#संपादकीय

कही-सुनी (24 AUG-25) : विष्णुदेव साय की प्राथमिकता में सिंचाई

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रवि भोई की कलम से

कहते हैं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की प्राथमिकता में राज्य में सिंचाई सुविधाओं का विकास और नई परियोजनाओं का क्रियान्वयन है। इसमें बस्तर का बोधघाट परियोजना भी शामिल है। चर्चा है कि नई प्राथमिकता के तहत ही मुख्यमंत्री श्री साय ने मंत्रियों के विभागों में ताजा फेरबदल के बाद जल संसाधन विभाग अपने पास रखा है। मुख्यमंत्री बोधघाट परियोजना को मूर्त रूप देकर नया आयाम स्थापित करना चाहते हैं। बोधघाट परियोजना इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित है। बोधघाट परियोजना अस्तित्व में आने के बाद करीब चार लाख हेक्टेयर में सिंचाई होगी, साथ में 125 मेगावाट पन बिजली भी तैयार होगी। बोधघाट परियोजना के साथ इंद्रावती और महानदी लिंकिंग की भी योजना है। दोनों परियोजनाओं में करीब 50 हजार करोड़ खर्च होने का अनुमान है। दोनों परियोजनाओं के चालू हो जाने से बस्तर के साथ राज्य के कई मैदानी इलाकों में सिंचाई सुविधाओं का विकास हो जाएगा और राज्य का सिंचाई मानचित्र बदल जाएगा। अब तक छत्तीसगढ़ में सिंचाई सुविधाओं के विकास के लिए संयुक्त मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल को याद किया जाता है। मुख्यमंत्री रहते श्यामाचरण शुक्ल ने सिंचाई विभाग अपने पास रखा था और उनके जमाने में छत्तीसगढ़ में कई बड़े बांध बने। बताते हैं श्यामाचरण शुक्ल के जमाने में बोधघाट की नींव रखी गई, पर वह मूर्त रूप नहीं ले सका। अब विष्णुदेव साय बोधघाट परियोजना को धरातल पर लाकर सिंचाई पुरुष का तमगा अपने नाम करना चाहते हैं। बोधघाट परियोजना बड़ा टास्क है और इसके लिए केंद्र के कई विभागों से अनुमति लेनी होगी और उनसे समन्वय स्थापित करना होगा। ऐसे में जल संसाधन विभाग मुख्यमंत्री के अधीन होगा, तभी काम में तेजी आएगी। बस्तर की शबरी नदी और नारंगी में भी सिंचाई परियोजनाएं आने वाली हैं। बस्तर में इंद्रावती नदी पर मटनार बैराज और देऊरगांव बैराज बनने वाला है। छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य ओड़िशा भी सिंचाई परियोजनाओं पर विशेष ध्यान देने लगा है, वहां के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने जल संसाधन विभाग अपने पास रखा है, फिर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पीछे क्यों रहना चाहिए ?

माटी पुत्रों पर बरसी महिला आईएएस

कहते हैं पिछले दिनों एक विभागीय बैठक में महिला आईएएस अफसर माटी पुत्रों पर बरस पड़ीं। इस बैठक में एक माटी पुत्र आईएएस भी मौजूद थे। चर्चा है कि महिला आईएएस ने माटी पुत्रों की योग्यता और क्षमता पर ही सवाल खड़े कर दिए। महिला आईएएस का माटी पुत्रों पर हमला सुर्ख़ियों में है। खबर है कि महिला आईएएस अफसर विभाग चलाने के लिए दो सिपहसालार बना रखे हैं और उन्हीं के सलाह पर मातहतों को हाँकती भी है और विभाग का नीति निर्धारण भी करती हैं। सुनने में आ रहा है कि महिला आईएएस अफसर वर्तमान विभाग से अलविदा होना चाहती हैं। कुछ लोगों को अपने मन की बात कह भी चुकी है। कहा जा रहा है जाते-जाते लाठी घुमा रही है। लाठी जिसको भी पड़े, उन्हें क्या ?

