राज्य में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए हुई कार्यशाला

– 150 से अधिक प्रतिभागियों में उद्यमी, अधिकारी, बैंक प्रतिनिधि और उद्योग संगठनों के सदस्य रहे शामिल
रायपुर। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के उद्देश्य से भारत सरकार के एमएसएमई मंत्रालय और छत्तीसगढ़ सरकार ने मिलकर एक महत्वपूर्ण ‘कॉम्पोज़िट कॉम्पिटिटिवनेस अवेयरनेस वर्कशॉप’ का आयोजन किया। यह कार्यशाला आरएएमपी (RAMP) योजना के तहत रायपुर के कोर्टयार्ड बाय मैरियट होटल में आयोजित की गई। कार्यशाला में 150 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें उद्यमी, अधिकारी, बैंक प्रतिनिधि और उद्योग संगठनों के सदस्य शामिल थे।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य उक्त उद्यमों को सशक्त बनाना और उन्हें नई तकनीकों, योजनाओं और डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ना था। अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार एमएसएमई को प्रोत्साहित करने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम को और भी प्रभावी बना रही है, ताकि उद्यमियों को एक क्लिक पर सभी सुविधाएं मिल सकें।
उद्यमिता को बढ़ावा देने पर जोर
प्रभात मलिक, निदेशक, उद्योग विभाग, छत्तीसगढ़ शासन ने अपने विशेष संबोधन में कहा कि राज्य सरकार उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए तीन प्रमुख बातों पर ध्यान दे रही है-
1- अनुकूल वातावरण: उद्यम स्थापित करने के लिए सहायक और अनुकूल माहौल देना।
2- सरल पहुंच: सभी सरकारी योजनाओं और सुविधाओं तक उद्यमियों की आसान पहुंच सुनिश्चित करना।
3- कानूनी सहायता: कानूनी सहायता देकर उक्त उद्यमों को सशक्त बनाना।
केंद्रीय एमएसएमई मंत्रालय के संयुक्त सचिव अतीश कुमार सिंह ने कहा कि इस कार्यशाला का मकसद सीधे उद्योग से जुड़े अधिकारियों से संवाद स्थापित करना है। उन्होंने राज्य कार्यान्वयन योजना ( एसआईपी) को एमएसएमई पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करने के लिए एक रणनीतिक रोडमैप बताया और छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति (2024-2030) की सराहना की।
तकनीकी सत्रों में नई योजनाओं पर हुई चर्चा
कार्यशाला के तकनीकी सत्रों में कई महत्वपूर्ण पहलों और योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई:
TReDS प्लेटफॉर्म (M1xchange): श्रेयस वाटिले ने बताया कि यह प्लेटफॉर्म MSMEs को बिना गारंटी के 24 घंटे के भीतर उनके इनवॉइस का भुगतान प्राप्त करने में मदद करता है। इससे उन्हें नकदी प्रवाह की समस्या से राहत मिलती है।
ऑनलाइन विवाद समाधान (ODR): ईशा अग्रवाल ने ODRways योजना के बारे में जानकारी दी, जो MSMEs को अपने व्यापारिक विवादों को डिजिटल माध्यम से जल्दी और कम खर्च में सुलझाने की सुविधा देती है।
हरित और चक्रीय अर्थव्यवस्था योजनाएं: प्रियंका सेंडे (SIDBI) ने MSE Green Investment and Financing for Transformation (MSE-GIFT) और MSE Scheme for Promotion and Investment in Circular Economy (MSE-SPICE) जैसी योजनाओं की जानकारी दी। ये योजनाएं MSMEs को हरित प्रौद्योगिकी अपनाने और वैश्विक बाज़ार से जुड़ने में मदद करती हैं।
डिजिटल बाज़ार से जुड़ना: कृष्णा रविशंकर, सुमीत सिंह और अभिजीत राठ ने ONDC, Mystore और Sabhyasha पोर्टल जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म के बारे में बताया। इनके ज़रिए MSMEs सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंच बना सकते हैं।इस कार्यशाला में महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने वाली विशेष पहलों पर भी जोर दिया गया, जिनमें प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और बाजार से जोड़ने की योजनाएं शामिल हैं।
प्लास्टिक मैन्युफैक्चरर संघ, छत्तीसगढ़ के संतोष जैन ने कार्यशाला की सराहना करते हुए कहा कि इसने उद्योग और सरकार के बीच की दूरी को कम किया है और अधिकारी अब अधिक सहयोगी भूमिका में हैं।कार्यशाला का समापन धन्यवाद प्रस्ताव और नेटवर्किंग सत्र के साथ हुआ, जहां प्रतिभागियों को आपसी संवाद और सहयोग के अवसर मिले।