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CBI ने अनिल अंबानी की आरकॉम से जुड़े परिसरों में की छापेमारी ,2000 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी का केस दर्ज

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दिल्ली। बैंक धोखाधड़ी मामले में आरकॉम और अनिल अंबानी से जुड़े परिसरों की सीबीआई तलाशी ले रही है। अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने कथित बैंक धोखाधड़ी के सिलसिले में शनिवार को रिलायंस कम्युनिकेशंस के खिलाफ मामला दर्ज किया और उसके परिसरों की तलाशी ली। इस धोखाधड़ी से भारतीय स्टेट बैंक को 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि एजेंसी आरकॉम और उसके प्रमोटर निदेशक अनिल अंबानी से जुड़े परिसरों की तलाशी ले रही है।



सीबीआई ने यह कार्रवाई भारतीय स्टेट बैंक की शिकायत के आधार पर की है, जिसने 13 जून को इन संस्थाओं को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत किए जाने के बाद एजेंसी से संपर्क किया था। यह कार्रवाई आरबीआई के धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर मास्टर निर्देशों और बैंक के बोर्ड द्वारा अनुमोदित धोखाधड़ी के वर्गीकरण, रिपोर्टिंग और प्रबंधन नीति के अनुसार की गई थी।

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने पिछले महीने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कहा था, ’24 जून, 2025 को बैंक ने आरबीआई को धोखाधड़ी के वर्गीकरण की सूचना दी थी और अब वह सीबीआई में शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया चल रही है।’ उन्होंने बताया था कि आरकॉम में एसबीआई के ऋण जोखिम में 26 अगस्त, 2016 से प्रभावी 2,227.64 करोड़ रुपये की निधि-आधारित मूल बकाया राशि (साथ ही अर्जित ब्याज और व्यय) और 786.52 करोड़ रुपये की गैर-निधि-आधारित बैंक गारंटी शामिल है।

कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया से गुजर रही आरकॉम
आरकॉम दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के तहत कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया से गुजर रही है। समाधान योजना को लेनदारों की समिति की ओर से अनुमोदित किया गया था और 6 मार्च, 2020 को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी), मुंबई में दायर किया गया था।

उन्होंने बताया था कि बैंक ने अनिल डी. अंबानी के खिलाफ आईबीसी के तहत एक व्यक्तिगत दिवाला समाधान प्रक्रिया भी शुरू की है। इसकी सुनवाई एनसीएलटी, मुंबई की ओर से की जा रही है। एसबीआई ने 10 नवंबर, 2020 को खाते और प्रमोटर अनिल डी. अंबानी को ‘धोखाधड़ी’ के रूप में वर्गीकृत किया था और 5 जनवरी, 2021 को सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई थी। हालांकि, मंत्री ने कहा था कि दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से 6 जनवरी, 2021 को जारी यथास्थिति आदेश के मद्देनजर शिकायत वापस कर दी गई थी।

इस बीच भारतीय स्टेट बैंक एवं अन्य बनाम राजेश अग्रवाल एवं अन्य मामले में 27 मार्च, 2023 को सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले में यह अनिवार्य किया गया कि ऋणदाता उधारकर्ताओं को उनके खातों को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने से पहले अपना पक्ष रखने का अवसर प्रदान करें। मंत्री ने कहा कि तदनुसार, बैंक ने 2 सितंबर, 2023 को खाते में धोखाधड़ी के वर्गीकरण को उलट दिया। ऐसे में धोखाधड़ी वर्गीकरण प्रक्रिया को फिर से चलाया गया और 15 जुलाई, 2024 के आरबीआई परिपत्र के अनुसार उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद खाते को फिर से ‘धोखाधड़ी’ के रूप में वर्गीकृत किया गया।