० सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मैनपुर का मामला
गरियाबंद। बिलासपुर हाईकोर्ट ने तीन करोड़ से अधिक के गबन के आरोपी को अग्रिम जमानत प्रदान करने पेश याचिका को खारिज कर दिया है। राज्य के सार्वजनिक खाते से तीन करोड़ से ज्यादा की राशि निकालने में आरोपी की भी संलिप्तता मानी गई है।
किशोर कुमार दुबे निवासी दलदल सिवनी मोवा, जिला रायपुर ने सीआरपीसी की धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत अर्जी पेश की थी। अपर सत्र न्यायाधीश, गरियाबंद ने गत 29. मई 2024 के आदेश द्वारा इसे खारिज कर दिया। आवेदक को पुलिस थाना मैनपुर, जिला-गरियाबंद में आईपीसी की धारा 120 (बी), 409, 420, 467, 468, 471 के तहत दंडनीय अपराध के संबंध में अपनी गिरफ्तारी की आशंका है, इसलिए उसने हाईकोर्ट की शरण लेकर आवेदन पेश किया। अभियोजन के अनुसार फरियादी गजेंद्र सिंह ध्रुव ने गत 18 मई 2024 को थाना मैनपुर में इस आशय की लिखित रिपोर्ट दर्ज कराई कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मैनपुर के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2016-17 से वित्तीय वर्ष 2019-20 तक 11 अधिकारियों ,ध्कर्मचारियों द्वारा कोषागार में बीटीआर, बियरर चेक, जाली हस्तलिखित मुहर के माध्यम से फर्जी बिल तैयार कर अवैध रूप से आहरण कर कुल सरकारी राशि का गबन किया गया है।
मामले में कहा गया कि आवेदक को जबरन फंसाया जा रहा है, वह गबन के लिये जवाबदार नहीं है। जस्टिस अरविन्द कुमार वर्मा ने सुनवाई के बाद वर्तमान आवेदक के खिलाफ लगाए गए आरोप की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए कहा कि उपरोक्त गबन में आवेदक की संलिप्तता का कुछ दोष दिखाई देता है। राज्य के सार्वजनिक खाते से तीन करोड़ तेरह लाख तैंतालीस हजार नौ सौ इकहत्तर रुपये निकालने की जांच चल रही है और आवेदक ने सीआरपीसी की धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत पाने के लिए कोई विशेष मामला नहीं बनाया है, इसलिए याचिका खारिज की जाती है।
आवेदक का उल्लेख नहीं जांच में
जाँच में निष्कर्ष दिया गया है कि गुरुवेंद्र साव वीरेंद्र कुमार भंडारी कालेश्वर नेगी (ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर), विनोद कुमार ध्रुव, भोजराम दीवान, भरतियाल नंदे (ड्राइवर), संतोष कुमार कोमरा मुख्य आरोपी थे और आवेदक का नाम जांच रिपोर्ट में उल्लेखित नहीं किया गया है, जो आवेदक की उक्त गबन में संलिप्तता नहीं दर्शाता है। कलेक्टर के जांच प्रतिवेदन से पता चलता है कि ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर के कार्यालय में कोई भी कैशबुक उपलब्ध नहीं है।