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कही-सुनी (25 MAY-25) : फ्लाईओवर के जमाने में स्काईवाक


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R.O. No. 13250/31

रवि भोई की कलम से



लोग कह रहे हैं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्काईवाक की जरुरत क्या है? अब तो जमाना फ्लाईओवर और मेट्रो रेल का है। शहर ही नहीं, गांवों में पैदल चलने वालों की संख्या बची नहीं। अब तो लोग घर से किराना स्टोर तक टू व्हीलर से जाते हैं और गांवों में लोग एक जगह से दूसरे जगह तक जाने के लिए बाइक का इस्तेमाल करते हैं। कई किलोमीटर स्काईवाक की जगह रोड़ क्रासिंग के लिए स्काईवाक होता तो शायद उसका इस्तेमाल ज्यादा होता। राजधानी में स्काईवाक बनाने का फैसला डॉ रमनसिंह की सरकार ने किया था। रमनसिंह की सरकार में स्काईवाक का स्ट्रक्चर काफी कुछ खड़ा भी हो गया था। कम्लीट होने से पहले सरकार बदल गई। कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार में स्काईवाक का काम रुक गया और बनाने या तोड़ने को लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया। विचार-विमर्श में ही पांच साल बीत गया। बताते हैं अब विष्णुदेव साय की सरकार ने स्काईवाक के लिए 37 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। पहले ही इस पर करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैं। 37 करोड़ में स्काईवाक कितना आगे बढ़ेगा और लोग उस पर कदमताल कर पाएंगे, यह तो समय बताएगा ? दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों में भी देखें तो कई किलोमीटर का लंबा स्काईवाक नजर नहीं आता। अब छत्तीसगढ़ राजधानी रायपुर में फ्लाईओवर की मांग है। लोगों का कहना है कि रेलवे स्टेशन से शास्त्री चौक तक फ्लाईओवर बने तो ज्यादा उपयोगी होगा।

कब आदेश होगा फुलटाइम डीजीपी का ?

कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के फुलटाइम डीजीपी के लिए यूपीएससी ने राज्य को पैनल भेज दिया है। अब लोगों को पूर्णकालिक डीजीपी के आदेश का इंतजार है। चर्चा है कि यूपीएससी ने फुलटाइम डीजीपी राज्य को अरुणदेव गौतम और हिमांशु गुप्ता का नाम भेजा है। अरुणदेव गौतम अभी इंचार्ज डीजीपी हैं 1992 बैच के आईपीएस हैं, जबकि हिमांशु गुप्ता 1994 बैच के आईपीएस हैं। माना जा रहा है कि वरिष्ठता के चलते सरकार अरुणदेव गौतम को फुलटाइम डीजीपी बनाने का आदेश जारी कर सकती है। यह आदेश अगले हफ्ते निकलता है या फिर सुशासन तिहार के बाद, इस पर संशय है। बताते हैं कि राज्य सरकार ने फूल टाइम डीजीपी के लिए अरुणदेव गौतम और हिमांशु गुप्ता के अलावा पवनदेव और जीपी सिंह का नाम भी यूपीएससी को भेजा था। 1994 बैच के आईपीएस पवनदेव एक पुराने मामले में विशाखा कमेटी की रिपोर्ट के कारण दौड़ से बाहर हो गए। इस मामले को लेकर कुछ लोगों ने पवनदेव की भारत सरकार से शिकायत भी की थी। जीपी सिंह बर्खास्तगी के बाद हाल ही में सेवा में बहाल हुए हैं। सरकार ने अब तक उन्हें कोई काम भी नहीं सौंपा है।

संदीप शर्मा का क्या होगा ?

भाजपा नेता संदीप शर्मा को सरकार ने खाद्य आयोग का अध्यक्ष बनाया है, पर कांग्रेस राज में नियुक्त खाद्य आयोग के अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त नहीं होने के कारण संदीप शर्मा अधर में लटक गए हैं। वैसे सरकार ने अधर में लटके कुछ लोगों को नए निगम-मंडलों में एडजेस्ट किया है, तो क्या संदीप शर्मा के लिए भी रास्ता निकाला जाएगा ? संदीप शर्मा की छवि किसान नेता की है और वे मूलतः किसान हैं। संदीप शर्मा वर्षों भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष भी रहे। अब वे अध्यक्ष नहीं हैं, फिर भी उन पर किसान मोर्चा का छाप है। किसान नेता को खाद्य आयोग की जिम्मेदारी लोगों के गले उतर नहीं रही है। कहते हैं संदीप शर्मा जो चाहते हैं , वह उन्हें मिलता नहीं हैं। संदीप शर्मा सालों तक राजिम विधानसभा से पार्टी टिकट के लिए लगे रहे, पर उनका सपना पूरा हुआ नहीं। यह अलग बात है कि वे दूसरों के सपनों को साकार करते रहे। अब देखते हैं भाजपा के वरिष्ठ नेता के सिर सेहरा कब बंधता है ?