मंत्रियों के शपथ में न महंत पहुंचे और न भूपेश

विष्णुदेव साय के तीन नए मंत्रियों के शपथ समारोह में न तो नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत पहुंचे और न ही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल। कहते हैं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को शपथ समारोह का कार्ड ही नहीं मिला। अब उन्हें न्योता भेजा गया था या नहीं, यह चर्चा का विषय है। खबर है कि भूपेश बघेल को विलंब से कार्ड मिला। वे शपथ समारोह के कुछ देर पहले ही कार्ड देख पाए। चरणदास महंत दौरे में बताए गए। वैसे मंत्रियों के शपथ समारोह में भाजपा के कुछ दिग्गज नेताओं की अनुपस्थिति चर्चा का विषय है। इनमें तो एक-दो मंत्री के प्रबल दावेदार थे। मंत्री बनने की दौड़ में शामिल अमर अग्रवाल, राजेश मूणत, पुरंदर मिश्रा शपथ समारोह में नजर आए।

सुर्ख़ियों में डॉ रमन सिंह

छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह इन दिनों कुछ ज्यादा ही सुर्ख़ियों में हैं। कभी उपराष्ट्रपति के लिए उनका नाम चल जाता है, तो कभी महाराष्ट्र के राज्यपाल के लिए। जानकारों का कहना है कि डॉ रमन सिंह फिलहाल तो छत्तीसगढ़ की राजनीति में सक्रिय रहेंगे। 15 साल के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह विष्णुदेव साय की सरकार के मेंटर की भूमिका में बताए जाते हैं। आमतौर पर मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष साथ-साथ कार्यक्रमों में नजर नहीं आते, पर विष्णुदेव साय और डॉ रमन सिंह कई कार्यक्रमों में साथ दिखते हैं। डॉ रमन सिंह को पता है कि राजनीति में राजभवन से रास्ता वानप्रस्थ की और ही जाता है।

मंत्री बनने से पहले गजेंद्र को पता था विभाग

कहते हैं कि मंत्री बनने से पहले राजेश अग्रवाल और गुरु खुशवंत साहेब को भले विभाग की जानकारी नहीं थी, पर गजेंद्र यादव को पता था कि उन्हें शिक्षा विभाग मिलेगा। छत्तीसगढ़ में आरएसएस के नेता रहे बिसराराम यादव के पुत्र गजेंद्र यादव का मंत्री बनना भी तय था। चर्चा है कि शपथ से कई दिन पहले ही गजेंद्र यादव ने स्कूल शिक्षा विभाग के लिए ओएसडी की तलाश शुरू कर दी थी। गजेंद्र यादव को स्कूल शिक्षा के साथ ग्रामोद्योग और विधि-विधायी विभाग भी दिया गया है। अब देखते हैं गजेंद्र यादव मंत्री के रूप में हेमचंद यादव से किस तरह आगे निकलते हैं और यादव समाज के बड़े नेता बनते हैं। हेमचंद यादव डॉ रमन सिंह के कैबिनेट में थे।

बड़े अफसरों के विभाग बदलने की सुगबुगाहट

कहते हैं कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जापान और दक्षिण कोरिया की यात्रा से लौटने के बाद मंत्रालय में कुछ अफसरों के विभाग बदल सकते हैं। चर्चा है कि निर्माण कार्य विभाग से लेकर जनता से सीधे जुड़े विभाग के अफसर प्रभावित हो सकते हैं। सात -आठ जिलों के कलेक्टर भी इधर से उधर हो सकते हैं। बताते हैं बड़े और कमाऊ जिलों के कलेक्टर तबादले के निशाने में आ सकते हैं। रायपुर, बिलासपुर,बस्तर और सरगुजा संभाग के इफेक्ट होने की खबर है। फेरबदल में रिजल्ट ओरिएंटेड अफसरों को भाव देने की खबर है।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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