीलों की नियुक्ति केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों मिल कर करती है।
वकीलों की नियुक्ति कौन सी सरकार करेगी वो इस बात पर निर्भर होगा कि आप कौन से कोर्ट में वकालत करना चाहते हैं, उच्च न्यायालय में या जिला स्तर के न्यायालय में। उच्च न्यायलय में सरकारी वकीलों की नियुक्ति, उस स्टेट की गवर्नमेंट और केंद्र की सरकार द्वारा, उच्च न्यायालय से विचार और परामर्श करने के बाद किया जाता है। वहीं जिला न्यायालय में वकीलों की नियुक्ति स्टेट की गवर्नमेंट द्वारा की जाती है।
ये हैं सरकारी वकीलों के कार्य
पुलिस द्वारा फाइल की हुई चार्ज शीट का विश्लेषण करना।
एक सरकारी वकील नागरिक और आपराधिक दोनों मामलों को देखता है।
एक्चुअल ट्रायल से पहले Pre-trial प्रोसेस को कंडक्ट करना, ताकि पुलिस द्वारा फाइल की हुई FIR और सबूतों का इन्वेस्टीगेशन सही से हो सके।
कोर्ट में केस से संबंधित सभी तथ्यों को सामने रखना।
केस के गवाहों की कोर्ट में पेशी करना और सभी सबूतों को न्यायधीश के सामने रखना।
उचित निष्कर्ष तक पहुंचने में कोर्ट जज का सहयोग करना।
स्टेट गवर्नमेंट का बचाव करना कोर्ट में।