दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से मसूर, उड़द, अरहर (तूर), मक्की और कपास की फसल पर अनुबंध की शर्त पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी का प्रस्ताव किसानों ने नामंजूर कर दिया है। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि सरकार के साथ वार्ता जारी रखेंगे। 21 फरवरी की सुबह 11 बजे दिल्ली कूच किया जाएगा।
किसानों की तीन प्रमुख मांगें हैं। इनमें सभी फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी, कर्जमाफी और बिजली अधिनियम वापस लेना शामिल हैं। पांच या सात साल के करार से प्रस्ताव से किसानों को कोई लाभ नहीं होगा, क्योंकि इस प्रस्ताव के साथ केंद्रीय मंत्रियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि खरीद की कोई तय सीमा नहीं होगी। एमएसपी की कानूनी गारंटी पर अब तक केंद्रीय मंत्रियों और किसान संगठनों के बीच चंडीगढ़ में चार बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन हल नहीं निकल पाया है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान खुद तीन बार इस बैठक में शामिल हो चुके हैं।
सभी किसान संगठनों के साथ बातचीत की
इससे पहले रविवार रात को चौथे दौर की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने धान और गेहूं के अलावा पांच अन्य फसलों पर एमएसपी गारंटी का प्रस्ताव पेश किया था। इसके लिए किसानों को भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नैफेड) और भारतीय कपास निगम (सीसीआई) से पांच साल का करार करना होगा। डल्लेवाल ने कहा कि वह फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए किसी प्रकार के कॉन्ट्रैक्ट की प्रक्रिया में शामिल नहीं होंगे। डल्लेवाल ने कहा कि सोमवार को उन्होंने सभी किसान संगठनों के साथ बातचीत की, लेकिन पांच फसलों पर पांच साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट वाले प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन पा रही।