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जानें क्या है दिल्ली का शराब घोटाला,कैसे इसकी जद में आए CM अरविंद केजरीवाल,सिसोदिया और संजय सिंह पहले से जेल में

 

नेशनल न्यूज़। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी ने दिल्ली शराब घोटाले मामले में गुरुवार देर शाम गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले ईडी की एक टीम केजरीवाल के आवास पर तलाशी लेने पहुंची और उन्हें आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच में शामिल होने के लिए समन सौंपा। उन्होंने कहा कि ईडी की छह सदस्यीय टीम, दिल्ली पुलिस के कर्मियों साथ राष्ट्रीय राजधानी में फ्लैगस्टाफ रोड स्थित केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर पहुंची। दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को राहत देने से इनकार करने के कुछ घंटों बाद यह कार्रवाई हुई।

केजरीवाल के घर क्यों पहुंची थी ईडी?
बीते हफ्ते ही ईडी ने तेलंगाना के पूर्व सीएम केसीआर के बेटी के। कविता को भी गिरफ्तार किया था। इस मामले में आप सांसद संजय सिंह और दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पहले ही जेल में हैं। ऐसे में अब सीएम केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दिल्ली की आबकारी नीति 2021-22 में कथित घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही ईडी सीएम केजरीवाल को अब तक नौ समन जारी कर चुकी है। गुरुवार को ईडी की टीम 10वां समन लेकर उनके घर पहुंची थी।
इतने समन जारी करने के बाद भी केजरीवाल ईडी के सामने पेश नहीं हुए थे। इस बीच केजरीवाल ने गिरफ्तारी से बचने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था।

इन तमाम घटनाक्रमों के बीच ये जानना भी जरूरी हो जाता है कि आखिर शराब घोटाला क्या है? नई शराब नीति क्या थी और इसमें किस तरह से भ्रष्टाचार के आरोप हैं?

आखिर क्या थी दिल्ली की नई शराब नीति?
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति लागू की थी। इस नीति के तहत राजधानी को 32 जोन में बांटा गया और हर जोन में 27 दुकानें खोलने की बात कही गई। इस तरह से पूरी दिल्ली में 849 शराब की दुकानें खोली जानी थीं। इस नीति के तरह सभी सरकारी ठेकों को बंद कर सभी शराब की दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया। जबकि इससे पहले दिल्ली में शराब की 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40 प्रतिशत प्राइवेट थीं। नई नीति लागू होने के बाद सभी 100 प्रतिशत शराब की दुकान को प्राइवेट कर दिया गया। दिल्ली सरकार ने इससे पीछे तर्क दिया कि इससे 3500 करोड़ रुपए का फायदा होगा।

यही नहीं दिल्ली सरकार ने शराब की दुकान के लाइसेंस की फीस भी कई गुना बढ़ा दी थी। इसके तहत जिस एल-1 लाइसेंस को हासिल करने के लिए पहले 25 लाख रुपए देने होते थे। नई नीति लागू होने के बाद उसके लिए ठेकेदारों को पांच करोड़ रुपए चुकाने पड़े। इसी तरह अन्य कैटेगिरी के लाइसेंस की फीस भी जरूरत से ज्यादा बढ़ा दी गई।

सरकारी राजस्व में भरी कमी होने का आरोप
सरकार पर आरोप लगा कि सरकार की नई नीति से राजस्व में भारी कमी हुई। पहले जहां 750 एमएल की एक शराब की बोतल 530 रुपए में मिलती थी। उसे बोतल पर रिटेल कारोबारी को 33।35 रुपए का मुनाफा होता था जबकि 223।89 रुपए उत्पाद कर और 106 रुपए वैट के रूप में सरकार को मिलता था। इस हिसाब से सरकार को हर एक बोतल पर 329।89 रुपए का फायदा होता था। सरकार की नई नीति आने के बाद 750 एमएल की बोतल का दाम 530 रुपए से बढ़ाकर 560 रुपए कर दिया गया। इससे रिटेल करोबी का मुनाफा 33।35 से बढ़कर सीधे 363।27 रुपए पहुंच गया। यानि रिटेल कारोबारियों को सीधे 10 गुना का फायदा होने लगा। वहीं सरकार को मिलने वाला 329।89 रुपए का फायदा घटकर 3।78 पैसे रह गया। इसमें 1।88 रुपए उत्पाद शुल्क और 1।90 रुपए वैट शामिल है।

कैसे फंसते गए सीएम केजरीवाल?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी ने पिछले साल 2 नवंबर को पहला समन भेजा था। ये समन प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जारी किया गया था। ईडी की ओर से जारी चार्जशीट में आरोप है कि जब एक्साइज पॉलिसी 2021-2022 तैयारी की जा रही थी, उस वक्त केजरीवाल, आरोपियों के संपर्क में थे। ईडी की ओर से दावा किया गया है कि इस मामले में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के। कविता के अकाउंटेंट बुची बाबू के बयान भी दर्ज किए।

बुची बाबू ने बयान दिया है कि के कविता, केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के बीच पहले से संबंध में बात हो चुकी थी। यही नहीं इसे लेकर कविता ने मार्च 2021 में विजय नायर से मुलाकात भी की थी। इस मामले में गिरफ्तार दिनेश अरोड़ा ने ईडी को बताया था कि उसने केजरीवाल से उनके आवास पर मुलाकात की थी। उसने बताया कि वाईएसआर कांग्रेस के सांसद मंगुटा श्रीनिवासुलु रेड्डी और केजरीवाल के बीच कई मीटिंग भी हुई थी। इसके बाद ही सीएम केजरीवाल ने दिल्ली के शराब करोबार में रेड्डी की एंट्री का स्वागत किया था।

 

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