नेशनल न्यूज़। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आज 51वां जन्मदिन है। महज 22 साल की उम्र में संन्यास और 26 साल की उम्र में सांसद बन जाने वाले योगी आदित्यनाथ कभी अपना जन्मदिन नहीं मनाते. लेकिन उनका व्यक्तित्व इतना विशाल हो चुका है कि हजारों लाखों समर्थक जन्मदिन के लिए महीनों से तैयारी में लगे रहते हैं। इस खास मौके पर हम आपको उनके जिंदगी के अनुसने किस्सों के बारे में बताएंगे कि कैसे उत्तरांखंड का एक नौवजवान लड़का आंखों में सपने लिए एमएमसी करने के लिए गोरखपुर आता है और फिर वो वहीं का हो कर रह कर जाता है और फिर एक दिन देश की राजनीति में इतना बड़ा चेहरा बन जाता है।
महज 22 साल की उम्र में लिया संन्यास
देश में इस वक्त हिंदुत्व का सबसे बड़ा कोई चेहरा अगर है तो वो हैं देश के सबसे बड़े सूबे उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री और फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ हैं। महज 22 साल की उम्र में संन्यास और 26 साल की उम्र में सांसद बन जाने वाले योगी आदित्यनाथ कभी अपना जन्मदिन नहीं मनाते। योगी आदित्यनाथ कुल सात भाई-बहन हैं। उनके पिता आनंद सिंह बिष्ट चाहते थे कि अजय उनके ट्रांसपोर्ट के बिजनस में मदद करें, लेकिन इस व्यापार में अजय सिंह बिष्ट की दिलचस्पी नहीं थी। उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा यूनिवर्सिटी से मैथ्स में बीएससी की डिग्री हासिल की।
1994 को महंत अवेद्यनाथ ने अजय सिंह बिष्ट को गोरखपंथ की दीक्षा दी
1990 के दौर में लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में राम मंदिर आंदोलन अपने उत्कर्ष पर था। अजय सिंह बिष्ट ने भी इस आंदोलन में हिस्सा लिया। इसी से संबंधित एक कार्यक्रम में अजय सिंह की मुलाकात गोरखनाथ मंदिर के महंत अवेद्यनाथ से हुई थी। अवेद्यनाथ से वह काफी प्रभावित हुए। साल 1993 में एक दिन नौकरी का बहाना देकर अजय घर छोड़कर गोरखपुर चले गए। एक साल तक उनके घर वालों को कुछ पता नहीं था कि उनका बेटा कहां है? कहते हैं कि इस दौरान योगी ने अपने पिता को कई बार पत्र लिखा लेकिन उन्हें उनके पते पर कभी नहीं भेजा। 15 फरवरी 1994 को महंत अवेद्यनाथ ने अजय सिंह बिष्ट को गोरखपंथ की दीक्षा दी। इस दौरान अजय योगी आदित्यनाथ बन गए। इसके चार साल बाद ही 1998 में अवेद्यनाथ ने योगी को गोरखनाथ मठ के साथ-साथ अपनी राजनैतिक विरासत का भी उत्तराधिकारी बना दिया।
26 साल की उम्र में पहली बार गोरखपुर से संसदीय चुनाव लड़ा
साल 1998 में योगी आदित्यनाथ ने सिर्फ 26 साल की उम्र में पहली बार गोरखपुर से संसदीय चुनाव लड़ा। वह 26 हजार वोटों से चुनाव जीते। पहली बार जीत के बाद संसद में उन्होंने संस्कृत में सांसद के तौर पर शपथ ली। इसके अगले ही साल फिर चुनाव हुए तो योगी ने फिर जीत दर्ज की। जीत का यह सिलसिला उनके यूपी का मुख्यमंत्री बनने तक अनवरत जारी रहा। गोरखनाथ मंदिर में बतौर जनप्रतिनिधि लोगों की फरियाद सुनने के लिए भी योगी आदित्यनाथ मशहूर हैं। साल 2017 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी को प्रचंड बहुमत से जीत हासिल हुई। योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुना गया। 21 मार्च को गोरखपुर से सांसद के तौर पर उन्होंने आखिरी बार अपना भाषण दिया और फिर उत्तर प्रदेश की बागडोर संभालने लखनऊ पहुंच गए।