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चमत्कारिक भूतेश्वरनाथ: हर साल बढ़ती है इस शिवलिंग की लम्बाई, जानिए इसका महत्व व इतिहास


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महाशिवरात्रि पर विशेष

गरियाबंद (जीवन एस साहू)। गरियाबंद जिले का यह क्षेत्र गिरी (पर्वत) और वनों से आच्छादित है, जिसे पहले गिरिवन क्षेत्र कहा जाता था, लेकिन कालांतर में इसका नाम गरियाबंद पड़ गया। इस क्षेत्र में पंचभूतों के स्वामी भूतेश्वरनाथ शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। भूतेश्वरनाथ प्रांगण अत्यंत विशाल है, जो भूतेश्वरनाथ धाम को भव्यता प्रदान करता है। वनों से आच्छादित सुरम्य स्थली बरबस मन को मोह लेती है। समय-समय पर यहां भक्तजन रूद्राभिषेक कराते हैं और कांवरियों को सावन में भूतेश्वरनाथ को जल चढ़ाने का बेसब्री से इंतजार रहता है। महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर विश्व के विशालतम स्वयंभू शिवलिंग भूतेश्वरनाथ महादेव के दर्शन एवं पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ता है। प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि पर्व भूतेश्वरनाथ में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है और तीन दिनों तक यहाँ मड़ाई-मेला का आयोजन भी किया जाता है। प्रदेश के अन्य जिलों से श्रद्धालुगण अपना श्रद्धा लिए महादेव के दर्शन को पहुँचते हैं। जन आस्था को ध्यान में रखकर पुलिस विभाग द्वारा सुरक्षा की दृष्टि से चाक-चौबंद व्यवस्था किया जाता है, जिससे कि किसी तरह का भगदड़ नहीं हो सके।

गरियाबंद जिले के मरोदा गांव में विश्व के सबसे विशालतम स्वयंभू शिवलिंग स्थित हैं, जो महाशिवरात्रि पर्व के मौके पर शिवभक्तों का आस्था केंद्र बन जाता है। प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में भक्तगण यहां पहुंचते हैं और पूजा-अर्चना कर अपनी मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना करते हैं। कहा जाता है कि भूतेश्वरनाथ महादेव स्वयंभू शिवलिंग हैं, जिसके पूजा-अर्चना करने से श्रद्धालुओं की मुरादें पूरी होती हैं। यह शिवलिंग हर वर्ष नित-नित बढ़ते ही जा रहा है, जो अब काफी विशालकाय हो गया है। हरे-भरे प्राकृतिक वादियों के बीच जिला मुख्यालय गरियाबंद से महज तीन किलोमीटर दूर स्थित यह शिवलिंग पूरे छत्तीसगढ़ के शिवभक्तों के आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां दूर-दूर से भक्त जल लेकर भगवान शिव को अर्पित करने पहुंचते हैं।

यह विश्व का सबसे विशाल और प्राकृतिक शिवलिंग माना जाता है, जो प्रतिवर्ष अपने आप में बढ़ता जा रहा है। श्री भूतेश्वर धाम महिमा में लिखा गया है कि इस शिवलिंग की ऊंचाई सन् 1978 में 48 फीट, सन् 1987 में 55 फीट, सन् 1996 में 62 एवं सन् 2022 में 72 फीट उंचा और 210 फीट गोलाकार में है। शिवलिंग के समीप प्राकृतिक जलहरी है, शिवलिंग के पीछे बाबा की प्रतिमा है, जिसमें माता पार्वती व गणेश, कार्तिक, नंदी के साथ विराजमान हैं। जहां पर पंचमुखी शिवलिंग के दर्शन होते हैं। कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ, पार्वती, श्रीगणेश एवं कार्तिके के दर्शन और पूजन करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और श्रद्धालुओं के मन मांगी मुरादें जरूर पूरी करते हैं। यही कारण है कि बीते 15-20 सालों में यहां पहुंचने वाले भक्तों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है। महाशिवरात्रि के दिन प्रदेश के अन्य जिलों सहित अंचल के दूर-दूराज इलाकों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां भगवान भूतेश्वरनाथ के दर्शन करने पहुंचेंगे। जिसे लेकर पुलिस प्रशासन ने भी सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किए हुए हैं।