मंत्रीजी की घोषणा, दुविधा में अफसर

कहते हैं न अनुभव और वरिष्ठता का अलग ही महत्व होता है । छत्तीसगढ़ में भाजपा ने पहली बार के विधायकों को मंत्री बना दिया, लगता है मंत्री के तौर पर कामकाज करने में और सिद्धहस्त होना पड़ेगा। मुख्यमंत्री का प्रोटोकॉल क्या होता है और मंत्री का प्रोटोकॉल क्या होता है, यह समझना होगा। मुख्यमंत्री तो राज्य के भीतर कहीं भी किसी भी विभाग के बारे में कुछ भी घोषणा कर सकते हैं। अफसर-कर्मचारियों पर एक्शन ले सकते हैं, क्योंकि मुख्यमंत्री में पूरा मंत्रिमंडल समाहित होता है। मंत्री ऐसा नहीं कर सकते। मंत्री अपने विभागों में बंधे होते हैं, पर पिछले दिनों राज्य के एक मंत्री ने अपने विभागों के इतर निर्माण कार्य विभाग से जुड़ी योजना के बारे में घोषणा कर आए। अब जिस विभाग के बारे में घोषणा की है, उस विभाग के अधिकारी पशोपेश में पड़ गए हैं कि मंत्री जी की घोषणा पूरी कैसे होगी ?

अमिताभ जैन की जगह कौन ?

वर्तमान मुख्य सचिव अमिताभ जैन की जगह छत्तीसगढ़ का अगला मुख्य सचिव कौन होगा, यह सवाल कई लोगों के मन में तैर रहा है ? चर्चा तो यह है कि छत्तीसगढ़ का अगला मुख्य सचिव दिल्ली से ही तय होगा। वैसे तो नए मुख्य सचिव के लिए तीन-चार नाम लोगों की जुबान पर है। अमिताभ जैन का कार्यकाल 30 जून तक है। माना जा रहा है कि 30 जून को छत्तीसगढ़ को नया मुख्य सचिव मिल जाएगा। अमिताभ जैन ने राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त के लिए आवेदन किया है। पहले माना जा रहा था कि अमिताभ जैन रिटायरमेंट के दो महीने पहले स्वैछिक सेवानिवृति ले लेंगे और राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्ति हो जाएगी, पर अब विलंब नजर आ रहा है, क्योंकि राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति की बैठक की अभी तक नई तारीख ही तय नहीं हुई है। 16 अप्रैल को होने वाली बैठक टल गई थी। संभावना व्यक्त की जा रही है कि अमिताभ जैन कार्यकाल पूरा करेंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त और एक सूचना आयुक्त का निर्णय अब एक साथ हो। सूचना आयुक्त के दावेदारों का इंटरव्यू 28 मई को सचिव समिति के समक्ष प्रस्तावित है।

क्या जून में राज्य को मिलेंगे नए मंत्री ?

छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर कई महीनों से कयासों का बाजार गर्म है, लेकिन मुहूर्त निकल ही नहीं पा रहा है। अब नए सिरे से मंत्रिमंडल के विस्तार और नए मंत्रियों के आगमन व कुछ की विदाई की बात होने लगी है। कहा जा रहा है कि प्रदेश के कुछ ताकतवर लोग एक-दो मंत्रियों को राष्ट्रीय संगठन में भिजवाने की मुहिम में लगे हैं। अब देखते हैं वे इसमें कितना सफल हो पाते हैं। खबर है कि 15 जून तक नए राष्ट्रीय अध्यक्ष बारे में फैसला हो जाएगा। इसके बाद साय मंत्रिमंडल का ढांचा बदलने की कवायद होगी। कुछ लोगों की इंट्री के बाद कइयों के विभाग बदलने की अटकलें चल रही है। कुछ मंत्रियों को हल्का तो कुछ के पर कतरे जाने की सुगबुगाहट है। अब देखते कब शुभ मुहूर्त निकलता है।

घोटालेबाजों पर साय की नकेल

चुनावी सभाओं में मोदी और शाह ने संकेत दिया था कि छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार आई तो घोटाले और भ्रष्टाचार करने वालों की खैर नहीं,उसी सिद्धांत पर चलते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भारतमाला परियोजना में गड़बड़ी की जाँच ईओडब्ल्यू को सौंपा और अब अरपा-भैंसाझार बैराज परियोजना में गड़बड़ी की जाँच ईओडब्ल्यू को देने का निर्णय लिया है। अरपा-भैंसाझार परियोजना में भी जमीन का खेला की खबर आ रही है। इसमें भी रसूखदारों और नौकरशाहों ने जेब भरने का तरीका ढूढ़ निकाला। परियोजना अभी पूरी नहीं हुई है और बजट पूरा खत्म हो गया। बताते हैं केवल 30 फीसदी काम ही पूरा हुआ है। किसान सिचाई सुविधा की बाट जोह रहे हैं। खबर है कि भारतमाला की तरह इस योजना में भी जमीन में लोगों ने मलाई मारी है। बिलासपुर जिले के कोटा के पास बने इस परियोजना में प्रारंभिक तौर पर अब तक सिंचाई और राजस्व विभाग के 15 जिम्मेदार शक के दायरे में हैं। जाँच के बाद और खुलासा होगा। पर एक बात तो साफ़ है कि मुख्यमंत्री साय ने नहीं बख्शने की ठान ली है।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
(डिस्क्लेमर – कुछ न्यूज पोर्टल इस कालम का इस्तेमाल कर रहे हैं। सभी से आग्रह है कि तथ्यों से छेड़छाड़ न करें। कोई न्यूज पोर्टल कोई बदलाव करता है, तो लेखक उसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। )

 

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