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इंडक्शन प्रोग्राम सातवाँ दिन: छत्तीसगढ़ी लोकगीतों से गुंजायमान हुआ जीईसी का सभागार

रायपुर। छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद टेक्निकल यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय में इंडक्शन प्रोग्राम 23-24 के सातवें दिन आज के प्रथम सत्र में प्रो. डॉ. डॉली शुक्ला, प्रोफेसर डॉ. एम.आर. खान, प्रिंसिपल जीईसी, रायपुर और प्रोफेसर डॉ. श्वेता चौबे, एच.ओ.डी बेसिक साइंसेज एंड ह्यूमेनिटीज के आगमन के साथ शुरू हुआ ।आज के मुख्य वक्ता डॉ. डॉली शुक्ला ने अन्य वरिष्ठजनों के साथ माँ सरस्वती को पुष्पांजलि देकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया ।

प्रो. डॉ डॉली शुक्ला, आईटी और दूरसंचार के क्षेत्र में एक बहुत ही योग्य प्रोफेसर है, जिन्होंने 25 वर्षों से अधिक के अनुभवों को छात्रों के साथ साझा किया और कहा कि, एक लक्ष्य निर्धारित कर के और उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अनुसरण किए जाने वाले मार्ग के बारे में जागरूक होने के महत्व पर ज़ोर दिया, जिसमें उन्होंने इंजीनियरिंग, गणित और योग्यता के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को सूचीबद्ध किया। जिसे कोई भी अपने पहले वर्ष में अनुसरण कर सकता है।

डॉ. शुक्ला ने छात्रों का मार्गदर्शन भी किया और उन चीजों के लिए एक रोडमैप दिया जो एक छात्र अपने दूसरे वर्ष में कर सकता है जैसे प्रमाणन पाठ्यक्रम और नए शुरू किए गए शाखा के विषयों को प्रैक्टिकल के साथ गंभीरता से लेना। तीसरे वर्ष के लिए, डॉ. शुक्ला ने व्यक्तिगत प्रोफ़ाइल का मूल्यांकन करने और सॉफ्ट के साथ-साथ तकनीकी कौशल विकसित करने की सिफारिश की।
डॉ. शुक्ला ने कहा कि तीसरे वर्ष के छात्र को इंजीनियरिंग से संबंधित पेशेवर निकाय का सदस्य होने के अलावा सर्वेक्षण, समूह चर्चा और पत्रों के प्रकाशन पर भी ध्यान देना चाहिए। डॉ. शुक्ला ने यह भी कहा कि शिक्षा के अंतिम वर्ष में अपने संस्थान के पूर्व छात्रों के साथ बातचीत करनी चाहिए और एक पेशेवर नेटवर्क बनाना चाहिए। डॉ. शुक्ला ने सफलता की कुंजी जैसे कोशिश, दृष्टिकोण, नज़रिया को रेखांकित करते हुए अपने सत्र का समापन किया, जो कि छात्रहित में बेहद उपयोगी रहा ।

कार्यक्रम के शाम के सत्र में छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ लोक कलाकार  रमेश सिंह ठाकुर, जीईसीआर के अंग्रेजी विभाग के व्याख्याता एवं छत्तीसगढ़ी गीतकार, और अभिनेता  आशीष सिंह ठाकुर और सीजी संगीत उद्योग के गायक और संगीत निर्देशक श्री अनुराग सिंह ठाकुर, श्री कमलेश धुर्वे, लोक कलाकार(वादन), श्री नंद कुमार साहू (वरिष्ठ कलाकार- वादन) ने छत्तीसगढ़ के लोकगीतों एवम वाद्ययंत्रों के माध्यम से छत्तीसगढ़ के कला-संस्कृति की झलकियों को सांगीतिक रूप से प्रस्तुति में ढालकर समूचे सभागार को झूमने पर मजबूर कर दिया ।
इस सत्र में छत्तीसगढ़ी लोक गीतों जैसे कर्मा-ददरिया गीत, पंडवानी, पंथी, और सुआ एवम सैला गीत और अन्य जैसे सोहर गीत, जस गीत, माता सेवा गीत, सावनाही गीत और विवाह के बारे में महीन जानकारी साझा करते हुए अपने सत्र की शुरुआत की।

समूह ने राजकीय गीत “अरपा पइरी के धार” की स्तुति कर कार्यक्रम का समापन किया।तत्पश्चात, अपने उद्बोधन में प्राचार्य, प्रोफेसर डॉ. एमआर खान, ने कहा कि,लोक-संस्कृति से जुड़े रहने और उन्हें अगली पीढ़ी को ससम्मान सौंपने की कवायद चलती रहनी चाहिए, जिससे लोक-संस्कृति, लोक-गीत, लोक-नृत्य और सबसे ऊपर भाषा को संरक्षित किया जा सके।

प्रोफेसर डॉ. श्वेता चौबे, एच.ओ.डी. बेसिक साइंसेज एंड ह्यूमेनिटीज ने अपने उद्बोधन में छात्रों को अपनी संस्कृति और भाषा से लगाव रखने और उन्हें समृद्ध बनाने में अपनी सहभागिता दिखाने हेतु प्रेरित करते हुए कहा कि, पंजाबी लोक संगीत को जिस प्रकार वहाँ के लोगों ने वैश्विक स्तर पर स्थापित कर दिया है, उसी प्रकार हम सभी छत्तीसगढ़ वासियों को इस महान उद्देश्य में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी चाहिये। अंत में, सभी प्रस्तुतकर्ताओं को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।

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