भूतेश्वर नाथ महादेव में महाशिवरात्रि का पर्व पर भक्तिमय वातावरण में वैदिक पूजन करते हुए मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि के पर्व को महादेव की पूजा-अर्चना की दृष्टि से उत्तम माना गया है। प्रदेश सहित जिले के ग्रामीण अंचलों के लोग सुबह से ही महाशिवरात्रि के अवसर पर महादेव के मंत्रों का जाप करते हुए श्रद्धालु पूजन कर मनचाहा वरदान मांगेगे। मान्यता के अनुसार इस दिन वैदिक मंत्र जाप करते हुए महादेव का जलाभिषेक व व्रत पूजन का विधान है। शिवभक्त भूतेश्वरनाथ में पहुचकर शिवलिंग में बेलपत्र चढ़ा कर दूध से अभिषेक करते हैं। बताया जाता है कि भगवान भूतेश्वरनाथ के दर्शन मात्र से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, और इसकी महिमा अपरंपार है, जो मुरादे यहां दिल से मांगी जाती है भगवान भूतेश्वरनाथ उसे जरुर पुरा करते है, इसीलिए यहां की महिमा लगातार बढ़ती ही जा रही है।

यह स्थान छत्तीसगढ़ के प्रयाग तीर्थ राजिम से दक्षिण पूर्व में 48 किलोमीटर की दूरी पर तीन ग्रामों के सिहद्धा पर साल के वनों से अच्छादित के मध्य में ग्राम-मरौदा (गरियाबंद) के समीप स्थित है। बुजुर्गों का कहना है कि कोल्हापुर (महाराष्ट्र) से एक वृद्धा माताजी आई, इन्होंने ही सर्वप्रथम अंचल के लोगों को इस प्राकृतिक शिवलिंग के संबंध में ज्ञात कराई तब से श्रद्धालु भक्तजन यहाँ भगवान भोलेनाथ के नाम से पूजा अर्चना करते चले आ रहे है । मरौदा (गरियाबंद) के इस प्राकृतिक अर्द्धनारीश्वर शिवलिंग को देखकर आश्चर्य चकित हो जाना पड़ता है, क्योंकि इस प्राकृतिक शिवलिंग में गंगा, चन्द्रामा, त्रिपुण्ड प्राकृतिक रूप में स्पष्ट दिखाई देते है । इसे श्री भूतेश्वरनाथ (भकुर्रा-बैल के हुंकारने के आवाज को भकुर्रा) महादेव कहते है । इस स्थान से 5 किलोमीटर की दुरी पर माँ बम्हनी का वास पर्वत शिखर पर स्थित है। वहाँ तक जाने का सुगम रास्ता नहीं है, इसलिए इनकी स्थापना पर्वत के निचले भाग में की गई है ।

26 फरवरी को जलभिषेक के साथ ये पूजा
श्री भूतेश्वरनाथ समिति के लोगों ने बताया कि महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर 26 फरवरी भूतेश्वरधाम में सिरकट्टी आश्रम के गोवर्धन महाराज एवं चेतन महाराज (अंबाला वाला) द्वारा प्रातः 6ः00बजे दूध, दही और शहद से जल अभिषेक किया जाएगा। इसके बाद समिति के उपाध्यक्ष सेवाराम ग्राम जड़जड़ा, सचिव जलीज खान, कोषाध्यक्ष बलेश कुमार, सदस्य पवन कुमार, शत्रुघन साहू, अजय रोहरा, बीरू यादव, रमेश मेश्राम, प्रकाश रोहरा, पम्मन रोहरा, अजय सिन्हा सहित ग्राम मरौदा के ग्रामीणजन महाशिवरात्रि के तैयारी में जुट गए है। शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस अधीक्षक, एडनिशनल एस.पी. ने पुख्ता तैयारी कर ली है, पुलिस विभाग की टीम भूतेश्वरनाथ धाम में मौजूद रहेगी।

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