आज 13 अप्रैल दिन शनिवार को चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन है. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मां दुर्गा के 5वें स्वरूप स्कन्दमाता की पूजा करते हैं. ये देवी पांचवीं नवदुर्गा हैं. स्कन्दमाता की पूजा करने से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है. दांपत्य जीवन सुखमय होता है. पाप मिटते हैं और जीवन के अंत में व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस देवी की कृपा से व्यक्ति को कार्य में सफलता भी प्राप्त होती है. इस बार स्कन्दमाता की पूजा शोभन योग में होगीर. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं स्कन्दमाता की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, भोग, आरती और योग के बारे में.
चैत्र नवरात्रि के 5वें दिन के मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: 04:28 एएम से 05:13 एएम तक
अभिजित मुहूर्त: 11:56 एएम से 12:47 पीएम तक
शुभ-उत्तम मुहूर्त: 07:34 एएम से 09:10 एएम तक
शोभन और रवि योग में होगी स्कन्दमाता की पूजा
आज के दिन स्कन्दमाता की पूजा शोभन और रवि योग में की जाएगी. आज शोभन योग सूर्योदय से लेकर देर रात 12 बजकर 34 मिनट तक है, वहीं रवि योग आज सुबह 05:58 एएम से रात 09:15 पीएम तक है. शोभन और रवि योग शुभ कार्यों को करने के लिए अच्छे माने गए हैं.
कौन हैं स्कन्दमाता?
स्कन्दमाता के नाम का अर्थ है स्कंद कुमार की माता. भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय को स्कंद कुमार भी कहा जाता है. इस तरह से माता पार्वती स्कन्दमाता हुईं. ये पांचवीं दुर्गा हैं.
स्कन्दमाता की पूजा के मंत्र
1. महाबले महोत्साहे महाभय विनाशिनी।
त्राहिमाम स्कन्दमाते शत्रुनाम भयवर्धिनि।।
2. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कन्दमातायै नम:।
स्कन्दमाता का प्रिय भोग
आज के दिन स्कन्दमाता को केले का भोग लगाना चाहिए. इसके अलावा आप चाहें तो आप माता को खीर का भी भोग लगा सकते हैं.
स्कंदमाता की पूजा कैसे करें?
आज सुबह में स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें. फिर 5वीं नवदुर्गा का ध्यान करके स्कंदमाता की पूजा करें. स्कंदमाता के मंत्रोच्चार के साथ अक्षत्, कुमकुम, लाल रंग के फूल, केले, बताशे, खीर, धूप, दीप आदि चढ़ाते हुए देवी मां की पूजा करें. घी के दीपक या कपूर से उनकी आरती करें. जो लोग संतानहीन हैं, वे स्कंदमाता से संतान सुख प्राप्ति की प्रार्थना करें. उनके आशीर्वाद से परिवार में खुशहाली आती है.