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छत्तीसगढ़ के 25 लाख सहारा निवेशकों का भुगतान नही होने से निवेशक बुरी तरह प्रभावित

० पोर्टल मात्र दिखावा व छलावा के सिवाय कुछ नही , आवेदन 1लाख मिला 300 से भी कम
० रायपुर प्रेस क्लब में मिडीया के समक्ष रखी गई सच्चाई व परेशानी

सरायपाली। सहारा इंडिया की समस्त सोसायटियों के पीड़ित निवेशकों के भुगतान के लिए 18 जुलाई 2023 को भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय द्वारा जारी सहारा रिफंड पोर्टल के लान्च होने से पीड़ित निवेशकों में भुगतान हेतु विश्वास जागृत हुआ कि भारत सरकार हम सभी को ब्याज सहित पूर्ण भुगतान अतिशीघ्र कराने में सहायक सिद्ध होगी। पूरे भारत वर्ष में पोर्टल पर क्लेम भी किया गया लेकिन अनेक प्रकार की डिफिसियेंसी से अवगत कराया जा रहा है, कई प्रकार की गंभीर विसंगतियां निवेशक गणों को पोर्टल में बताई जा रही हैं। उन विसंगतियों को निवेशक गण किसी भी परिस्थिति में पूर्ण नहीं कर सकते हैं। विसंगतियों को सहारा सोसायटियों के प्रबंधन द्वारा ही जानबूझकर भुगतान न करने के उद्देश्य से अपने निवेशकों को उलझाये रखने के तहत् सोसायटी प्रबंधन की यह सोची समझी रणनीति है। इन डिफिसियेंसी को यदि सहारा सोसायटी प्रबंधन चाहे तो इसका पूर्ण समाधान कर सकता है जहां डिफिसियेंसी की स्थिति निर्मित नहीं है। पूर्व में सोसायटी प्रबंधन अपने कार्यालयों से भुगतान करती थी तो इन डिफिसियेंसियों का कोई वजूद या औचित्य नहीं होता था तो आज क्यों ?

रायपुर प्रेस क्लब में सहारा पीड़ित जमाकर्ता व कार्यकर्ता कल्याण संघ रायपुर द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में उक्त बातों की जानकारी देते हुवे प्रदेश प्रवक्ता पंकज सोनी , प्रदेश अध्यक्ष विनय सिंह राजपूत व प्रदेश उपाध्यक्ष विमल जैन द्वारा बताया गया कि छ.ग. में सहारा इंडिया की 3 सोसायटियां कार्यरत हैं। 1. सहारा क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी 2. स्टार्स मल्टीपर्पस कॉपरेटिव सोसायटी 3. सहारियन यूनिवर्सल मल्टीपर्पस कॉपरेटिव सोसायटी। इन तीनों सोसायटियों में हमारे छत्तीसगढ़ प्रदेश के लगभग 25 लाख से अधिक पीड़ित परिवार हैं। इन सबकी कुल परिपक्वता राशि लगभग 20,000 हजार करोड़ से अधिक है। विभिन्न संगठनों के बैनर तले हजारों पीड़ितों द्वारा लगभग 5 वर्षों से प्रदेश में निरंतर प्रशासन को ज्ञापन ,धरना, प्रदर्शन, अनशन जैसे जन- आंदोलन करते हुए शासन प्रशासन का ध्यान इस ओर सदैव आकृष्ट कराते रहे हैं लेकिन पूर्व एवं वर्तमान सरकार द्वारा किसी भी प्रकार से निवेशकों के हितों पर ध्यान नहीं दिया गया है।

अब वर्तमान में सी.आर.सी.एस. पोर्टल के प्रति ही निवेशकों की अंतिम आशा, उम्मीद जागी थी कि शायद अब भुगतान मिलना प्रारंभ हो जायेगा लेकिन निराशा ही हाथ लगी। सहारा रिफंड पोर्टल से भी भुगतान नहीं मिला और अनैतिक नियमों, कायदे-कानूनों में उलझाकर आम जमाकर्ताओं को उलझा दिया गया। यह पीड़ित निवेशकों के साथ अन्यायपूर्ण रवैय्या प्रतीत होता है जोकि पीड़ित निवेशकों के हितों में सोचनीय एवं विचारणीय है ।
सहारा की सोसायटियों ने अनेक प्रकार की मेनुपुलेशन का सहारा लेते हुए निवेशकों का धन विभिन्न योजनाओं में कन्वर्ट करवाते हुए जमा किया गया है जिस तरीके से जमाधन लिया है ठीक उसी प्रक्रिया से मेच्यूरिटी राशि दिया जाना ही सही प्रक्रिया है। निवेशकों द्वारा पूर्ण के.वाय.सी. सहित सोसायटी के नियमों का राशि निवेश करते समय पूर्ण पालन किया गया है जैसे शेयर फार्म, मेम्बरशिप फार्म, निवेश योजना का फार्म, फोटो, बैंक डिटेल इत्यादि दिया गया था इसी के उपरांत स्थानीय सोसायटी कार्यालयों द्वारा जमा रसीद एवं सर्टिफिकेट / पासबुक जारी किया गया था। जब जमा करते समय निवेशकों द्वारा पूर्ण प्रपत्र सोसायटी को दिये गये थे तो आज भुगतान के समय इतनी विसंगतियों युक्त डिफिसियेंसी क्यों ?

