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जापान में सीएम साय की बैठकों से छत्तीसगढ़ के विकास को मिलेगी नई रफ्तार

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रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय इन दिनों जापान दौरे पर हैं और उनका ये दौरा सिर्फ एक औपचारिक यात्रा नहीं, बल्कि राज्य के लिए नए अवसरों की खोज है। नौ दिन के इस दौरे में सीएम लगातार उन कंपनियों और संस्थानों से मुलाकात कर रहे हैं, जो छत्तीसगढ़ में निवेश कर सकते हैं और यहां की तस्वीर बदल सकते हैं।



टोक्यो में उन्होंने जापान सरकार के औद्योगिक संगठन जेईटीआरओ (JETRO) के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की। बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ की ताकत बताई—आईटी से लेकर टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, एयरोस्पेस और क्लीन एनर्जी तक। उन्होंने जेईटीआरओ को खुला न्योता दिया कि वे राज्य में आकर निवेश की संभावनाएं तलाशें।

यह मुख्यमंत्री साय का पहला जापान दौरा है और शुरुआत उन्होंने जापान की दिग्गज आईटी-टेलीकॉम कंपनी NTT के अधिकारियों से मुलाकात से की। बातचीत का मकसद था – छत्तीसगढ़ में डिजिटल नेटवर्किंग हब और डेटा सेंटर जैसे प्रोजेक्ट्स को जमीन पर उतारना।

लेकिन दौरा यहीं नहीं रुकता। 24 अगस्त को वे ओसाका एक्सपो 2025 के आयोजन स्थल पर पहुंचेंगे, जहां छत्तीसगढ़ को एक अंतरराष्ट्रीय ब्रांड के रूप में पेश करने की रणनीति पर काम होगा। इसके पहले 23 अगस्त को मुख्यमंत्री जापान में बसे प्रवासी भारतीयों से मिलेंगे और उन्हें अपने ही राज्य में निवेश के लिए प्रेरित करेंगे। नई उद्योग नीति और संसाधनों के बारे में जानकारी देकर वे उन्हें जोड़ने का प्रयास करेंगे।

इसके बाद 28 अगस्त को मुख्यमंत्री दक्षिण कोरिया जाएंगे। वहां वे कोरिया इंटरनेशनल ट्रेड एसोसिएशन (KITA) के प्रतिनिधियों से मिलेंगे, जो हजारों कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है। इस बैठक से टेक्सटाइल, मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर में निवेश की उम्मीदें हैं। साथ ही, मुख्यमंत्री हुंडई मोटर स्टूडियो का दौरा भी करेंगे, ताकि इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर में छत्तीसगढ़ को आगे बढ़ाया जा सके।

इस पूरे दौरे का मकसद साफ है—छत्तीसगढ़ में बड़े स्तर पर उद्योग लाना, तकनीकी साझेदारी करना और स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के दरवाज़े खोलना। खासकर बस्तर और सरगुजा जैसे इलाकों को ध्यान में रखकर योजनाएं बन रही हैं, जहां अब तक विकास की रफ्तार धीमी रही है।

मुख्यमंत्री का यह दौरा सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी अहम माना जा रहा है। अगर ये कोशिशें जमीन पर उतरती हैं, तो आने वाले समय में छत्तीसगढ़ देश ही नहीं, दुनिया के सामने एक नई पहचान के साथ खड़ा हो सकता है।