नई दिल्ली। भारत में 100 से अधिक फार्मा कंपनियां कफ सिरप क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गए। इन कफ सिरप में वही विषाक्त पदार्थ थे जो गाम्बिया, कैमरून और उज्बेकिस्तान में 141 से अधिक बच्चों की मौत से जुड़ी दवा में पाए गए थे। सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) की रिपोर्ट के मुताबिक, गांबिया, उज्बेकिस्तान और कैमरून में बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदारी बताए गए खांसी के सिरप में जो टॉक्सिन मौजूद थी, वही इन सिरप में भी पाई गई।
भारतीय कफ सिरप से विदेशों में होने वाली मौतों के सिलसिले के बाद, मोदी सरकार द्वारा 50 अरब डॉलर के उद्योग की छवि को साफ करने के लिए जांच तेज करने के बाद, भारत सरकार ने दवा कंपनियों को नए विनिर्माण मानकों को पूरा करने का निर्देश दिया।
रिपोर्ट में बताया गया कि डाइएथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) और एथिलीन ग्राइकोल (ईजी) पाए जाने के कारण 100 कंपनियों के कफ सिरप को ‘माणक गुणवत्ता के नहीं’ (एनएसक्यू) की श्रेणी में रखा गया है।
रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक डीईजी / ईजी, माइक्रोबायोलॉजिकल ग्रोथ, पीएच वॉल्यूम के आधार पर इन कफ सिरप को एनएसक्यू की श्रेणी में रखा गया। सीडीएससीओ ने दवाओं के 7,087 बैच की जांच श्रेणी में रखा गया। देशभर में कफ सिरप बनाने वाली यूनिट्स की जांच की गई।
डीईजी और ईजी केमिकल की निश्चित मात्रा खांसी के सिरप में मिलाई जा सकती है। ज्यादा मात्रा होने पर सिरप जहरीला हो जाता है। दो साल पहले दक्षिण अफ्रीकी देश गांबिया में भारतीय कफ सिरप के कारण बच्चों की किडनी फेल हुई। करीब 70 बच्चों की मौत हो गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत के कफ सिरप पर सवाल उठाए थे।