गरियाबंद। जिले की पैरी नदी में दिन रात अवैध रेत उत्खनन की घटनाएं देखने को मिल रही हैं। जिसमें प्रशासन की मिलीभगत के आरोप भी लग रहे हैं, वही शासन को लाखो रूपये के राजस्व का भी नुकसान हो रहा है। इन ओवर लोड हाइवा के कारण सडके भी खराब हो रही है। राज्य में अभी निकाय व पंचायत को लेकर आदर्श आचार सहिता लागु है, फिर भी रेत माफियाओं के हौसले बुलंद है। लोगो ने बताया कि रेत चोरी में स्थानीय कथित जन प्रतिनिधियों के रिश्तेदार शामिल है, जो उँची पहुंच के चलते अफसरों पर दवाब बना कर बेधड़क इस अवैध कार्य पर लगे हुए हैं। जिसके चलते सरकार की छबि खराब हो रही है।
जिले में एक भी वैध घाट संचालित नहीं है और ना ही सरकार या प्रशासन द्वारा घाटों के संचालन के लिए कोई योजना बनाई जा रही है। जिसके चलते रेत की चोरी दिन रात जारी है। बात करें गरियाबंद जिला मुख्यालय के करीब ही धमतरी जिले के बार्डर से लेकर ग्राम पंचायत मोहरा के अलावा तर्रा, कुरुसकेरा, छिंदौला और चौबेबांधा खदानों से भी रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन जारी है। जहां से प्रतिदिन लगभग 200 ट्रकों में रेत रायपुर, दुर्ग, महासमुंद और अन्य जिलों में भेजी जा रही है। उल्लेखनीय है कि अक्टूबर 2024 में, परसदा जोशी खदान में लीज अवधि समाप्त होने के बाद भी 80,000 घन मीटर रेत का अवैध खनन किया गया, जिसके परिणामस्वरूप ठेकेदार और पंचायत प्रतिनिधियों पर 4 करोड़ 25 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया गया था ।
यह घटनाये बताती है कि अवैध रेत खनन पर प्रशासनिक नियंत्रण में कमी है और संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत के आरोप भी सामने आते रहते है। इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि सरकारी राजस्व की भी हानि हो रही है। सड़को कि स्थिति भी खराब हो रही है।