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National Herald Case: नेशनल हेराल्ड मामले में 2 से 8 जुलाई तक रोजाना होगी सुनवाई,जानिए ईडी ने क्या बताया…


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दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार को दिल्ली की एक अदालत को बताया कि नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी तथा अन्य के खिलाफ पहली नजर में धन शोधन का ‘प्रथम मामला बनता है। ईडी ने विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने के समक्ष मामले का संज्ञान लेने के संबंध में प्रारंभिक दलीलें पेश कीं। इस बीच, न्यायाधीश ने ईडी को निर्देश दिया कि वह इस मामले में अपने आरोपपत्र की एक प्रति भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी को उपलब्ध कराए, जिनकी निजी शिकायत के आधार पर ईडी ने वर्तमान मामला दर्ज किया था। इस मामले में बहस अभी चल रही है।

हाल ही में आरोपपत्र दाखिल करने वाली ईडी ने 2021 में अपनी जांच शुरू की थी, जब एक मजिस्ट्रेट अदालत ने 26 जून 2014 को स्वामी की ओर से दायर एक निजी शिकायत पर संज्ञान लिया था। नेशनल हेराल्ड धन शोधन मामले में संघीय एजेंसी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि आरोपी तब तक “अपराध की आय का आनंद ले रहे थे” जब तक कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नवंबर 2023 में नेशनल हेराल्ड से जुड़ी 751.9 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त नहीं कर ली।

ईडी ने आगे दावा किया कि गांधी परिवार ने न केवल अपराध से प्राप्त धन को अर्जित करके धन शोधन किया, बल्कि उस पेसे को अपने पास भी रखा। ईडी ने बताया कि नेशनल हेराल्ड के संबंध में सोनिया गांधी, सैम पित्रोदा, सुमन दुबे और अन्य के खिलाफ प्रथम दृष्टया धन शोधन का मामला सामने आया है। इस बीच, न्यायाधीश ने संघीय एजेंसी को शिकायतकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी को एक प्रति उपलब्ध कराने का आदेश दिया। ईडी ने 2021 में अपनी जांच शुरू करने के बाद हाल ही में अपना आरोपपत्र दाखिल किया।

क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?
नेशनल हेराल्ड मामले में पहली शिकायत 2012 में दर्ज की गई थी। हालांकि, ईडी ने 2014 में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामले की जांच शुरू की। यह तब हुआ जब एक ट्रायल कोर्ट ने 2012 में स्वामी की ओर से दायर एक निजी आपराधिक शिकायत के आधार पर अनियमितताओं की आयकर जांच का संज्ञान लिया था। आरोपों के अनुसार 2010 में, नेशनल हेराल्ड प्रकाशित करने वाली एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) में 1,057 शेयरधारक थे। स्वामी की शिकायत के अनुसार, गांधी परिवार ने धोखाधड़ी, आपराधिक गबन और विश्वासघात के जरिए यंग इंडियन लिमिटेड (वाईआईएल) का इस्तेमाल कर एजेएल का अधिग्रहण किया।

2008 में भारी कर्ज के बोझ तले दबी एजेएल ने वित्तीय तंगी का हवाला देते हुए नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन बंद कर दिया। दो साल बाद वाईआईएल बना। सोनिया और राहुल गांधी के पास इसके 38-38 फीसदी शेयर थे, जो संयुक्त रूप से 78 फीसदी था। चूंकि एजेएल पर कांग्रेस का 90.25 करोड़ रुपए बकाया था, इसलिए पार्टी ने 50 लाख रुपए में इस लोन को वाईआईएल को हस्तांतरित कर दिया। इस हस्तांतरण के साथ ही एजेएल का नियंत्रण वाईआईएल को हस्तांतरित हो गया, अब इस पर अब एजेएल का 99 प्रतिशत स्वामित्व है। ये सारे बदलाव राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) या किसी अन्य नियामक संस्था की निगरानी के बगैर किया गया। जिससे इस लेनदेन पर सवाल उठने लगे।

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