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शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय में बड़ी सख्या में योग्य एवं गुणवत्ता युक्त शिक्षकों की नियुक्ति

जगदलपुर। शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय सन 2008 में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से अलग होकर अस्तित्व में आया मात्र 10 विभाग और 65 टीचरों की अनुमति के साथ विश्वविद्यालय को शुरू किया गया इस क्रम में वर्ष 2010 में एंथ्रोपोलॉजी में तीन और फॉरेस्ट्र में तीन कुल छः प्रोफेसर की भर्ती हुई थी 59 पोस्ट की भर्ती प्रक्रिया वर्ष 05.10.2023 से 15.06.2025 तक संपन्न हुआ के माध्यम से 19 में टीचर प्रोफेसर विश्वविद्यालय को प्राप्त हुए हैं में इस सत्र में कुल 19 सहायक प्राध्यापक, सह प्राध्यापक एवं प्राध्यापकों की नियुक्ति की गई है। शिक्षकों की नियुक्ति यू.जी.सी. के मापदण्डों एवं उच्च शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ के निर्देशन में किया गया है।
विश्वविद्यालय द्वारा चयन समिति में राष्ट्रीय स्तर के प्रख्यात विषय विशेषज्ञों को बुलाया गया था जिन्होने उम्मीदवारों की योग्यता एवं कौशल का गहन साक्षात्कार करने के उपरान्त ही चयन के लिए अनुशंसित किया है। जिन पदों पर योग्य अभ्यर्थी नहीं पाए गये उन पदों को रिक्त रखा गया है। अधिकांश उम्मीदवार ने बताया कि चयन समिति इतने कठिन प्रश्न पूछ रही थी कि ऐसा लग रहा था कि मैं बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय की चयन समिति के समक्ष साक्षात्कार दे रहा हूँ। कुछ अभ्यर्थियों ने बताया कि आईआईटी की चयन समिति के समतुल्य चयन समिति शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय की थी।
यह बहुत ही गर्व की बात है कि बस्तर संभाग में उपलब्ध प्रतिभाओं को राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों ने सराहा है और यह बहुत बड़ी उपलब्धि है कि पहली बार बस्तर संभाग के 7 आवेदकों का चयन विश्वविद्यालय में शैक्षणिक कार्यों हेतु हुआ है जिसमें बस्तर संभाग की चार बेटियां भी शामिल हैं।
यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि इस चयन प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता बरती गई है एवं गुणवत्ता के आधार पर यू.जी.सी. द्वारा निर्धारित मानदण्डों का पालन करते हुए प्रक्रिया के तहत समस्त नियुक्तियां हुई हैं। शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय में विगत 17 वर्षों से शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है जिसके फलस्वरूप शैक्षणिक कार्य अत्यन्त कठिनाई से पूर्ण हो पाता है जिसमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तो और कठिन थी। वर्तमान नियुक्तियों के बाद विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गुणवत्ता में वृद्धि आएगी जो कि बस्तर संभाग के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
निकट भविष्य में टीचिंग और नॉन टीचिंग शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक पदों पर भी भारती की जानी है जिसकी प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी
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