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प्राथमिक कृषि ऋण समितियों का होगा कंप्यूटरीकरण,13 करोड़ किसानों मिलेगा लाभ

० 2516 करोड़ रुपये खर्च होगा ,छोटे और सीमांत किसानों को मिलेगा लाभ

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) की दक्षता बढ़ाने, उनके संचालन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने, उनके व्यवसाय में विविधता लाने और कई गतिविधियों / सेवाओं को शुरू करने की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से उसका कम्प्यूटरीकरण का निर्णय लिया है। इस फैसले से 63,000 कार्यात्मक पैक्स का कम्प्यूटरीकरण किया जाएगा। कम्प्यूटरीकरण पर 2516 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है, जिसमें से 1528 करोड़ रुपये भारत सरकार मदद देगी।
प्राथमिक कृषि सहकारी ऋण समितियाँ (पैक्स) देश में तीन-स्तरीय अल्पकालिक सहकारी ऋण (STCC) के सबसे निचले स्तर का गठन करती हैं, जिसमें लगभग 13 करोड़ किसान सदस्य हैं, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। अन्य दो स्तरों अर्थात राज्य सहकारी बैंक (एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (डीसीसीबी) को पहले ही नाबार्ड द्वारा स्वचालित बना दिया गया है और इसे कॉमन बैंकिंग सॉफ्टवेयर (सीबीएस) प्लैटफ़ार्म पर लाया गया है।

हालाँकि, अधिकांश पैक्स अब तक कम्प्यूटरीकृत नहीं हुए हैं और अभी भी मैन्युअल रूप से कार्य कर रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप इनमें अक्षमता और विश्वास की कमी व्याप्त है। कुछ राज्यों में पैक्स का स्टैंड अलोन और आंशिक कम्प्यूटरीकरण किया गया है। उनके द्वारा उपयोग किए जा रहे सॉफ़्टवेयर में एकरूपता नहीं है और वे डीसीसीबी और एसटीसीबी के साथ परस्पर जुड़े हुए नहीं हैं। गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह, के कुशल मार्गदर्शन में, पूरे देश में सभी पैक्स को कंप्यूटरीकृत करने और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक कॉमन प्लैटफ़ार्म पर लाने और उनके दिन – प्रतिदिन के कार्यों में एक सामान्य लेखा प्रणाली (CAS) लागू करने का प्रस्ताव किया गया है।

पैक्स का कम्प्यूटरीकरण, वित्तीय समावेशन के उद्देश्य को पूरा करने और विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों (SMFs) को सेवा वितरण प्रणाली को मजबूत करने के अलावा, विभिन्न सेवाओं और उर्वरक, बीज आदि जैसे इनपुट के प्रावधान के लिए नोडल सेवा वितरण बिंदु भी बन जाएगा। यह परियोजना ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटलीकरण में सुधार के अलावा बैंकिंग गतिविधियों के साथ-साथ गैर-बैंकिंग गतिविधियों के आउटलेट के रूप में पैक्स की पहुंच में सुधार करने में मदद करेगी। डीसीसीबी तब विभिन्न सरकारी योजनाओं (जहां क्रेडिट और सब्सिडी शामिल है) को हाथ में लेने के लिए महत्वपूर्ण विकल्पों में से एक के रूप में स्वयं को नामांकित कर सकते हैं, जिन्हें पैक्स के माध्यम से लागू किया जा सकता है। यह राज्य सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के साथ ऋणों का त्वरित निपटान, कम स्थानांतरण लागत, त्वरित लेखापरीक्षा और भुगतान तथा लेखांकन संबंधी असंतुलन में कमी सुनिश्चित करेगा।

इस परियोजना में साइबर सुरक्षा और डेटा भंडारण के साथ ईआरपी आधारित कॉमन सॉफ्टवेयर का विकास, पैक्स को हार्डवेयर संबंधी सहायता प्रदान करना, अनुरक्षण संबंधी सहयोग और प्रशिक्षण सहित मौजूदा रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण शामिल है। यह सॉफ्टवेयर स्थानीय भाषा में होगा जिसमें राज्यों की जरूरतों के अनुसार परिवर्तन करना संभव होगा। परियोजना प्रबंधन इकाइयां (पीएमयू) केंद्र और राज्य स्तर पर स्थापित की जाएंगी। लगभग 200 पैक्स के समूह में जिला स्तर पर सहायता भी प्रदान की जाएगी। उन राज्यों के मामले में जहां पैक्स का कम्प्यूटरीकरण पूरा हो गया है, 50,000 रुपये प्रति पैक्स की प्रतिपूर्ति की जाएगी, बशर्ते वे कॉमन सॉफ़्टवेयर के साथ एकीकृत / अपनाने के लिए सहमत हों, उनका हार्डवेयर आवश्यक विनिर्देशों को पूरा करता हो और सॉफ़्टवेयर 1 फरवरी, 2017 के बाद चालू किया गया हो।

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