चाय के साथ पकौड़े का कॉम्बिनेशन जरूर ट्राई किया जाता है। इस व्यंजन की यही खास बात है कि ये पूरी तरह से देसी है और हमारे प्राचीन इतिहास का हिस्सा भी रहे हैं। आप वेज से लेकर नॉन वेज पकौड़े कभी भी और किसी भी वक्त ट्राई कर सकते हैं।
पर क्या आपके मन में कभी यह ख्याल जरूर आया होगा कि आखिर पकौड़े कैसे हमारे स्नैक्स का हिस्सा बने और क्यों हमारे टी टाइम को अमेजिंग बनाना शुरू कर दिया। आइए आपके इस सवाल का जवाब देते हैं और आपको बताते हैं कि कैसे ये चटपटा स्नैक्स भारत में आया और क्या है इसकी कहानी।
क्या है पकौड़े का इतिहास?
पकौड़े को इतिहास को लेकर कई तरह के विवाद हैं। पर कहा जाता है कि पकौड़े की शुरुआत तमिल संगम साहित्य में दिखाई देती है। रसोई नामक किताब में उल्लेख मिलता है कि पकौड़े को परिका के नाम से पुकारा जाता था। तब पकौड़े तो बहुत अलग तरीके से तैयार किया जाता था।
इसे बनाने के लिए सब्जियों और बेसन का इस्तेमालकिया जाता था। कई जगह उल्लेख मिलता है कि तेल में तली हुई दाल से बना एक गोल केक या कुरकुरी तली हुई सब्जियों को ही पकौड़े कहा जाता था।
भारत में पकौड़े का इतिहास
कहा जाता है कि मुगलों के आने के बाद शाही बावर्चियों ने कई तरह से पकौड़े बनाए थे जैसे- अंडे के पकौड़े, मटन के पकौड़े, चिकन के पकौड़े आदि। कहा जाता है कि इस दौरान पकौड़ा नाम का आविष्कार हुआ था। इससे पहले पकौड़ों को पक्कवट कहा जाता था।
इस शब्द को पक्वा मतलब पका, और वटा मतलब छोटे टुकड़े जैसे शब्दों को को जोड़कर बनाया गया था। बताया जाता है ये पुर्तगाली ही थे जिनकी वजह से हम आलू-प्याज के पकौड़े खा पा रहे हैं क्योंकि वो 16वीं सदी में भारत में आलू लेकर आए थे।
पकौड़े के होते हैं कई अलग रूप
आमतौर पर आलू के पकौड़े बनाए जाते हैं, लेकिन जगह के हिसाब से इसके स्वाद में बदलाव आता है। पंजाब में अक्सर पनीर के पकौड़े बनाए जाते हैं। वहीं, दिल्ली में कई जगहों पर पकौड़े को स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें हरी मटर का इस्तेमालकिया जाता है।