० बाहरी खदान विरोधी लोगों और आलोक शुक्ला के खिलाफ स्थानीय लोगों ने मुर्दाबाद के नारे लगाए
० सेंकड़ों ग्रामीणों ने कलेक्टर श्री विलास भोसकर संदीपन से मिलकर सौंपा ज्ञापन
अंबिकापुर।सरगुजा जिले के उदयपुर क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीणों ने परसा ईस्ट केते बासेन (पीईकेबी) खदान शुरू करवाने की मांग लेकर गुरुवार को अंबिकापुर जिला मुख्यालय में एकत्र हुए। कलेक्टोरेट परिसर में प्रवेश के दौरान ग्राम साल्ही, परसा, बासन, शिवनगर, फतेहपुर, घाटबर्रा इत्यादि गांवों के ग्रामीणों के समूह ने बाहरी एनजीओ और छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संचालक आलोक शुक्ला और खदान विरोधियों के खिलाफ जमकर मुर्दाबाद के नारे लगाए।
ग्रामीणों ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया की बीते छः महीने से बंद पड़ी पीईकेबी खदान इन्ही बाहरी लोगों और एनजीओ आलोक शुक्ला के झूठे आंदोलन की वजह से अब तक शुरू नहीं हो पा रही है। हम सभी लोग इस खदान में नौकरी करते थे लेकिन इसके बंद होने से अब हम बेरोजगार हो गए हैं। आलोक शुक्ला द्वारा पहले भी फर्जी अभियान चलाकर खनन कार्य में बाधा उत्पन्न किया जा रहा था इसलिए इसके पुनः सुचारु रूप से संचालन की मांग हेतु नवपदस्थ कलेक्टर श्री विलास भोसकर संदीपन से मिलाकात कर ज्ञापन सौंपा है।
हम सभी आवेदकगण खदान प्रभावित परिवार के सदस्य व आसपास के ग्रामीण हैं तथा अधिकतर लोग खदान में नौकरी करके अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। लेकिन आलोक शुक्ला के बाहरी एनजीओ द्वारा बाहर से कुछ लोगों को लाकर और कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं के साथ मिलकर एक बार फिर फर्जी आंदोलन छेड़कर पीईकेबी खदान के लिए हो रही कर्रवाई के विरुद्ध अभियान चलाया जा रहा है। जिसे करोड़ों रुपए देकर कई सोशल मीडिया टीम द्वारा वायरल कर क्षेत्र की एक मात्र खदान का विरोध करने की मुहिम जारी है। जबकि शीर्ष न्यायालय ने भी पीईकेबी खदान के संचालन की अनुमति दे दी है। इसके फलस्वरूप कई महीनों से पीईकेबी खदान को जमीन न उपलब्ध होने के कारण खदान में उत्पादन अब बंद हो गया है। नतीजतन अब उन्हें बेरोजगार होकर रोजी रोटी के लिए भटकना पड़ रहा है।
ग्रामीणों ने श्री संदीपन से भी यह दरख्वास्त की है की रायपुर स्थित आलोक शुक्ला का एनजीओ निजी स्वार्थ के लिए आदिवासीयों के हितैषी होने का ढोंग कर रही है और हम सभी आदिवासी भाइयों के बीच फूट डाल कर हमें आपस में लड़ाने का प्रयास कर कर रही है जिससे हमारा यह शांति प्रिय क्षेत्र अब झगड़ों का गढ़ बनता जा रहा है। ये बाहरी एनजीओ विदेशी पैसे की ताकत से हमारे क्षेत्र को देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी बदनाम कर रही है। इसलिए आलोक शुक्ला तथा आंदोलन के लिए बाहर से गाड़ियों में भरकर-भरभर कर लाए जाने वाले लोगों का प्रवेश हमारे क्षेत्र सहित पूरे छत्तीसगढ़ में प्रतिबंधित करने का आग्रह भी हमने किया है।
उल्लेखनीय है की राजस्थान सरकार द्वारा पीईकेबी खदान से छत्तीसगढ़ सरकार को सालाना एक हजार करोड़ के राजस्व देने के साथ साथ हसदेव में सरगुजा जिले मे 5000 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से रोजगार भी उपलब्ध है। कोयला ब्लॉक परियोजना के बंद होने से स्थानीय लोगों, विशेष रूप से आदिवासियों, को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। इस खदान से खदान प्रभावित परिवारों के अलावा आसपास के स्थानीय लोगों को रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सड़क, बिजली, आदि जैसी मूलभूत सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं। खदान के बंद होने से इन लोगों के जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ा है।