वॉशिंगटन। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन प्रोस्टेट कैंसर की समस्या से जूझ रहे हैं। 82 वर्षीय बाइडन की सेहत को लेकर उनके कार्यालय से जारी बयान के मुताबिक डॉक्टरों ने कहा है कि बाइडन प्रोस्टेट कैंसर के ‘आक्रामक रूप’ से पीड़ित हैं। बीमारी उनकी हड्डियों तक फैल चुकी है। बाइडन ने पहले मूत्र संबंधी शिकायत की, जिसके बाद डॉक्टरों ने जांच में उच्च श्रेणी के कैंसर की पुष्टि की। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति की सेहत को लेकर जारी बयान में कहा गया कि बाइडन की वर्तमान स्थिति हड्डी में मेटास्टेसिस का संकेत देती है।
उच्च श्रेणी का कैंसर होने की पुष्टि इस जांच के बाद हुई
प्रोस्टेट नोड्यूल की खोज के बाद बाइडन के कई मेडिकल परीक्षण किए गए। परीक्षणों के दौरान ग्लीसन स्कोर 9 (ग्रेड ग्रुप 5) पाया गया। इससे बाइडन को उच्च श्रेणी का कैंसर होने की पुष्टि हुई। यह हड्डी में मेटास्टेसिस का संकेत देता है। उनका परिवार इलाज के तरीकों पर डॉक्टरों से परामर्श कर रहा है।
ट्रंप ने जल्द स्वस्थ होने की कामना की
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बाइडन की सेहत से जुड़ी सूचना मिलने पर ट्रुथ सोशल पर लिखा, मेलानिया और मैं जो बाइडन की मेडिकल जांच के बारे में सुनकर दुखी हैं। हमारी संवेदनाएं जिल और पूरे परिवार के साथ हैं।’ ट्रंप ने बाइडन के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना भी की।
कमला हैरिस ने कहा- योद्धा हैं बाइडन
बाइडन के कार्यकाल में सहयोगी और उपराष्ट्रपति रहीं कमला हैरिस ने भी बाइडन के लिए समर्थन व्यक्त करते हुए स्वस्थ होने की प्रार्थना की। बाइडन को प्रोस्टेट कैंसर की बात सामने आने पर हैरिस और उनके पति डगलस एमहॉफ ने एक्स पर एक पोस्ट लिखा। उन्होंने कहा, ‘डग और मैं राष्ट्रपति बाइडन के प्रोस्टेट कैंसर के बारे में जानकर दुखी हैं। हम इस समय बाइडन और उनके पूरे परिवार के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। वे एक योद्धा हैं – और मुझे पता है कि वह इस चुनौती का सामना उसी ताकत, दृढ़ता और आशावाद के साथ करेंगे, जिसने हमेशा उनके जीवन और नेतृत्व को परिभाषित किया है। हम उनके पूर्ण और शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं ।’
पेशाब में परेशानी बढ़ने के बाद प्रोस्टेट नोड्यूल की नए सिरे से जांच
पिछले सप्ताह भी बाइडन की सेहत से जुड़ी अहम जानकारी सामने आई थी। पेशाब में परेशानी बढ़ने के बाद प्रोस्टेट नोड्यूल की नए सिरे से जांच की गई, जिसके आधार पर पता लगा कि उनकी बीमारी हड्डियों तक फैल गई है। बाइडन के कार्यालय से जारी बयान के मुताबिक भले ही यह बीमारी अधिक आक्रामक है, लेकिन यह हार्मोन-संवेदनशील भी है। इसका प्रभावी प्रबंधन किया जा सकता है।
बाइडन की रिकवरी मुश्किल हो सकती है
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक बाइजन के डॉक्टर केविन ओ’कॉनर पहले ही आगाह कर चुके हैं कि गिरने से उनकी रिकवरी मुश्किल हो सकती है। हालात अधिक बिगड़ने पर उन्हें व्हीलचेयर का इस्तेमाल करना पड़ सकता है। जोखिम को कम करने के लिए, कर्मचारियों ने उनकी समस्याओं को कम करने के कई प्रयास किए। मसलन उनके पैदल चलने के रास्ते को छोटा किया गया। सहारे के लिए रेलिंग बनाई गई। हवाई यात्रा के लिए एयरफोर्स वन विमान में छोटी सीढ़ियों का इस्तेमाल किया गया। खबरों के मुताबिक शारीरिक सेहत के कारण ही बाइडन ने बीते साल जून में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ से अपना नाम वापस ले लिया था।
बाइडन की सेहत खराब होने का पहला संकेत…
यह भी दिलचस्प है कि 20 मई को बाइडन से जुड़ी एक किताब रिलीज होनी है। इसका शीर्षक है ‘ओरिजिनल सिन: प्रेसिडेंट बिडेन्स डिक्लाइन, इट्स कवर-अप, एंड हिज डिजास्ट्रस चॉइस टू रन अगेन’ (Original Sin: President Biden’s Decline, Its Cover-Up, and His Disastrous Choice to Run Again) सीएनएन के जेक टैपर और एक्सियोस के एलेक्स थॉम्पसन इस नई किताब में बाइडन की शारीरिक सेहत गिरावट को लेकर अहम बातें लिखी हैं। 2024 के चुनाव के दौरान अंदरूनी डेमोक्रेटिक खेमे के 200 से अधिक लोगों के साक्षात्कारों के आधार पर इस किताब में दावा किया गया है कि अपने कार्यकाल के अंतिम कुछ समय में बाइडन की सेहत ठीक नहीं रहती थी।
डेमोक्रेट खेमे में व्हीलचेयर की संभावित जरूरत पर चर्चा
यही नहीं बाइडन के सहयोगियों ने लगातार दूसरी बार चुनाव में जीत मिलने की सूरत में व्हीलचेयर की संभावित जरूरत पर चर्चा शुरू कर दी थी। हालांकि सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक बाइडन के सहयोगियों ने राजनीतिक कारणों से इस बिंदु पर सार्वजनिक रूप से बात करने से परहेज किया। यह भी रोचक है कि खुद बाइडन ने अपनी जगह भारतवंशी कमला हैरिस को प्रत्याशी बनाने का एलान किया था।
एग्रेसिव प्रकार के प्रोस्टेट कैंसर पर विशेषज्ञ की राय
प्रोस्टेट ग्रंथि में विकसित होने वाला ये कैंसर आमतौर पर वृद्ध लोगों को प्रभावित करता है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में कम उम्र के लोगों में भी इसका खतरा बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी पुरुषों को इस गंभीर कैंसर के मामलों को लेकर अलर्ट रहना चाहिए। कैंसर रिसर्च यूके में विशेषज्ञ नासर तुराबी कहते हैं, फिलहाल एग्रेसिव प्रकार के प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने के लिए कोई सटीक और पुख्ता तरीका नहीं है।
अमेरिका में प्रोस्टेट कैंसर के 80 प्रतिशत रोगियों में बीमारी का पता जल्द लग जाता है
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार साल 2022 में करीब 37,948 भारतीय पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर की पहचान की गई। यह इस वर्ष देश में दर्ज किए गए कैंसर के 14 लाख नए मामलों का लगभग तीन प्रतिशत है। अमेरिका में प्रोस्टेट कैंसर के 80 प्रतिशत रोगियों में बीमारी का पता शीघ्र चल जाता है जबकि यहां देर से निदान के मामले 20 प्रतिशत ही हैं।