० मितानिन और आंगनबाड़ी की बहनें मानवता की सेवा की मिसाल: भूपेश बघेल
० महिला समूहों को दिए जाने वाले ऋण को 4 लाख से बढ़ाकर 6 लाख रूपए करने की घोषणा
० मुख्यमंत्री शामिल हुए आभार सम्मेलन में आंगनबाड़ी, सहायिका, मितानिनों ने मुख्यमंत्री का जताया आभार
रायपुर। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका एवं मितानिन वास्तव में मानवता की सेवा करती है। आप लोग ने छत्तीसगढ़ में जो कार्य किया है वह अतुलनीय है। यह मानवता की सेवा की मिसाल है। आप लोग जो कार्य करते हैं, कोई अन्य नहीं कर सकता। यह बात मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने की। मौका था राजधानी के साइंस कॉलेज मैदान में आयोजित आभार सम्मेलन का।
मुख्यमंत्री जैसे ही इस कार्यक्रम में पहुंचे प्रदेश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में आए आंगनबाड़ी सहायिका, मितानिनों ने ताली बजाकर मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया और खुशी जाहिर की। आभार सम्मेलन में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने मुख्यमंत्री को गज माला पहनाकर और स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया और मानदेय बढ़ाने के निर्णय को लेकर अपनी खुशियां जाहिर की। इस अवसर पर उत्कृष्ट कार्य के लिए 6 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और 5 मितानिनों को सम्मानित किया गया। साथ ही महिला कोष से 6 स्व-सहायता समूहों को 10 लाख रूपए के ऋण राशि का चेक सौंपा गया।
मुख्यमंत्री श्री बघेल का आभार प्रकट करते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और मितानिनों की ओर से प्रतिनिधियों ने कहा कि मुख्यमंत्री जी ने मानदेय और प्रोत्साहन राशि बढ़ाकर हमें सम्मानजनक जीवन जीने लायक बनाया है। उन्होंने हमारी दाल-रोटी और परिवारों की चिंता की है। हम विश्वास दिलाते हैं कि कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़ बनाने में मुख्यमंत्री जी का पूरा सहयोग करेंगे।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने आभार सम्मेलन में की बड़ी घोषणा – मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आभार सम्मेलन में बड़ी घोषणा करते हुए कहा है कि सक्षम योजना अंतर्गत योजना के लाभ के लिए महिलाओं की वार्षिक आय की सीमा 1 लाख रूपए से बढ़ाकर 2 लाख रूपए किया जाएगा। महिला समूहों को दिए जाने वाली ऋण राशि की सीमा 4 लाख से बढ़ाकर 6 लाख किया जाएगा। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने 5000 आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण की घोषणा भी की। उन्होंने कहा कि 14 नवंबर को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका को सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने घोषणा की कि ब्लॉक कोऑर्डिनेटर तथा मास्टर ट्रेनर के लिए पावस सत्र से व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने इस मौके पर महिला एवं बाल विकास तथा स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगाए स्टॉलों का भी निरीक्षण किया।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज यह अद्भुत कार्यक्रम है, जहां पहली बार ऐसा हुआ है कि मातृ शक्ति बड़ी संख्या में ही नहीं बल्कि बहुसंख्या में उपस्थित हैं। आज आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं, मितानिनों द्वारा आभार प्रकट करने आए हैं, बल्कि मैं प्रदेश की पौने तीन करोड़ जनता से उनके प्रति आभार व्यक्त करता हूं। कोरोना काल में आप लोगों ने जिन परिस्थितियों का सामना करते हुए कार्य किया और दायित्वों को पूरा किया, वह अन्य कोई नहीं कर सकता। जब दूसरी लहर में कोरोना नियंत्रण में नहीं आ रहा था, तब हमने छत्तीसगढ़ के सभी अस्पतालों, आसपास के गांव, विकासखण्डों के स्वास्थ्य केन्द्रों में बेड लगाकर इलाज कराना शुरू किया, तब भी नियंत्रण नहीं हुआ। तब हमने सभी मितानिनों को कोरोना किट दिया और घर-घर बंटवाना शुरू किया। पूरे देश में छत्तीसगढ़ ही ऐसा राज्य है जहां कोरोना नियंत्रण में आना शुरू हुआ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब लॉकडाउन की स्थिति थी, तब हमारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका