रवि भोई की कलम से
कहते हैं ज्ञान कहीं से भी प्राप्त हो लेना चाहिए। इसी का अनुसरण करते हुए छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने 31 मई और एक जून को रायपुर के भारतीय प्रबंध संस्थान में जाकर कई तरह के ज्ञान अर्जित किए। साय सरकार ने भारतीय प्रबंध संस्थान में आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम को चिंतन शिविर का नाम दिया। वैसे तो पिछली सरकारों ने भी चिंतन शिविर जैसे आयोजन किए, पर तब बाहर से कोई विशेषज्ञ नहीं बुलाए गए थे। साय सरकार द्वारा आयोजित चिंतन शिविर में बाहर से विद्वान आए। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम, नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत, आईआईएम अहमदाबाद के विशेषज्ञों ने मुख्यमंत्री और राज्य के मंत्रियों का ज्ञानवर्धन किया। छत्तीसगढ़ को नई दिशा देने के लिए दिमागी कसरत चली तो मुख्यमंत्री और राज्य के मंत्रियों ने सेहत के लिए योगाभ्यास भी किया। दो दिन के इस आयोजन में छत्तीसगढ़ में विकास की संभावनाओं पर तो बात हुई ही, साथ में विकसित छत्तीसगढ़ के विजन को समाज के सभी वर्गों तक ले जाने के मुद्दे पर भी मनन हुआ। सुशासन पर भी बात हुई। सबसे बड़ी बात रही कि निर्णय लेने वाले छात्रों जैसे विशेषज्ञों की बातें सुनते रहे। नीति निर्धारकों के विद्वानों से ज्ञान अर्जन के प्रयोग को अनूठा माना जा रहा है। अब इसका लाभ आने वाले समय में जनता को किस तरह और कैसा मिलता है, यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा।
चार जून का इंतजार
लोकसभा चुनाव के नतीजे चार जून को आने शुरू हो जाएंगे। इस कारण सभी को चार जून का इंतजार है। चार जून को सुबह आठ बजे से मतगणना शुरू हो जाएगी। वैसे एक जून की शाम से एक्जिट पोल भी आने लग गए। कांग्रेस ने एक्जिट पोल के दौरान होने वाले डिबेट का राष्ट्रीय स्तर पर बहिष्कार कर दिया है। एक्जिट पोल के जो भी नतीजे हो, लोगों को मतगणना के बाद के नतीजों का ज्यादा इंतजार है। छत्तीसगढ़ के 11 सीटों के नतीजों को लेकर लोगों में जिज्ञासा है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा जीत को लेकर अपना-अपना दावा कर रहे हैं। भाजपा सभी 11 सीटें जीतने का दावा कर रही है तो कांग्रेस भी 4-5 सीटों पर टकटकी लगाए हुए है। परिणाम चाहे जो भी हो, शुभचिंतकों ने तो रायपुर लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल को जीत की अग्रिम बधाई देनी शुरू कर दी है। एक शुभचिंतक ने तो बृजमोहन अग्रवाल को अग्रिम बधाई देते होर्डिंग्स भी लगा दिया है।
एक्टिव गृहमंत्री
छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा को एक्टिव गृहमंत्री कहा जा रहा है। वैसे भी विजय शर्मा ने जब से गृह विभाग संभाला है, लोगों की जुबान पर गृह विभाग की चर्चा होने लगी है और लोगों को गृह विभाग की अहमियत भी समझ में आने लगी है। गृह मंत्री के नाते विजय शर्मा किसी भी घटनास्थल पर पहुंच जाते हैं। नक्सलियों से बातचीत का प्रस्ताव और उनसे ही बातचीत का आधार तय करने की पेशकश भी चर्चा में है। विजय शर्मा मीडिया के लिए भी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। आमतौर पर वे मीडिया में अपनी बात कहते रहते हैं।
अनिल साहू का कद बढ़ा
