राकेश अचल
कोई दो दशक पहले देश के आसमान में उड़ान भरने वाली वीडियो ग्रुप की एयरलाइन कंपनी ‘गो फर्स्ट’अब उड़न छू होने वाली है।यह तब है जब देश आबादी के मामले में सबसे आगे निकल चुका है, लेकिन गो फर्स्ट का इससे कोई लेना-देना नहीं है। कंपनी लगभग दिवालिया होने के कगार पर है. कंपनी का कहना है कि उसके पास इंजन की कमी हो गई है जिसकी वजह से वो कम उड़ाने भर पाएगी. इंजन बनाने वाली कंपनी ‘ प्रैट एंड व्हिटनी ‘ने उसकी सप्लाई बंद कर दी है.
आप यकीन नहीं करेंगे लेकिन आपको यकीन करना पड़ेगा क्योंकि हकीकत ये है कि एयरलाइन के पास पैसे नहीं हैं जिस वजह से वह ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के बकाये का भुगतान नहीं कर पा रही है. इन कंपनियों ने उसे तेल देने से मना कर दिया है. इस वजह से एयरलाइन तीन, चार और पांच मई को उड़ान नहीं भरने का फैसला किया है और बुकिंग बंद कर दी है.
मजे की बात ये है कि आसमान छोड़ने वाली। गो फर्स्ट और इंजन बनाने वाली प्रैट एंड व्हिटनी एक दूसरे पर मौजूदा हालात के लिए ठीकरा फोड़ रहे हैं और देश में डबल इंजन से सरकारें चलाने वाली देश की बोइंग सरकार मौन है। सरकार इस मामले में कुछ कर भी नहीं सकती, क्योंकि सरकार के पास कुछ है ही नहीं।
गो एयरलाइंस (इंडिया) का कहना है कि उसे प्रैट एंड व्हिटनी इंजनों की “लगातार बढ़ती विफलता” के कारण समाधान और सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में आवेदन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है जो उसके बेड़े को शक्ति प्रदान करता है.
गो फर्स्ट और प्रैट एंड व्हिटनी एक दूसरे के पूरक हैं। गो फर्स्ट के एयरबस( A320neo ) विमान बेड़े के लिए विशेष इंजन आपूर्तिकर्ता है । गो फर्स्ट को प्रैट एंड व्हिटनी के इंटरनेशनल एयरो इंजन, एलएलसी द्वारा आपूर्ति किए गए विफल इंजनों की लगातार बढ़ती संख्या के कारण यह कदम उठाना पड़ा है, जिसके परिणामस्वरूप गो फर्स्ट को अपने आधे यानि बेड़े के 25 विमान 1 मई 2023 तक ग्राउंड करना पड़े।
इस मामले में हवा- हवाई मंत्री से लेकर पूरी सरकार मौन है किंतु गो फर्स्ट के मुख्य कार्यकारी कौशिक ने माना कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय है लेकिन कंपनी के हितों की रक्षा के लिए इसे किया जाना था.”यानि यहां मजबूरी का नाम महात्मा गांधी नहीं कुछ और ही है।
गो फर्स्ट एयरलाइन का आरोप है कि प्रैट एंड व्हिटनी के दोषपूर्ण इंजनों के कारण ग्राउंडेड विमानों का प्रतिशत दिसंबर 2019 में 7 प्रतिशत से बढ़कर दिसंबर 2020 में 31 प्रतिशत से बढ़कर दिसंबर 2022 में 50 प्रतिशत हो गया है.ऐसे में प्रैट एंड व्हिटनी को 27 अप्रैल 2023 तक कम से कम 10 सर्विसेबल स्पेयर लीज्ड इंजनों के पहले के आदेशों का पालन करना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब यदि दिसंबर 2023 तक प्रति माह अतिरिक्त 10 अतिरिक्त लीज इंजन दे तो एयरलाइन अगस्त/सितंबर तक पूर्ण संचालन पर वापस जाने में सक्षम होगी.
कौशिक ने दबी जुबान से कहा कि अगर प्रैट एंड व्हिटनी अतिरिक्त पट्टे पर इंजन उपलब्ध कराने में विफल रहता है, और अगले तीन-चार महीनों में इंजन की विफलता की उम्मीद के साथ, गो फर्स्ट के संचालन को अव्यवहारिक बना दिया जाएगा.
गो फर्स्ट ने कहा कि उसने सरकार को स्थिति के बारे में बता दिया है और नियामक नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) को एक रिपोर्ट भेजेगा। आपको बता दें कि गो फर्स्ट में 5 , हजार से अधिक लोग कार्यरत हैं। गो फर्स्ट के बेड़े में 59 विमान हैं, जिनमें से 54 A320neo और पांच A320ceo हैं.
घरेलू उड़ानों को समृद्ध करने के लिए नवंबर 2005 को मुंबई से अहमदाबाद के लिए गो एयर की पहली फ्लाइट ने उड़ान भरी थी । इस रूट की किसी अन्य एयलाइन के मुकाबले गो फर्स्ट की फ्लाइट के दाम सस्ते थे । इसे देखते हुई कई ग्राहक इसकी तरफ आकर्षित हुए और गो एयर ने लो-कॉस्ट मॉडल पर देश के अलग-अलग मार्गों में विमान सेवाएं शुरू कर दीं ।एक वक्त ऐसा भी आया जब कंपनी परफॉर्मेंस के आधार पर लगातार 15 महीने तक देश की लीडिंग एयरलाइन बनी रही, लेकिन अब कंपनी का वक्त खराब चल रहा है। कंपनी के अच्छे दिन कब आएंगे, ये कोई नहीं जानता।
आपको बता दूं कि भारत में इस समय कुल 26 एयरलाइंस घरेलू क्षेत्र में काम कर रही हैं। प्रमुख एयरलाइंस इंडिगो, जेट एयरवेज , स्पाइस जेट, एयर इंडिया,गो फर्स्ट, एयर एशिया,विस्ट्रा एयरलाइंस प्रमुख हैं।