बहनें कुपोषण के खिलाफ जंग जारी रखी थी। घर-घर जाकर गर्म भोजन राशन पहुंचाया। उन्होंने कहा कि चाहे कैसा भी मौसम हो नदी-नालों को पार करना या दूरस्थ स्थानों में स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने की जिम्मेदारी हो या टीकाकरण करना हो हमारी बहनें आगे रहती हैं, अपने कार्य को समर्पित भाव से करती हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ रही है। उनके इस उल्लेखनीय कार्य के कारण ही हमारे राज्य में कुपोषण की दर 37.7 प्रतिशत थी, वह अब 31.3 प्रतिशत रह गई है। आप सबके सहयोग से इसे न्यूनतम लाना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने आप सभी बहनों के सहयोग से मलेरिया के खिलाफ संघर्ष किया। हमने मां दंतेवश्वरी की पूजा कर मलेरिया मुक्त बस्तर का प्रण लिया और आज सफल होते दिख रहे हैं। हमारी मितानिन बहनों द्वारा घर-घर जाकर मलेरिया की जांच की जा रही है और दवाईयां दी जा रही है। इन्हीं प्रयासों के फलस्वरूप मलेरिया के प्रकरणों में कमी आई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठान समितियों में रीपा में, लघुवनोपज संग्रहण में महिलाएं बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। इससे महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण को बल मिला है। छत्तीसगढ़ में कभी लिंग भेद नहीं रहा। केरल के बाद हम दूसरे नंबर है। बस्तर में कहावत है कि एक बेटी जरूर होनी चाहिए। हमारे छत्तीसगढ़ में बिटिया हमारा मान हैं। सभी प्रमुख कार्यों में बेटियां हाथ बंटा रही हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की लगातार कोशिश यही है कि सभी के आय में वृद्धि होनी चाहिए एक तरफ किसानों को समृद्ध बनाने का कार्य हमने किया। छत्तीसगढ़ में धान कोदो कुटकी की कीमत जितना प्रदेश में मिलता है उतना देश के किसी प्रदेश में नहीं मिलता। शासकीय कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम शुरू किया ताकि बुढ़ापे में वे किसी पर आश्रित ना रहें। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका, मितानिन सभी का मानदेय बढ़ाया गया है। साथ ही सेवानिवृत्ति के मौके पर भी राशि प्रदान करने का निर्णय लिया गया।
स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने कहा कि घोषणा पत्र में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका को कलेक्टर दर पर मानदेय का प्रावधान किया गया, जो आज पूरी की गई है। मितानिन बहनों को ज्यादा परिश्रमिक मिले मैं। आप सब की तरफ से मुख्यमंत्री जी का आभार व्यक्त करना चाहता हूं कि उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाकर 10 हजार एवं मितानिन बहनों को 2200 रूपए प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की।
महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंडिया ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री बघेल ने लगातार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं की सुविधाओं में वृद्धि का प्रयास किया है। पिछले पांच वर्षाें में उनके मानदेय में लगभग दोगुनी वृद्धि कर दी है। आज आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और मितानिन बहनें बहुत खुश हैं। सबके चेहरों की खुशियां बरकरार रहे यही राज्य सरकार का लक्ष्य है। श्रीमती भेंड़िया ने कहा कि कुपोषण के स्तर में कमी लाने में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं की भागीदारी बहुत महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम में संसदीय सचिव श्रीमती रश्मि आशीष सिंह, संसदीय सचिव सर्वश्री गुरूदयाल सिंह बंजारे, विधायक सत्यनारायण शर्मा, धनेन्द्र साहू, छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष श्री कुलदीप जुनेजा, विधायक डॉ. विनय जायसवाल, श्रीमती संगीता सिन्हा, श्रीमती अनिता योगेन्द्र शर्मा, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक, छत्तीसगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती तेजकुंवर नेताम, रायपुर नगर निगम के सभापति श्री प्रमोद दुबे, वरिष्ठ अधिकारियों सहित बड़ी संख्या में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिकाएं, मितानिन उपस्थित थीं।