1990 बैच के आईएफएस अनिल साहू को सरकार ने छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ का प्रबंध संचालक बनाया है। श्री साहू अब तक राज्य अनुसंधान, प्रशिक्षण एवं जलवायु परिवर्तन में प्रधान मुख्य वन संरक्षक की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। यहां कोई खास काम था नहीं, लेकिन राज्य लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक के दायित्व को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस नाते देखें तो अनिल साहू का कद अब बढ़ गया है। कहा जा रहा है कि भाजपा सरकार में तेंदूपत्ता संग्राहकों का मानदेय बढ़ने के साथ वनवासियों के हित में कई काम होने हैं। यह काम लघु वनोपज संघ के मार्फ़त होने हैं। इसमें अनिल साहू की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। पहले माना जा रहा था कि माना जा रहा है आचार सहिंता खत्म होने के बाद लघु वनोपज संघ में प्रबंध संचालक की नियमित पोस्टिंग होगी। तब तक किसी को प्रभार सौंप दिया जाएगा, लेकिन सरकार आचार सहिंता खत्म होने से पहले ही अनिल साहू को नियमित प्रबंध संचालक बना दिया।
क्या होगा भगवाधारी कांग्रेसियों का
लोकसभा चुनाव के कुछ पहले और चुनाव के दौरान कई कांग्रेसी दलबदल कर भाजपा में चले गए। मजेदार बात तो यह है कि 2018 से 2023 तक जोगी कांग्रेस के विधायक रहे एक नेता विधानसभा चुनाव के वक्त जोगी कांग्रेस छोड़कर कांग्रेस में गए थे और लोकसभा चुनाव के वक्त भाजपा में आ गए। सवाल उठाया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव बाद दलबदल कर भाजपा में आए पुराने कांग्रेसियों का क्या होगा ? भगवा गमछा पहनने वाले कुछ पुराने कांग्रेसी हरियाणा जाकर कांग्रेस की प्रत्याशी के खिलाफ ढ़ोल बजा आए हैं। पुराने कांग्रेसियों के चुनावी राग से कांग्रेस की प्रत्याशी को नुकसान होता है या फायदा यह तो चार जून को पता चल जाएगा, पर भगवाधारी कांग्रेसियों का भविष्य तो समय के साथ ही पता चलेगा। कांग्रेस के एक पूर्व मंत्री ने भगवाधारी कांग्रेसियों को इलेक्शन मटेरियल तक कह दिया, हालांकि इस पर भाजपा ने पटलवार कर कांग्रेसियों को आगे वार करने नहीं दिया।
चुनाव बाद प्रशासनिक हेरफेर के कयास
माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद जून के दूसरे हफ्ते में व्यापक प्रशासनिक फेरबदल हो सकता है। कई जिलों के एसपी और कलेक्टर के साथ मंत्रालय में तैनात अफसर इधर से उधर हो सकते हैं। मंत्रालय में पदस्थ कुछ अफसरों के विभाग बदल सकते हैं। कहा जा रहा है कि मंत्रालय के पदस्थ कुछ अफसरों के विभाग कम किए जा सकते हैं। चर्चा है कि कुछ अफसरों से विभागीय मंत्रियों की पटरी बैठ नहीं पा रही है , उनका विभाग बदला जा सकता है। कहते हैं छोटे और बड़े दोनों स्तर के जिलों के कलेक्टर और एसपी के जिले बदल सकते हैं या मंत्रालय-पुलिस मुख्यालय में आ सकते हैं।
ईडी की जाल में फंसे कारोबारी
बड़े दिनों से एक कारोबारी ईडी और आयकर विभाग के जाल से बच रहे थे, लेकिन पिछले दिनों आखिरकार ईडी के फेर में फंस ही गए। कहते हैं ईडी ने कारोबारी की जमकर क्लास ली। कारोबारी को गिरगिट की तरह रंग बदलने में माहिर माना जाता है। चर्चा है कि भाजपा शासन के 15 साल के कार्यकाल में कारोबारी खेल संघों के मार्फ़त सरकार के नजदीक रहे। कांग्रेस की सरकार आई तो झट से पाला बदल कर कांग्रेस के करीबी हो गए। एक अफसर को पकड़कर सत्ता में तैरते रहे। फिर जब 2023 में भाजपा की सरकार आई तो पलटी खाने की कोशिश की, पर बात बन नहीं पाई और ईडी के जाल में फंस ही गए।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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