नई दिल्ली। सड़क परिवहन मंत्री, जिनकी अक्सर अपने मंत्रालय के प्रदर्शन के लिए विपक्षी सदस्यों की भी प्रशंसा मिलती है। माना जाता है कि नितिन गडकरी देश में एक्सप्रेसवे टोल का जनक हैं। पहला प्रयोग महाराष्ट्र में ही किया गया था। आज पूरे देश में वही प्रयोग विकास का पर्याय बन गया है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा सदस्यों से कहा कि वह देश में एक्सप्रेसवे पर ‘टोल टैक्स के जनक’ हैं क्योंकि उन्होंने 1990 के दशक के आखिर में राज्य मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान महाराष्ट्र में इस तरह की पहली सड़क बनाई थी।
राज्यसभा में प्रश्नकाल में पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए वरिष्ठ मंत्री ने यह टिप्पणी की, जहां सदस्यों ने शहर की सीमा के भीतर एक्सप्रेसवे पर टोल प्लाजा लगाने पर चिंता व्यक्त की, जिसके कारण स्थानीय आबादी को शहर के भीतर आने पर भी टोल का भुगतान करना पड़ता है।
बता दें कि सड़क परिवहन मंत्री, जिनकी अक्सर अपने मंत्रालय के प्रदर्शन के लिए विपक्षी सदस्यों द्वारा भी प्रशंसा की जाती है, ने सदस्यों को आश्वासन दिया कि इस मुद्दे को ठीक किया जाएगा और दावा किया कि यह समस्या यूपीए शासन के दौरान पैदा हुई थी।
उन्होंने कहा कि 2014 से पहले, जब यूपीए सरकार थी, शहरी क्षेत्र के पास टोल लगाया जाता था और सभी को इसका भुगतान करना पड़ता था। उन्होंने कहा “यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और गैरकानूनी है।”
गडकरी ने कहा, “सौभाग्य से या दुर्भाग्य से, मैं इस टोल का जनक हूं क्योंकि इस देश में पहली बार मैंने टोल सिस्टम शुरू किया था और बीओटी (बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर) की पहली परियोजना महाराष्ट्र में ठाणे थी।” 1995 और 1999 के बीच महाराष्ट्र सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री के रूप में गडकरी के कार्यकाल में, अपनी तरह की पहली मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे परियोजना शुरू की गई थी।
मंत्री ने कहा कि जो नई व्यवस्था शुरू होने जा रही है, उसमें हम देखेंगे कि शहर का इलाका हटाया जाए और लोगों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि अक्सर शहर के लोग एक्सप्रेसवे रोड के सिर्फ 10 किमी का इस्तेमाल करते हैं और उनसे 75 किमी के लिए टोल का भुगतान लिया जाता है।
उन्होंने सदस्यों की चिंताओं को दूर करते हुए कहा “यह बिल्कुल गलत है, लेकिन यह मेरी समस्या नहीं है और यह पिछली सरकार के दौरान हुआ था। हम इसे सुधारेंगे।”