मात्र 5000 करोड़ रूपये सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार सी.आर.सी.एस. को दिया गया। समस्त सोसायटियों व सी.आर.सी.एस. के कथनानुसार वर्तमान में 13 करोड़ निवेशक गण एवं क्लेम राशि वर्तमान वर्ष मार्च 2024 तक कुल जमाधन राशि 1,12,454.37 करोड़ से अधिक का क्लेम पोर्टल में दर्शाया जा रहा है। क्या, 5000 करोड़ रूपये से 1,12,454.37 करोड़ के जमाधन का भुगतान संभव है। ब्याज सहित यह राशि लगभग 3 लाख करोड़ से अधिक की हो जाती है। यह एक विचारणीय प्रश्न है ?

यदि सहारा ग्रुप की समस्त चल-अचल संपत्तियों का पूर्णतः विक्रय केन्द्र सरकार ,सहकारिता मंत्रालय एवं सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्ण रूप से विक्रय करने की कार्यवाही अतिशीघ्र की जाती है तभी सहारा सोसायटियों के निवेशकों का संपूर्ण भुगतान संभव हो पायेगा ।

इन सोसायटियों के अलावा सहारा इंडिया ग्रुप द्वारा अन्य 6 कंपनियों 1. सहारा इंडिया कार्मिशियल कार्पोरेशन लिमिटेड 2. सहारा इंडिया फायनेंशियल कापोरेशन लिमिटेड 3. सहारा क्यू शॉप यूनिक प्रोडक्ट रेंज लिमिटेड 4. सहारा क्यू शॉप रेंटल 5. सहारा गोल्ड मार्ट 6. हेल्थोरियम (क्रिप्टो क्वाईन स्कीम ऑनलाईन) के तहत् विभिन्न स्कीमों में भी निवेश लिया गया था इसका भी भुगतान लगभग 5 वर्षा से नहीं किया जा रहा है। इन कंपनियों के निवेशकों का भुगतान न ही केन्द्र सरकार , न ही सुप्रीम कोर्ट और न ही सहारा प्रबंधन द्वारा किसी भी प्रकार से कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा है। अप्रैल 2023 के बाद मेच्युरिटी पूर्ण होने वाले सोसायटी के खातों का भुगतान किस आधार पर होगा क्योंकि पोर्टल में इसका प्रावधान ही नहीं है और न ही सोसायटी प्रबंधन इसके भुगतान की जिम्मेदारी ले रहा है। निवेशकों को कब व कैसे भुगतान होगा निवेशक समझ ही नही पा रहे हैं।

सहारा सोसायटियों के प्रबंधन द्वारा सी.आर.सी.एस. को सत्यापन हेतु जो डेटा दिया गया है, वह डेटा अपूर्ण है। इस डेटा में प्रबंधन द्वारा सोची समझी साजिश, कूटरचना करते हुए सी. आर. सी. एस. को निरंतर गुमराह किया जा रहा है। केंद्रीय सहकारिता व गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पोर्टल लांच करते समय कहा गया था कि इस पोर्टल में पूर्ण पारदर्शिता रहेगी व निवेशकों का पाई पाई पैसों का भुगतं किया जायेगा लेकिन जब निवेशकों द्वारा पोर्टल में विधिवत् आवेदन करने के बाद भी अनेकों प्रकार की डिफिसियेंसी-कमियां दिखाकर उनको भुगतान नहीं किया जा रहा है, जो इस पोर्टल के पारदर्शी न होने को स्वतः प्रमाणित करता है इस स्थिति में पाई पाई का कैसे भुगतान होगा यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है ।पीड़ित निवेशकों के लिए अब यह ” पोर्टल नहीं, पोपट” बन गया है।

सहकारिता मंत्रालय इन विसंगतियों को आधार बनाकर सहारा सोसायटी प्रबंधन पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार क्यों कोई ठोस कड़ी कार्यवाही नहीं कर रहा है। इस संबंध में सुप्रीमकोर्ट के रिटायर्ड जज सुभाष रेड्डी एवं न्याय मित्र गौरव अवस्थी द्वारा भी आज पोर्टल लांच होने के 13 महीने बीत जाने के बाद भी स्वतःसंज्ञान नहीं लिया जा रहा है, निवेशकों को ऐसा प्रतीत होता है न्याय मित्र कमेटी ही निवेशकों के भुगतान का समाधान नहीं करना चाहती। सिर्फ वे अपनी फीस की ओर ही लालायित हैं। जिसके कारण आज संपूर्ण प्रदेश के निवेशक पीड़ित एवं परेशान हैं। इसे देखकर ऐसा लगता है कि सोसायटी प्रबंधन की यह मंशा प्रतीत हो रही है कि जितना संभव हो सके भुगतान टालने का प्रयास हो रहा है। प्रबंधन नहीं चाहता कि सोसायटियों के समस्त निवेशकों की पूर्ण परिपक्वता राशि आज तक के व्याज सहित निवेशकों को लौटाना न पड़े ।छ.ग. में 135 सहारा के कार्यालय थे। वर्तमान में 80 प्रतिशत कार्यालय बंद हो चुके हैं। बचे हुए कुछ 27 कार्यालयों में जोनल मैनेजर द्वारा कुछ एजेंटों को लालच देकर रिइंन्वेस्टमेंट कराने का दबाव बनाया जा रहा है ताकि भुगतानों को भुगतान किये जाने से रोका जा सके ।
इस अवसर पर संघ के जिनेंद्र जैन , दिलीप गुप्ता, टैकू राम साहू ,शेष नारायण देवांगन व महेश वाधवानी उपस्थित थे ।

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