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क्रिकेटर ऋषभ पंत की जान बचाने वाले ड्राइवर और संवाहक को किया गया सम्मानित

ऋषभ पंत

सुशील कुमार, परमजीत कुमार काम एक ड्राइवर तो दूसरा खलासी। कल तक सामान्य रहे ये दोनों आज खास हो चुके हैं। क्योंकि इन्होंने कुछ ऐसा काम किया, जिसकी तारीफ पूरा देश कर रहा है। दरअसल ये दोनो वो फरिश्ते हैं, जिन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार खिलाड़ी ऋषभ पंत की जान बचाई। हरियाणा रोडवेज के ड्राइवर सुशील और खलासी परमजीत ने पंत की जान कैसे बचाई, यह कहानी आप लोग जान चुके हैं। अब यह जानिए पंत की जान बचाने का इन दोनों क्या-क्या इनाम मिला? शुक्रवार सुबह जैसे ही ऋषभ पंत के एक्सीडेंट की खबर सामने आई क्रिकेट फैन सदमे में डूब गए। हादसे के बाद पंत और उनकी कार की हालत को देखकर लोग प्रार्थना कर रहे थे। दोपहर बाद तक यह खबर सामने आई कि पंत की हालत स्थिर है। समय रहते दो लोगों ने उनकी मदद कर भारत के होनहार क्रिकेटर की जान बचाई।

ऋषभ पंत अपनी मर्सिडीज कार खुद चलाकर होम टाउन रुड़की जा रहे थे। इसी दौरान उन्हें झपकी आई और उनकी कार डिवाइडर से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। पंत ने खुद बताया कि वह विंड स्क्रीन तोड़कर बाहर आए। इसके बाद कार में भीषण आग लग गई थी। इस एक्सीडेंट के बाद सबसे पहले ड्राइवर सुशील ही ऋषभ पंत के पास पहुंचे थे। क्रिकेटर ऋषभ पंत को एक्सीडेंट के बाद कार से बाहर निकालने वाले हरियाणा रोडवेज के बस ड्राइवर सुशील और कंडक्टर परमजीत पानीपत डिपो में कार्यरत हैं।

एबुंलेंस को फोन कर ऋषभ पंत को भेजवाया अस्पताल

इस हादसे की बात करते हुए बस ड्राइवर ने बताया कि वे क्रिकेट नहीं देखते और वे नहीं जानते थे कि उस दुर्घटनाग्रस्त कार में कौन है। सुशील मान नाम के ड्राइवर ने हादसे के बाद कार से चिंगारी निकल रही थी। पंत कार की खिड़की से लटके थे। उन्हें तुरंत जलती कार से अलगकर पुलिस और एबुंलेंस को फोन कर उन्हें अस्पताल भेजवाया।

पंत की जान बचाने वाले ड्राइवर और संवाहक को सम्मानित किया गया

पंत की जान बचाने वाले हरियाणा राज्य परिवहन निगम के ड्राइवर सुशील कुमार और संवाहक परमजीत को सम्मानित किया गया है। हरियाणा राज्य परिवहन निगम के पानीपत डिपो के महाप्रबंधक कुलदीप जांगड़ा ने कहा, पानीपत लौटने पर हमने उन्हें अपने कार्यालय में एक प्रशंसा पत्र और एक स्मृति चिह्न प्रदान किया।

ड्राइवर की सूझबूझ से बची ऋषभ पंत की जान

सुशील कुमार ने कहा, ”मैं हरियाणा रोडवेज में ड्राइवर हूं। मैं हरिद्वार से आ रहा था। जैसे ही हम नारसन के पास पहुंचे, 200 मीटर पहले मैंने देखा दिल्ली की तरफ से कार आई और करीब 60-70 की स्पीड में डिवाइडर से टकरा गई। टकराने के बाद कार हरिद्वार वाली लाइन पर आ गई। मैंने देखा कि अब बस भी टकरा जाएगी। हम किसी को बचा ही नहीं सकेंगे क्योंकि मेरे पास 50 मीटर का ही फासला था। मैंने तुरंत सर्विस लाइन से हटाकर गाड़ी फर्स्ट लाइन में डाल दी। वो गाड़ी सेंकड लाइन में निकल गई। मेरी गाड़ी 50-60 की स्पीड में थी। मैंने तुरंत ब्रेक लगाया और खिड़की साइड से कूदकर गया।”

बस ड्राइवर सुशील कुमार ने आगे बताया, ”मैंने उस आदमी (ऋषभ पंत) को देखा. वो जमीन पर पड़ा था। मुझे लगा वो बचेगा ही नहीं। कार में चिंगारियां निकल रही थीं। उसके पास ही वो (पंत) पड़ा था। हमने उसे उठाया और कार से दूर किया। मैंने उससे पूछा- कोई और है कार के अंदर? वो बोला कि मैं अकेला ही था। फिर उसी ने बताया कि मैं ऋषभ पंत हूं। मैं क्रिकेट के बारे में इतना जानता नहीं। उसे साइड में खड़ा किया। उसके शरीर पर कपड़े नहीं थे तो हमने अपनी चादर में उसे लपेट दिया।”

 

 

 

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